Politics News: फिल्मी दुनिया से राजनीति में एंट्री करने वाली कंगना रनौत के बयानों से बीजेपी को मुश्किलों को सामना करना पड़ रहा है। कंगना के किसान आंदोलन को लेकर दिए गए बयान पर बवाल खत्म नहीं हुआ कि उन्होंने दूसरा बयान दे दिया। जो बीजेपी को असहज स्थिति में डाल रहा है। किसान आंदोलन के कंगना के बयान को पार्टी ने कहा था कि कंगना का बयान पार्टी का बयान नहीं है। साथ ही हाईकमान ने कंगना को नसीहत भी दी थी कि वो इस तरह के बयान के लिए अधिकृत नहीं हैं।
हालांकि, कंगना पहली महिला राजनेता नहीं हैं, जिनकी पॉलिटिकल लॉन्चिंग ने भाजपा को असहज स्थिति में डाल दिया हो। कंगना से पहले भी ऐसी महिला नेता थीं। जिनको बयानों ने बीजेपी को मुसीबत में डाल दिया था।
भाजपा के लिए कंगना बनी मुसीबत
लोकसभा चुनाव 2014 से पहले कंगना रनौत की भाजपा में एंट्री होती है। भाजपा ज्वाइन करते ही कंगना ने जबरदस्त माहौल बनाया। उन्होंने राहुल गांधी से लेकर विपक्षी नेताओं पर खूब हमला बोला। उनके बयानों को मीडिया ने भी काफी तवज्जो दी। लोकसभा चुनाव के दौरान जब बीजेपी ने प्रत्याशियों की घोषणा की तो कंगना को हिमाचल की मंडी लोकसभा से टिकट मिला। इस सीट से कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह सांसद थीं। कांग्रेस ने उनके बेटे विक्रमादित्य को यहां से मैदान में उतारा। लेकिन कंगना ने विक्रमादित्य हरा दिया।
कंगना बीजेपी से सांसद बन गईं। जिसके बाद कंगना ने विवादित बयान देना शुरू कर दिया। अभिनेत्री ने अपने पहले इंटरव्यू में किसान आंदोलन को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन के वक्त लोगों के साथ रेप किया गया। जिसने बीजेपी मुसीबत में डाल दिया। कंगना का यह बयान ऐसे वक्त आया, जब हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।
हालांकि, कंगना के बयान के बाद ने पार्टी ने तुरंत उनके नसीहत दी। इस घटना के कुछ दिन बाद ही अब कंगना का एक और वीडियो मीडिया में आ गया। कंगना इस वीडियो में कह रही हैं कि फिर से तीन रद्द किए गए कृषि कानून लाने पर विचार हो। हालांकि, कंगना के इस बयान से पार्टी ने तो पल्ला झाड़ लिया है, लेकिन कांग्रेस इसे मुद्दा बना रही है। हरियाणा में सत्ता की चाभी किसानों के पास ही है। किसानों को साधने के लिए बीजेपी हरियाणा में लगातार कई बड़ी घोषणाएं कर रही है।
प्रज्ञा सिंह ठाकुर के बिगड़े बोल
साल 2018 में भाजपा ने मालेगांव विस्फोट में आरोपी रहीं प्रज्ञा ठाकुर को मुख्यधारा की राजनीति में लाने का फैसला किया। साध्वी के नाम से मशहूर प्रज्ञा ठाकुर भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में भोपाल से मैदान में उतारा। जबकि कांग्रेस ने इस सीट पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह पर दांव खेला। हालांकि, हिंदुत्व के मुद्दे को भुनाने में बीजेपी सफल रही और प्रज्ञा सिंह ठाकुर बीजेपी से सांसद बन गईं।
प्रज्ञा सिंह ठाकुर के जरिए भाजपा ने हिंदुत्व और तुष्टिकरण की राजनीति को साधने की कोशिश की। शुरुआत में प्रज्ञा हिंदुत्व और उससे जुड़े मुद्दों पर जमकर बोल रही थी। प्रज्ञा की एंट्री से बीजेपी को फायदा भी हुआ और पार्टी भोपाल की सीट बड़ी मार्जिन से जीत गई थी। इसके बाद प्रज्ञा के बयाने से बीजेपी की मुश्किलें बढ़ने लगीं।
प्रज्ञा ने पहले महात्मा गांधी पर विवादित बयान दिया। साथ ही गोडसे को सही ठहराया। इस मामले में जब भाजपा की किरकिरी हुई तो प्रधानमंत्री ने खुद आगे आकर मोर्चा संभाला। प्रधानमंत्री मोदी ने एक इंटरव्यू में कहा कि मैं प्रज्ञा को कभी माफ नहीं करूंगा। इसके बाद भाजपा ने प्रज्ञा सिंह ठाकुर का किनारे कर दिया।
हालांकि, प्रज्ञा का यह विवाद थमा भी नहीं था कि उन्होंने महाराष्ट्र पुलिस के शहीद अधिकारी हेमंत करकरे पर विवादित बयान दे दिया। हेमंत मुंबई हमले के दौरान आतंकियों के गोली से शहीद हुए थे। प्रज्ञा के इस बयान की पूरे देश में आलोचना हुई। प्रज्ञा के बयान से महाराष्ट्र में बीजेपी बैकफुट पर आ गई, जिसके बाद उस वक्त देवेंद्र फडणवीस को इस पर सफाई देनी पड़ी।
इस घटनाक्रम के बाद भी प्रज्ञा का विवादों से नाता नहीं टूटा और वो समय-समय पर विवादित बयान देती रहीं। जिसके बाद 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने प्रज्ञा का टिकट काट दिया। तब से प्रज्ञा सिंह ठाकुर नेपथ्य में हैं। जिसके बाद प्रज्ञा चर्चा में नहीं हैं।
स्वाति सिंह का भी विवादों से रहा नाता
साल 2017 में यूपी विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने ही वाला था। इसी बीच भाजपा के कद्दावर नेता दयाशंकर सिंह ने मायावती पर विवादित टिप्पणी कर दी। दयाशंकर के बयान को बसपा ने दलित विरोधी बयान बताया। डैमेज कंट्रोल करने के लिए भाजपा ने दयाशंकर सिंह को पार्टी से निलंबित कर दिया। इस दरमियान बसपा के कुछ कार्यकर्ताओं ने दयाशंकर की पत्नी और बेटी पर विवादित टिप्पणी कर दी। जिसके बाद दयाशंकर सिंह की पत्नी स्वाति सिंह ने मोर्चा संभाला। हालांकि, अभी तक स्वाति सिंह का राजनीति से कोई वास्ता नहीं था, लेकिन इस मामले में स्वाति की एंट्री होते ही भाजपा फ्रंटफुट पर आ गई।
पूरे चुनाव में भाजपा ने स्वाति सिंह को खूब प्रमोट किया। 2017 में जब यूपी में बीजेपी की सरकार बनी तो स्वाति को मंत्री बनाया गया।
स्वाति सिंह पूरे पांच साल तक मंत्री रही। हालांकि, इस दौरान उनकी वजह से कई मौकों पर सरकार की किरकिरी हुई। मंत्री रहते स्वाति एक बीयर शॉप के उद्घाटन करने पहुंच गई। मीडिया में जब खबर छपी तो पार्टी ने किनारा कर लिया।
इसी तरह स्वाति का एक कथित ऑडियो भी वायरल हुआ, जिसमें वे एक महिला सीओ को धमकाती नजर आ रही थीं। इस मसले पर यूपी के डीजीपी को बयान देना पड़ा। चुनाव से एक महीना पहले स्वाति का एक और ऑडियो वायरल हुआ, जिसमें वे कथित तौर पर अपने पति दयाशंकर पर गंभीर आरोप लगा रही थीं। इन सब मामलों में सरकार की ही भद्द पिटी। जिसके बाद 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने स्वाति सिंह का टिकट काट दिया। जिसके बाद स्वाति सिंह नेपथ्य में चली गईं।
जब नूपुर शर्मा को बीजेपी ने कर दिया था निलंबित
नूपुर शर्मा भाजपा प्रवक्ता के तौर पर एक टीवी डिबेट में हिस्सा ले रही थीं, तभी उन्होंने पैगंबर मोहम्मद को लेकर एक हदीस का जिक्र कर दिया। उस वक्त काशी-मथुरा के विवाद पर चर्चा चल रही थी। काशी के ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर विवाद पर चर्चा के दौरान नूपुर शर्मा ने पैगंबर मोहम्मद को लेकर टिप्पणी कर दी।उनकी टिप्पणी को सोशल मीडिया पर शेयर किया और मुसलमान भड़क गए। मुसलमानों की तरफ से नूपुर शर्मा के कत्ल का ऐलान होने लगा। तब बीजेपी ने उन्हें पार्टी से छह साल के लिए निलंबित कर दिया था। यह घटनाक्रम जून 2022 का है। तब से अभी तक नूपुर शर्मा लाइमलाइट और मीडिया से दूर हैं।