छत्तीसगढ़ में कथित धर्मांतरण और मानव तस्करी के आरोप में दो कैथोलिक ननों (सिस्टर) की गिरफ्तारी का मामला सामने आया है। छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा की गई गिरफ्तारी के बाद केरल की बीजेपी इकाई ने इसका कड़ा विरोध जताया है। इस घटना के बाद केरल की बीजेपी इकाई और छत्तीसगढ़ की बीजेपी इकाई एक दूसरे के आमने सामने आ गई हैं। या ये कहे कि एक दूसरे का विरोध कर रही हैं। चूंकि छत्तीसगढ़ में भी बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार हैं इस वजह से ये मामला बना हुआ है।
इस साल के अंत में केरल में होने वाले स्थानीय निकाय चुनावों और अप्रैल 2026 में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले बीजेपी राज्य के प्रभावशाली ईसाई समुदाय तक पहुंचने का प्रयास कर रही है। ऐसे में पार्टी की केरल इकाई को झटका लगने वाला है।
छत्तीसगढ़ और अन्य राज्यों में धर्मांतरण को लेकर पार्टी लाइन से हटकर, केरल भाजपा ने केरल की ननों के खिलाफ छत्तीसगढ़ प्रशासन द्वारा दर्ज किए गए मामले को खारिज कर दिया है। यह अलग बात है कि केरल में संघ के एक वर्ग ने ननों की गिरफ्तारी का फायदा उठाकर धर्मांतरण विवाद को तूल दिया है। हाल के वर्षों में, केरल भाजपा ने राज्य में ईसाइयों से जुड़ने के लिए धर्मांतरण के मुद्दे को दरकिनार करने की कोशिश की है।
सीएम साय ने गिरफ्तारी को बताया सही
ननों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई को उचित ठहराते हुए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि यह मुद्दा ‘गंभीर और संवेदनशील है जो हमारी बेटियों की सुरक्षा को प्रभावित करता है और इसका राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए’।
वहीं केरल की बीजेपी इकाई ने मुख्यमंत्री साय के बयान को खारिज करते हुए कहा है कि गिरफ्तार नन किसी भी धर्मांतरण या मानव तस्करी के प्रयास में शामिल नहीं थीं। पार्टी महासचिव और अपने प्रमुख ईसाई चेहरे अनूप एंटनी को भी रायपुर भेज दिया है ताकि वे जेल में बंद ननों को राहत दिलाने के लिए वहां के अधिकारियों के समक्ष मामला उठा सकें।
केरल बीजेपी अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने दिल्ली में प्रेस क्रॉन्फ्रेंस करते हुए कहा, ‘हम ननों को हर संभव सहायता प्रदान करेंगे। हमारे राज्य महासचिव इस समय छत्तीसगढ़ में हैं और हम गिरफ्तार ननों को न्याय दिलाने के लिए हर संभव सहायता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। छत्तीसगढ़ एक आदिवासी राज्य है और यहां धर्मांतरण विरोधी कानून लागू है, फिर भी हम आश्वस्त हैं कि मलयाली ननों पर लगे धर्मांतरण के आरोप झूठे हैं।’
चंद्रशेखर ने आगे कहा, ‘जब से यह मामला पहली बार सामने आया है, हम राज्य सरकार के लगातार संपर्क में हैं। बीजेपी ननों की रिहाई और न्याय मिलने तक उनके साथ खड़ी है।’ उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस जैसी पार्टियाँ अपनी अवसरवादी राजनीति के लिए इस मामले का फायदा उठाने की कोशिश कर रही हैं।
केरल बीजेपी ने राज्य में अपने ईसाई जनाधार को खोती दिख रही है। ऐसी स्थिति में मौके का फायदा उठाकर कांग्रेस द्वारा ननों की गिरफ्तारी का मुद्दा उठाकर बीजेपी को नुकसान की भरपूर कोशिश शुरू कर दी है। राज्य कांग्रेस के नेताओं ने भाजपा को एक ऐसी पार्टी के रूप में पेश करने की कोशिश की जो उत्तर भारत में ईसाई पादरियों को जेल में डाल देती है, जबकि क्रिसमस और ईस्टर पर केरल में ईसाई घरों में जाती है।