राजनीति में जीत के साथ दस्तक देने वालीं बॉलीवुड क्वीन कंगना रनौत सुर्खियों में चल रही हैं। ऐसे बयान कंगना की तरफ से आते हैं कि ना चाहते हुए भी विवाद खड़े होते हैं और फिर उन पर जमकर सियासत भी होती है। कंगना जब तक सिर्फ एक बॉलीवुड एक्ट्रेस के रूप में सियासी मामलों पर बयानबाजी करती थीं, बीजेपी को ज्यादा फर्क नहीं पड़ा, सरकार को कभी सफाई नहीं देनी पड़ी। लेकिन अब जब कंगना ने बीजेपी का दामन थामा है, अब जब वे उन्हीं की टिकट पर मंडी से सांसद हैं, उनका दिया हर बयान बीजेपी का स्टैंड माना जा रहा है।

राजनीति में एंट्री, अंदाज बॉलीवुड वाला ही

कंगना रनौत ने कुछ ही महीनों में अपने बयानों से ऐसी खलबली मचाई है कि बीजेपी को जवाब देना मुश्किल हो रहा है, बड़ी बात यह है कि उनके दिए बयानों का असर अब गठबंधन में बैठे सहयोगियों पर भी पड़ने लगा है। इस समय ऐसा देखा जा रहा है कि कंगना पार्टी लाइन से अलग हटकर अपने निजी विचार आगे रख रही हैं, उनकी तरफ से उसी तल्खी के साथ बोला जा रहा है जैसा वे बतौर एक्टर किया करती थीं। लेकिन जानकार मानते हैं कि यही पर कंगना रनौत चूक भी कर रही हैं, कहा जा रहा है कि ‘एक्ट्रेस कंगना’ और ‘नेता कंगना’ में फर्क होना जरूरी है।

किसानों पर क्या कुछ बोल रहीं कंगना?

इस समय कंगना रनौत का किसानों से जुड़े तीन कृषि कानूनों वाला बयान चर्चा में बना हुआ है। नहीं भूलना चाहिए जिन तीन कृषि कानूनों को लेकर पीएम मोदी को पिछले कार्यकाल में कहना पड़ गया था कि उनकी ही तपस्या में कुछ कमी रह गई थी, अब मंडी सांसद कंगना बोल रही हैं कि सरकार को इन कानूनों को वापस लाना चाहिए, किसानों को खुद ऐसी मांग कर देनी चाहिए। कंगना ने कहा कि मैं कहना चाहती हूं कि किसान खुद ही ऐसी अपील करें कि हमारे जो तीनों कृषि कानून है उन्हें फिर से लागू कर दिया जाए। कुछ राज्यों के किसानों ने तीन कृषि कानून को लेकर आपत्ति जताई थी, मैं सभी से हाथ जोड़कर विनती करती हूं कि सब किसानों के हित को ध्यान में रखकर वे कानून वापस मांगे।

कृषि कानून वापस लाने वाले बयान से पलटीं कंगना रनौत

हरियाणा में किसान कितना बड़ा फैक्टर?

अब कंगना का बयान बीजेपी के लिए असहज करने वाला इसलिए है क्योंकि इस समय हरियाणा में चुनाव चल रहे हैं। एक ऐसा राज्य जहां पर किसानों की राजनीति चलती है, जहां पर किसानों की अहमियत रहती है और जहां पर किसान वोटर हार-जीत तय करने का भी दमखम रखते हैं। जानकार मानते हैं कि किसानों का हिसार, सिरसा, रोहतक, सोनीपत, कुरुक्षेत्र, करनाल और अंबाला में काफी असर देखने को मिलता है। इसके अलावा पंचकुला, कैथल और यमुनागर जैसे क्षेत्रों में भी किसानों की अच्छी उपस्थिति है।

अब बीजेपी को भी इस बात का अहसास है कि किसानों में जमीन पर आक्रोश है, तीन कृषि कानूनों की वजह से अविश्वास की एक खाई खड़ी हुई है। केंद्र ने एमएसपी बढ़ाकर और किसान निधि के जरिए गुस्से को कम करने की कोशिश भी की है, लेकिन कंगना का बयान जख्मों को हरा करने के समान माना जा रहा है। अब कंगना ने अपने बयान से यूटर्न जरूर ले लिया है, लेकिन जानकार मानते हैं कि विपक्ष को जो मुद्दा चाहिए था, वो मिल चुका है।

बीजेपी में रहकर भी एकला चलो नीति पर कंगना?

हैरानी की बात यह है कि कंगना रनौत लगातार ऐसे बयान दे रही हैं। 2020 में हुए किसान आंदोलन को लेकर उनके जो भी निजी विचार रहे हैं, उन्हें अब वे पार्टी नेता के रूप में भी सामने रख रही हैं। उनका यह रवैया भी बीजेपी को काफी नुकसान पहुंचा रहा है क्योंकि विरोध करने के बावजूद भी पार्टी ने इस मुद्दे पर काफी सेफ खेला है। खुद बीजेपी हाईकमान की तरफ से साफ कहा जा चुका है कि ऐसे मुद्दों पर बयानबाजी करने से बचना होगा। लेकिन कंगना जैसे बॉलीवुड में एकदम एकला चलो नीति पर चलती थीं, अब बीजेपी में रहकर भी वे अपनी अलग ही राह पकड़ती दिख रही हैं।

इसी वजह से एक बयान में कंगना रनौत ने किसान आंदोलन को बांग्लादेश में हुई हिंसा से जोड़कर देख लिया था। उन्होंने कहा था कि किसान आंदोलन के जरिए भारत में बांग्लादेश जैसी स्थिति पैदा करने की तैयारी थी। किसानों की लंबी प्लानिंग थी जैसा बांग्लादेश में हुआ इसी तरह यहां भी षड्यंत्र रचा गया था। अब कंगना के यह जो बयान हैं इनसे सरकार के सहयोगी दल भी परेशान हैं, जेडीयू ने साफ कर दिया है कि वे इनसे सहमत नहीं, चिराग पासवान ने इसे उनकी निजी राय बताकर दूरी बना ली है।

राहुल-सोनिया पर कंगना की बेलगाम जुबान?

अब कंगना ने अपने पॉलिटिकल डेब्यू के बाद सिर्फ किसानों को लेकर ही विवादित बयान नहीं दिए हैं, उनकी तरफ से नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के लिए जैसी भाषा का प्रयोग हुआ है, उसने भी सुर्खियां बंटोरी हैं। अपनी फिल्म इमरजेंसी को प्रमोट करने के दौरान उन्होंने एक बयान में कह दिया था कि अगर राहुल गांधी घर जाकर टॉम एंड जैरी देखते हैं तो उन्हें उनकी फिल्म समझ में नहीं आने वाली है। इससे पहले सोनिया गांधी पर भी हमला करते हुए उन्होंने कहा था कि कांग्रेस के भ्रष्टाचार का पैसा सोनिया राहत कोष में जाता है।

राजनीति में कुछ भी निजी नहीं, बीजेपी परेशान

अब कंगना रनौत की इस तरह की अप्रोच, उनके यह बयान हैरान नहीं करते हैं। जब तक कंगना बॉलीवुड में पूरी तरह सक्रिय रहीं, उन्होंने समय-समय पर हर बड़े सुपरस्टार को अपने निशाने पर लिया। कभी करण जौहर पर हमला कर उन्हें नेपोटिज्म का प्रतीक बताया गया तो कभी उन्होंने सुशांत मामले में भी काफी टीका-टिप्पणी की। लेकिन वो बॉलीवुड था जहां पर उनके बयानों का असर सिर्फ उन तक रहता था, अब राजनीति में कोई भी बयान उनका निजी नहीं माना जाता है। वे जो बोलती हैं, उसे सीधे-सीधे पीएम मोदी की विचारधारा, बीजेपी की सोच के साथ जोड़कर देखा जाता है। इसी वजह से कंगना का पॉलिटिकल डेब्यू करवाकर बीजेपी भी थोड़ा टेंशन में है और सहयोगी दल भी असहज नजर आ रहे हैं।