केरल विधानसभा में नागरकिता संशोधन कानून को रद्द करने की मांग संबंधी प्रस्ताव मंगलवार को पारित हो गया। सत्तारुढ़ माकपा नीत एलडीएफ और विपक्षी यूडीएफ ने केरल विधानसभा में सीएए के विरोध में पेश प्रस्ताव का समर्थन किया। वहीं, भाजपा के एकमात्र सदस्य ने इसका विरोध किया। इस तरह सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने वाला केरल पहला राज्य हो गया है।

केंद्र बनाम राज्य की इस लड़ाई पर भाजपा ने इसे तुष्टिकरण बताया है। वहीं, तमिलनाडु ने केरल सरकार की तरफ से इस आशय का प्रस्ताव पारित किए जाने के फैसले का स्वागत किया है। इससे पहले केरल के मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन ने विवादित नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को रद्द करने की मांग करते हुए राज्य विधानसभा में मंगलवार को एक प्रस्ताव पेश किया था।

प्रस्ताव को पेश करते हुए विजयन ने कहा कि सीएए ‘धर्मनिरपेक्ष’ नजरिए और देश के ताने बाने के खिलाफ है तथा इसमें नागरिकता देने में धर्म के आधार पर भेदभाव होगा। उन्होंने कहा कि यह कानून संविधान के आधारभूत मूल्यों और सिद्धांतों के विरोधाभासी है। विजयन ने कहा कि देश के लोगों के बीच चिंता को देखते हुए केंद्र को सीएए को वापस लेने के कदम उठाने चाहिए और संविधान के धर्मनिरपेक्ष नजरिए को बरकरार रखना चाहिए।

विजयन ने विधानसभा को यह भी आश्वासन दिया कि इस दक्षिणी राज्य में कोई निरोध केंद्र नहीं खोला जाएगा। सत्र शुरू होते हुए विधानसभा में भाजपा के इकलौते विधायक ओ राजगोपाल ने प्रस्ताव पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह ‘‘गैरकानूनी’’ है क्योंकि संसद के दोनों सदनों ने सीएए कानून को पारित कर दिया है।