ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस पार्टी से इस्तीफे को पार्टी नेता अधीर रंजन चौधरी बड़ा झटका मानते हैं। मीडिया से बातचीत में अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि ‘सिंधिया को बेटे जैसा मानती थीं सोनिया गांधी, फिर भी उनका कांग्रेस पार्टी छोड़ना दुखद है।’

लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, “यह कांग्रेस पार्टी के लिए दुखद खबर है। उन्हें पार्टी ने महत्वपूर्ण काम सौंपा था। लेकिन अब स्थिति ऐसी हो गई कि उन्हें दूसरी पार्टी में जाना अधिक सुविधाजनक लगा।” चौधरी ने कहा, “भाजपा की ओर से दिये गए किसी प्रकार के प्रलोभन ने उन्हें पार्टी बदलने के लिये राजी किया।’’

अधीर रंजन चौधरी ने दावा किया कि राजनैतिक सहूलियत और व्यक्तिगत महत्वकांक्षा ने सिंधिया के पार्टी छोड़ने के फैसले में बड़ी भूमिका निभायी है। यह कांग्रेस के लिए दुखद खबर है क्योंकि ज्योतिरादित्य सिंधिया को पार्टी ने कई साल तक पोषित किया था।

सिंधिया के इस्तीफे पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा, ”राष्ट्रीय संकट के समय भाजपा के साथ हाथ मिलाना एक नेता की खुद की राजनीतिक आकांक्षा को दिखाता है। खासतौर पर उस समय जब भाजपा अर्थव्यवस्था, लोकतांत्रिक संस्थाओं, सामाजिक तानेबाने और न्यायपालिका को बर्बाद कर रही है।”

उन्होंने कहा, ”सिंधिया ने जनता के विश्वास और विचारधारा के साथ विश्वासघात किया है। ऐसे लोग यह साबित करते हैं कि वे सत्ता के बगैर नहीं रह सकते। वो जितनी जल्दी छोड़ दें बेहतर है।”

सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के साथ ही पार्टी के 22 विधायकों ने भी इस्तीफा दे दिया है, जिससे कमलनाथ सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। सिंधिया भाजपा में शामिल होने के लिए भाजपा मुख्यालय पहुंच गए हैं। ऐसी खबरें हैं कि भाजपा सिंधिया को राज्यसभा भेज सकती है। इसके साथ ही मोदी सरकार की कैबिनेट में भी सिंधिया को जगह मिल सकती है।

ज्योतिरादित्य सिंधिया पिछले काफी समय से मध्य प्रदेश कांग्रेस में कथित रूप से उपेक्षित चल रहे थे। इसके बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद पर भी सिंधिया की अनदेखी हुई। माना जा रहा है कि यही वजह है कि सिंधिया ने कांग्रेस पार्टी छोड़ने का फैसला किया।

हालांकि कांग्रेस ने इसके जवाब में ट्वीट कर कहा है कि ‘सिंधिया जी की 18 साल की राजनीति में कांग्रेस ने उन्हें 17 साल तक सांसद, 2 बार केन्द्रीय मंत्री और पार्टी का मुख्य सचेतक, राष्ट्रीय महासचिव, यूपी प्रभारी और कांग्रेस कार्यसमिति का सदस्य बनाया, इसके बावजूद वह मोदी-शाह की शरण में क्यों चले गए?’