भतीजे ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने पर वसुंधरा राजे ने खुशी जाहिर की है। वसुंधरा राजे ने कहा कि “ज्योतिरादित्य सिंधिया ने विजया राजे सिंधिया की विरासत को आगे बढ़ाते हुए देशहित में भाजपा में शामिल होने का फैसला किया है। मैं उनके इस फैसले का निजी और राजनैतिक तौर पर स्वागत करती हूं।” हालांकि राजनैतिक गलियारे में चर्चाएं हैं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने से वसुंधरा राजे को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है।

समझें सियासी नफा-नुकसानः राजस्थान विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद से वसुंधरा राजे साइड लाइन चल रही हैं। राजनैतिक जानकारों का मानना है कि अब ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में आने पर उनकी वापसी ज्यादा मुश्किल हो सकती है।

दरअसल ज्योतिरादित्य सिंधिया को मोदी कैबिनेट में जगह मिलने की खबरें आ रही हैं। ऐसे में जब वसुंधरा राजे अपने बेटे और झालावाड़ से सांसद दुष्यंत सिंह को मोदी सरकार के मंत्री मंडल में शामिल करने की कोशिशों में जुटी हैं, वहां सिंधिया को कैबिनेट पद मिलने पर दुष्यंत सिंह को कैबिनेट में जगह मिलना बेहद मुश्किल हो जाएगा क्योंकि सरकार राजपरिवार के दो सदस्यों को शायद ही कैबिनेट में शामिल करे।

गौरतलब है कि वसुंधरा राजे और पीएम मोदी के संबंध 2014 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से ही तनावपूर्ण रहे हैं। विधानसभा चुनाव के वक्त वसुंधरा राजे और अमित शाह के संबंधों में भी खटास की खबरें आयीं थी। दरअसल अमित शाह गजेन्द्र सिंह शेखावत को राजस्थान प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष बनाना चाहते थे, लेकिन वसुंधरा राजे इसके लिए तैयार नहीं हुई।

इसके बाद विधानसभा चुनाव में हार के बाद से पार्टी ने राजे को लगभग दरकिनार कर दिया है और विधानसभा में विपक्ष के नेता समेत कई अहम पदों पर वसुंधरा राजे के विरोधी और आरएसएस समर्थक माने जाने वाले नेताओं की नियुक्ति की है।

अब सिंधिया राजपरिवार के सदस्य ज्योतिरादित्य के पार्टी में आ जाने से वसुंधरा के लिए दमदार वापसी करना मुश्किल हो सकता है। हालांकि वसुंधरा राजे समर्थक ऐसा नहीं मानते हैं। उनका कहना है कि वसुंधरा राजे जैसी बड़े कद वाली नेता को साइड लाइन करना भाजपा के लिए इतना आसान नहीं है। बता दें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस के साथ 18 साल पुराना नाता तोड़ते हुए बुधवार को भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी।