Karnataka High Court: कर्नाटक हाई कोर्ट ने हाल ही में एक वकील के खिलाफ कोर्ट की अवमानना के कार्यवाही शुरू करने का आदेश दिया है। दरअसल, वकील अपने मुवक्किल का केस लड़ रहा था। जिसकी याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया था। जिसके बाद वकील ने जज के ऊपर अपना गुस्सा उतारा। वकील जज पर जमकर चिल्लाया और कोर्ट रूम में रखीं फाइलों को फेंक दिया।

5 फरवरी को पारित एक आदेश में जस्टिस केएस हेमलेखा ने दर्ज किया कि मुवक्किल के वकील एम वीरभद्रैया ने उनकी फाइलें फेंक दीं और कोर्ट के खिलाफ कठोर और अपमानजनक टिप्पणियां कीं। साथ ही यह भी कहा कि वह इसके बाद क्या होगा, इसकी चिंता नहीं करता है।

कोर्ट ने कहा, ‘वकील का कार्य और आचरण कोर्ट की गरिमा को कमजोर करता है। साथ ही न्यायिक कार्यवाही और न्याय प्रशासन में बाधा डालता है। उसका यह कृत्य कोर्ट की गरिमा और कोर्ट की सामान्य कार्यवाही और प्रक्रियाओं के खिलाफ है।’

जज ने कहा कि कोर्ट ने कई मौकों पर वकील के अशिष्ट व्यवहार को देखा था, लेकिन उसके अहंकार को नजरअंदाज कर दिया था। जस्टिस हेमलेखा ने फैसला किया कि इस सब के कारण वकील वीरभद्रैया के खिलाफ कोर्ट की अवमानना की कार्यवाही शुरू करना जरूरी हो गया।

क्या है पूरा मामला-

यह विवादास्पद प्रकरण 5 फरवरी को हुआ, जब कोर्ट ने भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) की ओर से दायर एक कैविएट याचिका का विरोध करने के लिए अन्नादुरई (याचिकाकर्ता) द्वारा दायर एक आवेदन को खारिज कर दिया था।

बीईएल की कैविएट याचिका कंपनी की ओर से उसके महाप्रबंधक (एचआर) द्वारा दायर की गई थी, ताकि उसे बीईएल के खिलाफ याचिकाकर्ता द्वारा दायर किसी भी मामले के बारे में सूचित किया जा सके। हालांकि, याचिकाकर्ता ने सवाल उठाया कि क्या जीएम (एचआर) या कैविएटर के पास बीईएल की ओर से कैविएट याचिका दायर करने का अधिकार था।

5 फरवरी को हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता के आवेदन (आईए) को चार सप्ताह के भीतर कर्नाटक राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण को देय ₹10,000 के जुर्माने के साथ खारिज कर दिया था। ऐसा करने के बाद कोर्च ने याचिकाकर्ता के वकील से बहस करने को कहा।

कहा जाता है कि जवाब में वकील ने अपनी आवाज उठाई और आईए की बर्खास्तगी पर आपत्ति जताते हुए मामले की फाइलें फेंक दीं, जिससे कोर्ट की अनमानना हुई।

वकील ने यह कहते हुए फाइलें फेंक दीं कि वह I.A.No.1/2022 पर पारित आदेश के खिलाफ अपील करना चाहते हैं, याचिकाकर्ता के वकील ने चिल्लाकर बात की और कोर्ट के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की। साथ ही कहा कि उसे फैसले की परवाह नहीं है। इसको जस्टिस हेमलेखा ने अपने आदेश में दर्ज किया है।