Justice Yashwant Verma Impeachment: संसद का मानसून सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है। इसमें विपक्ष कई मुद्दों पर सरकार को घेरने की प्लानिंग कर रहा है। दूसरी ओर दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस यशवंत वर्मा के घर पर मिले जले हुए नोटों का मुद्दा भी काफी अहम है। सुप्रीम कोर्ट की रिपोर्ट के जस्टिस वर्मा के खिलाफ संसद में महाभियोग प्रस्ताव आने का अनुमान है। इसको लेकर ही अब संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने अहम टिप्पणी की है।
दरअसल, संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने मानसून सत्र शुरू होने से एक दिन पहले बताया कि जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए 100 से ज़्यादा सांसदों ने अपनी सहमति पर हस्ताक्षर किए हैं। नकदी बरामदगी ने न्यायपालिका में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोपों को जन्म दिया, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने जांच शुरू की। तीन सदस्यीय पैनल ने उनके खिलाफ महाभियोग चलाने की सिफ़ारिश की है, और जज ने इसे शीर्ष अदालत में चुनौती दी है।
संसद की सर्वोच्चता को अहमियत
जस्टिस यशवंत वर्मा के कैश कांड के बाद सत्ताधारी पार्टी के कई नेता सुप्रीम कोर्ट पर न्यायिक अतिक्रमण का आरोप लगाने और संसद की सर्वोच्चता को बढ़ावा देने का मामला सामने आया है। इससे पहले, केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि न्यायपालिका में भ्रष्टाचार एक “बेहद संवेदनशील” मामला है और सभी राजनीतिक दल इस मुद्दे पर एकजुट हैं। उन्होंने आज कहा, “सरकार इसी सत्र में न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाएगी।
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संविधान में क्या है नियम?
संविधान के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय के किसी भी जज को केवल “सिद्ध कदाचार या अक्षमता” के आधार पर राष्ट्रपति के आदेश द्वारा ही पद से हटाया जा सकता है। ऐसे मामले में महाभियोग का प्रस्ताव तभी स्वीकार किया जाएगा, जब उसे राज्यसभा में कम से कम 50 सदस्यों या लोकसभा में कम से कम 100 सदस्यों का समर्थन प्राप्त हो। इस प्रस्ताव को पारित होने के लिए सदन के दो-तिहाई सांसदों के समर्थन की आवश्यकता होगी।
इस मामले में कांग्रेस बीजेपी के साथ आ गई है। सूत्रों ने बताया कि विपक्ष के नेता राहुल गांधी सहित लगभग 35 लोकसभा सांसदों ने न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं।
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