कर्नाटक के स्पीकर केआर रमेश कुमार ने रविवार को भले ही 14 विधायकों को अयोग्य करार दे दिया हो, लेकिन इससे येदियुरप्पा की अगुआई वाली नई बीजेपी सरकार की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ने वाला। अयोग्य करार दिए गए सदस्यों में 11 विधायक कांग्रेस के जबकि 3 जेडीएस के हैं। ये अब इस पूरे विधानसभा के कार्यकाल यानी 2023 तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। उनकी सीटों पर दोबारा उप चुनाव होने पर नए प्रत्याशी मैदान में उतरेंगे।

वहीं, येदियुरप्पा सोमवार को बड़ी आसानी से विश्वासमत साबित कर लेंगे। देखा जाए तो इन बागी विधायकों को अयोग्य करार दिया जाना येदियुरप्पा के हित में ही है।

दरअसल, 225 सदस्यों वाले कर्नाटक विधानसभा में फिलहाल बीजेपी के 105 विधायक हैं। बीजेपी के समर्थन में 1 निर्दलीय विधायक है। वहीं, कांग्रेस और जेडीएस के विधायकों की संख्या 99 रह गई है। इसके अलावा, बसपा से निष्कासित एक विधायक और एक निर्दलीय विधायक हैं।

आज 14 और इससे पहले 3 यानी कुल 17 सदस्यों को स्पीकर द्वारा अयोग्य करार देने की वजह से हाउस की क्षमता अब 208 सदस्यों की हो गई है। ऐसे में बहुमत पाने के लिए 105 विधायकों का समर्थन चाहिए। इतने विधायक बीजेपी के खुद के पास हैं।

येदियुरप्पा बड़ी आसानी से विश्वास मत साबित कर लेंगे। वहीं, उनके ऊपर अयोग्य करार दिए गए विधायकों को मंत्री बनाने का नैतिक दबाव भी नहीं होगा। ऐसे में बीजेपी के विधायकों में किसी तरह का असंतोष होने की गुंजाइश नहीं होगी।

बता दें कि 76 साल के येदियुरप्पा ने शुक्रवार को पद एवं गोपनीयता की शपथ ली। येदियुरप्पा ने अकेले ही शपथ ली थी। 26 जुलाई यानी शुक्रवार की सुबह आनन-फानन में हुए घटनाक्रम में, येदियुरप्पा ने राज्यपाल से मुलाकात करके सरकार का दावा पेश किया और उनसे उन्हें शुक्रवार को ही पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाने का अनुरोध किया। इसके बाद राज्यपाल ने उन्हें सरकार बनाने का न्यौता दिया। शपथ ग्रहण समारोह से पहले, येदियुरप्पा ने कहा था कि वह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से सलाह मशविरा करने के बाद कैबिनेट के सदस्यों पर फैसला करेंगे।