Prevention of Cruelty to Animals Act को नाकाफी बताकर महान क्रिकेटर कपिल देव सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। लेकिन टॉप कोर्ट ने उनकी याचिका को सुनने से सुनने से भी इन्कार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि आपका कद बहुत ऊंचा है। सारा देश आपका सम्मान करता है। अगर आप अपनी रिट हाईकोर्ट में लगाएंगे तो वहां भी ससम्मान आपकी बात सुनी जाएगी। उसके बाद अदालत ने कपिल को याचिका वापस लेने की छूट दे दी।

कपिल देव के साथ दो अन्य लोगों ने अपनी याचिका सीनियर एडवोकेट अमन लेखी के जरिये सर्वोच्च अदालत में दायर की थी। जस्टिस ऋषिकेश रॉय और पंकज मित्तल की बेंच के सामने उनकी याचिका लगी। जस्टिसेज ने रिट को देखने के बाद एडवोकेट से पूछा कि इसे यहां क्यों लेकर आए हैं। आपको हाईकोर्ट जाना चाहिए था। वकील ने अपनी दलील देकर कहा कि आवारा पशुओं पर अत्याचार पूरे देश में हो रहा है। लिहाजा सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के बाद कोई आदेश देता है तो उसका असर हर जगह होगा। ये किसी एक हाईकोर्ट के अधिकार क्षेत्र का मसला नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट बोला- हम सुनते हैं मामला तो लोग समझेंगे हाईकोर्ट काम करने लायक नहीं

डबल बेंच ने कहा कि अगर हम इस रिट को सीधे लिस्ट करके सुनवाई करते हैं तो इसका गलत संदेश जाएगा। उनका कहना था कि अगर सुप्रीम कोर्ट इस तरह के मामले खुद सुनने लग जाता है तो लोग समझते हैं कि हाईकोर्ट सुनवाई करने के लायक नहीं हैं। तभी कपिल रिट लेकर हमारे पास आए। उसके बाद बेंच ने अमन लेखी को अपनी याचिका वापस लेने की छूट देकर फिर से हाईकोर्ट में याचिका दायर करने की अनुमति दी।

कपिल ने रिट में कहा- जानवरों की वेल्यू के हिसाब से आइपीसी में तय होता है पनिशमेंट

दरअसल कपिल और उनके दो साथियों ने नवंबर 2022 की घटना का जिक्र अपनी रिट में किया था, जिसमें दिल्ली में एक प्रेगनेंट डॉग को मार दिया गया था। रिट में कहा गया था कि Prevention of Cruelty to Animals Act आवारा पशुओं पर हो रहे अत्याचार को रोकने में नाकाम है। इस कानून के होने के बाद भी पशुओं पर अत्याचार हो रहे हैं। कानून के नुक्तों का जिक्र कर याचिका में कहा गया कि आइपीसी की धारा 428 कहती है कि अगर जानवर की वेल्यू 10 रुपये है तो उसे मारने वाले को दो साल तक की सजा हो सकती है। जबकि जानवर की वेल्यू 50 रुपये है तो सजा पांच साल तक हो सकती है। रिट में कहा गया कि जानवर की कीमत को तय करके सजा निर्धारित करना कानून का एक तरह से मजाक है।