पंजाब और हरियाणा के किसान साल 2021 की तरह फिर अपनी मांगें मंगवाने के लिए दिल्ली कूच कर रहे हैं। दिल्ली जा रहे किसानों को रोकने के लिए पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर भी खास तैयारियां की गई हैं। इसको लेकर पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट में भी सुनवाई चल रही है। कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा है कि वे किसानों के साथ न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP पर चर्चा करना चाहते हैं। वहीं इस मामले में कोर्ट ने पंजाब हरियाणा और केंद्र से स्टेटस रिपोर्ट मांगी है।

पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा कि यह कहना काफी आसान है कि उनके पास अधिकार हैं लेकिन सड़कों पर लोगों की सुरक्षा के लिए राज्य को भी कदम उठाने चाहिए। हाईकोर्ट ने कहा कि अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार का संतुलन होना चाहिए। कोई भी अधिकार अलग नहीं है। कोर्ट ने कहा है कि किसी भी कीमत पर कानून व्यवस्था का पालन होना चाहिए। कोर्ट ने कहा हि कि बल का इस्तेमाल आखिरी चारा होना चाहिए मुमकिन हो तो इससे बचना चाहिए।

किसानों आंदोलन से जुड़े इस मामले में अब पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट अगली सुनवाई गुरुवार को करेगा। वहीं सुनवाई के दौरा हरियाणा सरकार के वकील ने कहा कि धारा 144 लागू है जब आखिरी विरोध प्रदर्शन हुआ था तो काफी आपराधिक वारदातें हुईं थीं। इसलिए कानून और व्यवस्था की आशंका वाली स्थिति से बचने के लिए एहतियाती कदम उठा रहे हैं।

पंजाब सरकार बोली – हमने दे दी है अनुमति

दूसरी ओर पंजाब सरकार के वकील का कहना है कि मुद्दा यह है कि वे विरोध प्रदर्शन के लिए आगे बढ़ रहे हैं। पंजाब में कोई भी सीलिंग नहीं है। अगर वे शांतिपूर्वक तरीके से विरोध प्रदर्शन करने के लिए आगे जा रहे हैं, तो फिर इसीलिए उन्हें सराकर द्वारा अनुमति मिल रही है। भीड़ के नियंत्रण के लिए उचित व्यवस्था की गई है।

दिल्ली कूच कर रहे किसान

बता दें कि किसानों के बड़े-बड़े जत्थे धीरे-धीरे दिल्ली की ओऱ कूच कर रहे हैं। हरियाणा पुलिस ने पंजाब हरियाणा बॉर्डर पर उन्हें रोकने के लिए शंभू बॉर्डर पर खास इंतजाम किए थे लेकिन वे सारे इंतजाम अब नाकाफी साबित हो रहे हैं और धीरे धीरे किसानों का समूह आगे बढ़ने लगा है। किसानों के अलग-अलग समहूों ने 16 फरवरी को भारत बंद का ऐलान भी किया है। खबरें हें कि ये किसान इस बार दिल्ली में करीब 6 महीने से ज्यादा की तैयारी के साथ आ रहे हैं, जिससे वे सरकार के खिलाफ लंबे वक्त तक अपना प्रदर्शन कर सकें।