केरल में भाजपा अपने संगठन का पुनर्गठन करने में जुट गई है। पार्टी ने नए जिला प्रमुखों के चयन में महिलाओं, ईसाइयों और युवा नेताओं को प्रमुख स्थान दिया है। पार्टी ने कुल 30 जिला प्रमुख नियुक्त किए हैं और संगठनात्मक कार्यों के लिए केरल के 14 जिलों को 30 में विभाजित किया गया है और 27 के लिए नामों की घोषणा की गई है। भाजपा केरल के अध्यक्ष के सुरेन्द्रन बताते हैं कि इन नए जिला प्रमुखों में से चार महिलाएं हैं और यह संख्या सीपीआई (एम) या कांग्रेस से अधिक है।

नेताओं के बीच मतभेद सुलझा लिए गए हैं, यहां तक ​​कि भाजपा के प्रमुख सहयोगी भारत धर्म जन सेना (बीडीजेएस) की ओर से भी असंतोष के स्वर धीमे पड़ते नजर आ रहे हैं।

इसके अलावा, तीन जिला प्रमुख ईसाई हैं, पांच 45 वर्ष से कम उम्र के हैं, सात एझावा-धीवरा ओबीसी समुदाय से हैं और दो अनुसूचित जाति से हैं। जिला प्रमुखों के रूप में ईसाई नामों का चयन राष्ट्रीय स्तर पर समुदाय को लुभाने के भाजपा की कोशिश है। केरल में ईसाई लगभग 19% आबादी हैं जो एक बड़ी संख्या है।

केरल में पैठ बनाने की कोशिश में जुटी बीजेपी

भाजपा नेताओं ने कहा कि नए जिला प्रमुख केरल में पैठ बनाने की दिशा में पार्टी के प्रयासों को आगे बढ़ाएंगे। राज्य में पार्टी की चुनावी सफलता 2016 में एक विधानसभा सीट और पिछले साल त्रिशूर लोकसभा क्षेत्र तक ही सीमित रही है। कुछ अड़चनें भी आईं जैसे कि राज्य के नेता सी कृष्णकुमार के उम्मीदवार प्रशांत सिवन को पलक्कड़ पूर्वी जिला प्रमुख के रूप में नियुक्त करना, जिसके कारण कुछ प्रमुख नेताओं ने इस्तीफा दे दिया। हालांकि, उसके बाद आरएसएस और कुछ वरिष्ठ नेताओं के हस्तक्षेप से विद्रोहियों का मनोबल कम होता दिख रहा है।

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बीडीजेएस और बीजेपी के बीच भी सुलझा मामला

भाजपा के लिए एक और राहत की बात यह है कि बीडीजेएस जो अधूरे वादों से नाखुश है वह भी पार्टी को कुछ छूट देने को तैयार है। बीडीजेएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष तुषार वेल्लपल्ली ने कहा है कि फिलहाल एनडीए छोड़ने का कोई सवाल ही नहीं है। वेल्लप्पल्ली ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “हम एनडीए के साथ मजबूती से खड़े हैं। कुछ जिला इकाइयों में कुछ मुद्दे हैं और हम उन्हें हल करने के लिए बातचीत कर रहे हैं।”

उन्होंने कहा कि भाजपा ने उनकी कई मांगों को पूरा किया है जैसे कि भारतीय मसाला बोर्ड के अध्यक्ष, भारतीय पर्यटन विकास निगम के निदेशक और रबर बोर्ड के उपाध्यक्ष के पद। हमें पूरा भरोसा है कि भाजपा भविष्य में भी अपने वादों को पूरा करेगी।” उन्होंने कहा कि दोनों पार्टियां नीतिगत मामलों पर भी मिलकर काम करती हैं।

कौन होगा केरल भाजपा का अगला प्रमुख?

राज्य इकाई के पुनर्गठन के बाद अगला कदम केरल भाजपा प्रमुख का चयन होगा। सुरेंद्रन की जगह लेने वाले उम्मीदवारों में सबसे आगे हैं शोभा सुरेंद्रन जो ओबीसी एझावा जाति से हैं जो बीजेडीएस का वोट बैंक हैं। सुरेंद्रन वेल्लापल्ली परिवार के भी करीबी हैं।

केरल में पार्टी के एक सूत्र ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “सीपीआई(एम) को एझावा और अन्य हिंदू समुदायों के एक बड़े हिस्से का समर्थन प्राप्त है। बीडीजेएस के हमारे साथ होने के बावजूद भाजपा समुदाय से समर्थन हासिल करने में सक्षम नहीं है। अगर हमारे पास एझावा राज्य प्रमुख है जो बीडीजेएस के साथ काम कर सकता है तो हम अच्छा समर्थन हासिल कर सकते हैं।”

सुरेंद्रन के साथ एक और अच्छी बात यह है कि वह एक महिला नेता हैं जो भाजपा के लिए फायदेमंद होगा क्योंकि राज्य में न तो माकपा और न ही कांग्रेस में कभी कोई महिला शीर्ष पर रही है। पढ़ें- देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लेटेस्ट अपडेट्स