Karnataka Aland Vote Chori: कर्नाटक CID (अपराध जांच विभाग) की जांच में यह बात सामने आई है कि 2023 के चुनावों से पहले आलंद विधानसभा क्षेत्र में मतदाता सूची से नाम हटवाने के लिए जो अनियमित आवेदन (Irregular Applications) किए गए थे, उनमें करीब 100 सिम कार्ड का इस्तेमाल किया गया था।

सूत्रों के अनुसार, चुनाव आयोग के मतदाता ऐप्स (जैसे कि NVSP, Voter Helpline App और Garuda) में ओटीपी के ज़रिए लॉगिन करने और कर्नाटक के आलंद इलाके के 254 मतदान केंद्रों से मतदाताओं के नाम हटाने के आवदेन के लिए अलग-अलग सिम कार्ड का इस्तेमाल किया गया था।

कलबुर्गी जिले का आलंद उन दो निर्वाचन क्षेत्रों में से एक था, जिनका उल्लेख कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 18 सितंबर को अपने संवाददाता सम्मेलन में कथित चुनावी धोखाधड़ी को दर्शाने के लिए किया था।

सूत्रों ने बताया कि चुनाव आयोग ने फरवरी 2023 में दर्ज एक शिकायत के जवाब में सितंबर 2023 में सीआईडी ​​को नाम हटवाने के आवेदन में इस्तेमाल किए गए मोबाइल नंबर उपलब्ध कराए थे। बाद में सीआईडी ​​जांच में इन नंबरों के स्वामित्व का पता चला। तब से सीआईडी ​​द्वारा और जानकारी के लिए किए गए अनुरोध पर चुनाव आयोग की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है, जिस पर कांग्रेस और राहुल गांधी ने चिंता जताई है।

यह संभवतः देश में इतने बड़े पैमाने पर मतदाता सूची से नाम हटवाने का प्रयास करने के मामले में पूर्ण आपराधिक जांच का पहला मामला है, क्योंकि सत्यापन योग्य डिजिटल निशान संभावित रूप से उपलब्ध है।

सीआईडी ​​सूत्रों ने बताया कि उनकी जांच में पाया गया कि आलंद में नाम हटवाने के लिए आवेदन करने हेतु इस्तेमाल किए गए सिम कार्ड, देश भर में फर्जी आईडी के तहत पंजीकृत थे, जैसा कि साइबर अपराधों में आम तौर पर देखा जाता है। बाद में इनका इस्तेमाल चुनाव आयोग के ऐप्स में लॉग इन करने और वास्तविक मतदाताओं (ज्यादातर संबंधित बूथ की मतदाता सूची में पहले नंबर पर आने वाले) की ओर से नाम हटवाने के अनुरोध दर्ज करने के लिए किया गया।

उदाहरण के लिए, मतदान केंद्र संख्या 32 पर, महानंदा (जो उस केंद्र की मतदाता सूची में पहले नंबर पर हैं) के नाम से मतदाता सूची से छह नाम हटाने के लिए छह अलग-अलग फ़ोन नंबरों का इस्तेमाल करके आवेदन किए गए थे। गोदाबाई के मामले में, जिनके नाम का इस्तेमाल बूथ संख्या 37 की मतदाता सूची से 12 नाम हटवाने के लिए किया गया था, प्रत्येक आवेदन के लिए 12 अलग-अलग फ़ोन नंबरों का इस्तेमाल किया गया था।

सितंबर 2023 में EC द्वारा CID के साथ साझा किए गए डेटा में आपत्तिकर्ता का विवरण शामिल था, जैसे कि उनका फॉर्म संदर्भ नंबर, उनका EPIC नंबर और लॉग-इन के लिए उपयोग किया गया मोबाइल नंबर और प्रसंस्करण के लिए प्रदान किया गया, उनका IP पता, फॉर्म जमा करने की तिथि और समय, और EC ऐप उपयोगकर्ता निर्माण तिथि।

चुनाव आयोग को और जानकारी मांगने वाले अपने पत्रों में सीआईडी ​​ने कहा, “जांच के दौरान, आईपी लॉग उपलब्ध कराए गए थे। अध्ययन करने पर, गंतव्य आईपी और गंतव्य पोर्ट गायब पाए गए। इसलिए, अनुरोध है कि संबंधित अधिकारियों को ये जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया जाए।”

सीआईडी ने बताया कि ईसी द्वारा दिए गए आईपी एड्रेस डायनेमिक (बदलते रहने वाले) थे। इसका मतलब है कि इन आईपी एड्रेस की मदद से यह पता नहीं लगाया जा सकता कि ऑनलाइन अनुरोध कहां से आया है या उस उपकरण की सही जगह कौन सी है।

सीआईडी ​​द्वारा मांगी गई अतिरिक्त जानकारी में शामिल हैं: क्या एनवीएसपी और वीएचए एप्स, प्लेटफार्मों में ओटीपी/मल्टीफैक्टर प्रमाणीकरण सुविधा अपनाई गई है; क्या ओटीपी/प्रमाणीकरण सुविधा विलोपन आवेदनों को अपलोड करने के लिए लागू है; और यदि ओटीपी जैसा प्रमाणीकरण मौजूद है, तो क्या यह लॉग इन करने के लिए उपयोग किए गए मोबाइल नंबर पर भेजा जाता है, या आवेदक द्वारा विलोपन फॉर्म (Deletion Form) में दिए गए मोबाइल नंबर पर, या दोनों पर।

सूत्रों ने बताया कि चूंकि मतदाता सूची तक पहुंचने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले ऐप चुनाव आयोग से जुड़ी संपत्तियां हैं, इसलिए सीआईडी ​​को चुनाव आयोग (Poll Panel) के सहयोग की आवश्यकता है और यदि चुनाव आयोग स्वयं सहयोग नहीं करता है, तो कानूनी विकल्पों पर भी विचार किया जा रहा है।

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सीआईडी ​​सूत्रों ने बताया कि सितंबर 2023 में चुनाव आयोग द्वारा उपलब्ध कराए गए दूरसंचार डेटा (Telecom Data) और जानकारी से यह भी पता चला कि आवेदन एक ही केंद्रीय स्थान से दायर किए गए थे। यानी सभी फर्जी आपत्तिकर्ता एक ही जगह पर बैठे थे। अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने कहा कि यह कर्नाटक के बाहर स्थित एक जगह थी।

चुनाव अधिकारियों ने बड़े पैमाने पर नाम हटाए जाने के गांधी के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि केवल आवेदन के आधार पर किसी का नाम हटाया या जोड़ा नहीं जाता है, और पहले स्थानीय बूथ स्तर के अधिकारियों द्वारा इसका भौतिक सत्यापन किया जाता है। आलंद के मामले में चुनाव आयोग ने बताया कि जिन 6,018 नामों को हटाने की मांग की गई थी, उनके भौतिक सत्यापन में केवल 24 आवेदन ही सही पाए गए।

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