भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का बुधवार (26 सितंबर) को जन्मदिन था। लेकिन इस विशेष दिन को भी उन्होंने सामान्य दिन की तरह ही बिताया। दिन की शुरूआत में वे फाइनेंस के पार्लियामेंट स्टैंडिंग कमिटी की बैठक में शामिल हुए, जिसके वे सदस्य हैं। दिन भर उनके फोन घनघनाते रहे। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से लेकर उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री राजनाथ सिंह, यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी सहित कई गणमान्य लोगों ने उन्हें बधाई दी। किसी ने फोन किया तो किसी ने टि्वटर पर बधाई दी। हालांकि, शाम में वे 4:30 बजे के बाद चार घंटे का समय मिलने आने वाले नेताओं और शुभचिंतकों के साथ बिताये।

बता दें कि मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर, 1932 को पाकिस्तान के गाह में हुआ था। वह 2004 से 2014 तक देश के प्रधानमंत्री रहे। 1991 में जब भारत में आर्थिक क्रांति और ग्लोबलाइजेशन की शुरूआत हुई थी, उस समय मनमोहन सिंह ही देश के वित्त मंत्री थे। उस समय देश खराब आर्थिक हालत से जूझ रहा था। तब मनमोहन सिंह आर्थिक उदारीकरण मॉडल लेकर आए। आयात-निर्यात नियम को आसान बनाया। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के लिए विशेष नीतियां तैयार की गई। तब जाकर देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटी थी। प्रधानमंत्री रहते हुए उन्होंने महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) की शुरूआत की थी। इसका असर ये हुआ कि काफी हद तक गांव में बैठे बेरोजगार लोगों को रोजगार मिला। पुरूष और महिलाएं दोनों इस योजना से लाभान्वित हुईं। अपनी सरकार में इन्होंने राइट टू एजुकेशन को अस्तित्व में लाया था। इसके तहत 14 वर्ष तक के बच्चे को शिक्षा के अधिकार दिया गया। उनकी प्रारंभिक शिक्षा सुनिश्चित की गई। इसके साथ ही मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री रहते हुए अमेरिका के साथ परमाणु डील की थी। इस डील की बदौलत ही भारत आज परमाणु संपन्न राष्ट्रों में शमिल है।

इसे संयोग कहें या कुछ और 26 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने जिस ‘आधार’ को लेकर बड़ा फैसला सुनाया और इसकी संवैधानिकता बरकरार रखी, उस दिन मनमोहन सिंह का जन्मदिन भी था। इस आधार योजना को मनमोहन सिंह अपने कार्यकाल में ही लेकर आए थे। उस समय इस योजना की तारीफ संयुक्त राष्ट्र संघ तक ने की थी।