भारतीय सेना ने 21 साल पहले आज ही के दिन पाकिस्तान को हराकर कारगिल की लड़ाई जीती थी। कारगिल की लड़ाई ने देश को कई हीरो दिए, जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया। इन्हीं नायकों में से कुछ नायक ऐसे थे, जो महानायक बन गए। भारतीय सेना के ऐसे ही एक महानायक हैं शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा।
9 सितंबर, 1974 को हिमाचल प्रदेश के पालमपुर शहर में जन्में विक्रम बत्रा बचपन से ही काफी मेधावी और बेहतरीन स्पोर्ट्समैन थे। विक्रम बत्रा की प्रतिभा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि स्कूल के दिनों में उन्हें पूरे उत्तर भारत का बेस्ट एनसीसी कैडेट चुना गया था। विक्रम बत्रा टेबल टेनिस के राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी भी रहे थे।
विक्रम बत्रा साल 1996 में सीडीएस परीक्षा पास कर भारतीय सेना में शामिल हुए थे। इसके 4 साल बाद ही कारगिल में लड़ाई छिड़ गई। कारगिल लड़ाई में कैप्टन विक्रम बत्रा और उनकी टुकड़ी को 19 जून को पॉइंट 5140 पर कब्जा करने का टास्क मिला था। जिसे अपनी बेहतरीन रणनीतिक समझ और बहादुरी से कैप्टन विक्रम बत्रा और उनकी टीम ने हासिल कर लिया।
इस जीत के बाद ही कैप्टन विक्रम बत्रा ने बेस कैंप पर लौटने के बाद अपने कमांडर से कहा था कि ‘ये दिल मांगे मोर’। पॉइंट 5140 की जीत कारगिल लड़ाई में भारत की जीत के लिए काफी अहम साबित हुई। इस जीत में कैप्टन बत्रा और उनकी टीम ने पाकिस्तान के कैंप तबाह कर दिए थे और कई दुश्मन सैनिकों को ढेर कर दिया था। इस दौरान भारतीय सेना ने पाकिस्तान की एंटी एयरक्राफ्ट गन भी अपने कब्जे में ले ली थी।
इस एंटी एयरक्राफ्ट गन के साथ कैप्टन विक्रम बत्रा की हंसते हुए तस्वीर काफी फेमस हुई थी। पॉइंट 5140 की लड़ाई के कुछ दिन बाद ही उनकी टुकड़ी को एक और अहम ऑपरेशन सौंपा गया। इस ऑपरेशन में भारतीय सेना के जवानों को 17 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित पॉइंट 4875 पर तिरंगा फहराना था।
7 जुलाई 1999 की रात कैप्टन विक्रम बत्रा और उनकी टीम ने पहाड़ पर चढ़ाई शुरू की। पॉइंट 5140 की जीत के बाद पाकिस्तान के सैनिक भी कैप्टन विक्रम बत्रा की बहादुरी के मुरीद हो गए थे और जब उन्हें पता चला कि शेर शाह (कैप्टन विक्रम बत्रा का कोड नेम) की टीम हमला करने वाली है तो पाकिस्तानी सेना ने पूरी ताकत से भारतीय जवानों पर हमला किया।
इसके जवाब में भारतीय जवानों ने भी तगड़ा प्रहार किया और कैप्टन विक्रम बत्रा और उनके साथी और दोस्त कैप्टन अनुज नैय्यर के नेतृत्व में भारतीय जवान पाकिस्तान के सैनिकों पर टूट पड़े और दुश्मनों को ढेर करना शुरू कर दिया। मिशन लगभग खत्म ही हो गया था कि एक विस्फोट में जूनियर अधिकारी का पैर चोटिल हो गया। जिसके बाद कैप्टन विक्रम बत्रा बंकर से उस जूनियर अधिकारी को बचाने के लिए निकले।
इस दौरान एक सूबेदार ने जाने की बात कही थी लेकिन कैप्टन विक्रम बत्रा ने यह कहकर उसे रोक दिया था कि ‘तू बाल बच्चेदार है, हट जा पीछे।’ इसके बाद कैप्टन विक्रम बत्रा उस घायल सैनिक के पास पहुंचे और उसे उठा ही रहे थे कि एक गोली उनके सीने में आकर लगी और वह शहीद हो गए। कैप्टन विक्रम बत्रा अपना मिशन पूरा करके शहीद हुए थे। आज पॉइंट 4875 को विक्रम बत्रा टॉप के नाम से जाना जाता है। अपनी बहादुरी के लिए कैप्टन विक्रम बत्रा को मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था।