Kandahar Hijack: नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई वेब सीरीज ‘IC 814: The Kandahar Hijack’ काफी चर्चा में हैं। आतंकियों के नामों को लेकर इसका सोशल मीडिया पर विरोध भी हो रहा है। हालांकि अब लोग सच्ची घटना को जानने के लिए भी उत्सुक हैं। इस बीच यह सवाल उठ रहा है कि भारत ने प्लेन को छुड़ाने के लिए इजरायल जैसा ऑपरेशन क्यों नहीं किया और आतंकियों की मांगें क्या थी?

1999 की है घटना

यह घटना 24 दिसंबर 1999 की है। इंडियन एयरलाइंस के विमान ने नेपाल की राजधानी काठमांडू से दिल्ली एयरपोर्ट के लिए उड़ान भरी थी। विमान में 178 यात्री सवार थे। इस विमान में पांच हथियारबंद आतंकवादी घुस गए थे और जैसे ही विमान इंडियन एयरस्पेस में दाखिल हुआ, तुरंत विमान को हाईजैक कर लिया गया। विमान को पहले अमृतसर लैंड कराया गया। उसके बाद लाहौर, फिर दुबई और उसके बाद अफगानिस्तान के कंधार में लैंड कराया गया।

जब प्लेन को हाईजैक कर लिया गया, उसके बाद आतंकवादियों ने भारत सरकार से बातचीत शुरू की। सबसे पहले आतंकवादियों ने कश्मीर से भारतीय सेना को भी वापस बुलाने को कहा। उसके बाद उन्होंने भारतीय जेलों में बंद कुछ आतंकवादियों की लिस्ट सौंपी और उन्हें रिहा करने की मांग की। आतंकवादियों ने 200 मिलियन डॉलर की फिरौती भी मांगी थी।

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भारत सरकार और हाईजैकर्स के बीच करीब सात दिन तक बातचीत चलती रही और विमान अफगानिस्तान के कंधार हवाई अड्डे पर खड़ा रहा। बाद में भारत सरकार तीन आतंकियों को छोड़ने पर सहमत हुई और उनमें मुस्ताक अहमद जरगर, अहमद उमर सईद शेख और मौलाना मसूद अजहर शामिल था।

इजरायल जैसा ऑपरेशन भारत ने क्यों नहीं किया?

कई लोग सवाल उठाते हैं कि भारत ने इजरायल जैसा ऑपरेशन क्यों नहीं किया जोकि उसने 1979 में अपने नागरिकों को बंधकों से मुक्त कराने के लिए किया था। सबसे बड़ा सवाल यह था कि भारत ऑपरेशन कर तो सकता था और आतंकवादियों से बंधकों को मुक्त कर सकता था लेकिन बड़ी मुसीबत थी कि अफगानिस्तान की धरती पर उसके कमांडो जाएंगे कैसे?

यह घटना कारगिल युद्ध के पांच महीने बाद की थी और उस दौरान पाकिस्तान हार के कारण बुरी तरह से खीझा हुआ था। ऐसे में भारत उसके हवाई क्षेत्र का उपयोग नहीं कर सकता था, जोकि कंधार जाने के लिए जरूरी था। अब दूसरा रास्ता था प्रशांत महासागर से होते हुए ताजाकिस्तान जाना लेकिन भारत के पास इतना समय भी नहीं था और उसके बाद उसे ईरान का एयरस्पेस भी इस्तेमाल करना पड़ता। ऐसे में शायद दूसरे देश की जमीन पर ऑपरेशन के लिए ईरानी सरकार भी अपना एयर स्पेस उपयोग करने की इजाजत नहीं देती।

सबसे अहम बात यह थी कि अफगानिस्तान में तालिबानी शासन के टैंकों और लड़ाकू ने विमान को घेर रखा था। ऐसा उसने इजरायल के कहने पर किया था। ऐसे में अगर भारत कुछ भी ऑपरेशन के लिए कदम उठाता तो बंधकों की जान भी जा सकती थी। इसीलिए इजरायल जैसा ऑपरेशन नहीं किया गया।