दिल्ली स्थित इंदिरा भवन में कांग्रेस वर्किंग कमेटी की मीटिंग चल रही है। यहां इंदिरा भवन के सामने कर्नाटक कांग्रेस के कुछ कार्यकर्ता जी. परमेश्वर को राज्य का अगला सीएम बनाने की मांग कर रहे हैं। जी. परमेश्वर कर्नाटक की वर्तमान सिद्धारमैया सरकार में होम मिनिस्टर का पद संभाल रहे है।

जी परमेश्वर के समर्थन में दिल्ली आए एक कार्यकर्ता ने कहा कि हम दलित सीएम की डिमांड लेकर कर्नाटक से दिल्ली आए हैं। अगर सिद्धारमैया को हटाने की बात हो तो जी. परमेश्वर को मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए। जब मीडिया ने उनसे डीके शिवकुमार की दावेदारी को लेकर सवाल किया तो उन्होंने कहा कि वो भी एक लीडर हैं, इसलिए वो भी डिमांड कर रहे हैं।

क्यों डीके शिवकुमार के लिए खतरा हैं जी.परमेश्वर?

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सिद्धारमैया कैंप खुद कर्नाटक के सीएम पद के लिए जी. परमेश्वर का नाम आगे बढ़ा रहा है। सिद्धारमैया कैंप चाहता है कि राज्य में अगर शीर्ष नेतृत्व लीडरशिप बदलने का फैसला भी ले तो सीएम की कुर्सी उनके खेमे में ही रहे।

सूत्रों के मानें तो सिद्धारमैया कैंप ने कांग्रेस लीडरशिप को यह मैसेज भेजा है कि अगर डीके शिवकुमार को राज्य का सीएम बनाया जाता है तो उत्तर कर्नाटक से आने वाले कांग्रेस के 20 से 25 विधायक अगले चुनाव में बीजेपी की तरफ जा सकते हैं। इन विधायकों ने प्रह्लाद जोशी के जरिए अमित शाह से मुलाकात की कोशिश भी है।

कौन हैं जी. परमेश्वर?

जी. परमेश्वर कर्नाटक कांग्रेस के वरिष्ठ और प्रभावशाली दलित नेताओं में गिने जाते हैं। वे फिलहाल राज्य सरकार में गृहमंत्री हैं और पार्टी के भीतर एक संतुलित, संगठनात्मक नेता की छवि रखते हैं। परमेश्वर विदेश में शिक्षित हैं और लंबे समय से कांग्रेस की नीति-निर्माण प्रक्रिया का हिस्सा रहे हैं।

परमेश्वर का सबसे अहम राजनीतिक योगदान उनका कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (KPCC) अध्यक्ष के रूप में कार्यकाल रहा। उन्होंने रिकॉर्ड आठ साल (2010 से 2018) तक यह पद संभाला। उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने 2013 में विधानसभा चुनाव जीतकर सत्ता हासिल की।

इसके बाद 2018 में जब किसी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला, तब परमेश्वर ने जेडीएस के साथ गठबंधन कराने में अहम भूमिका निभाई, जिसके बाद बनी सरकार में वे उपमुख्यमंत्री भी रहे।

कांग्रेस के भीतर उनका सोनिया गांधी से अच्छा तालमेल माना जाता है, जबकि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खेमे की नजदीकी राहुल गांधी से बताई जाती है। राजनीतिक जानकारों के अनुसार, यह अभी स्पष्ट नहीं है कि सिद्धारमैया गुट वास्तव में परमेश्वर को मुख्यमंत्री पद के लिए आगे बढ़ा रहा है या फिर यह रणनीति हाईकमान को यह समझाने की है कि पार्टी हित में सिद्धारमैया को ही आगे बने रहना चाहिए।

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