Justice Yashwant Varma Transfer: सरकारी आवास से जले हुए नोटों की गड्डियां मिलने के बाद जस्टिस यशवंत वर्मा को लेकर राजनीति और वकालत से जुड़े लोगों की लगातार प्रतिक्रिया सामने आ रही है। इस बीच केंद्र सरकार ने जस्टिस वर्मा का इलाहाबाद हाई कोर्ट में तबादला किए जाने को मंजूरी दे दी है और इसे लेकर नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है। इस मामले में CPI की ओर से भी तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है।

CPI सांसद पी. संदोष कुमार ने ANI से बातचीत में कहा, ‘वास्तव में उन्हें जज के पद से हटा दिया जाना चाहिए। उनके बारे में हुए खुलासे चौंकाने वाले हैं। इलाहाबाद हाई कोर्ट के वकील भी उनके ट्रांसफर के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। इलाहाबाद हाई कोर्ट देश का प्रतिष्ठित हाई कोर्ट है और इसे उनके जैसे लोगों के लिए डंपिंग सेंटर नहीं बनना चाहिए। सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए।’

बताना होगा कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को निर्देश दिया गया है कि जस्टिस यशवंत वर्मा जब इलाहाबाद हाई कोर्ट में जज के रूप में कार्यभार ग्रहण करें तो उन्हें कोई ज्यूडिशियल काम ना सौंपा जाए।

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हाई कोर्ट को कूड़ा घर में बदल दिया- अनिल तिवारी

दूसरी ओर, जस्टिस यशवंत वर्मा के इलाहाबाद हाई कोर्ट में ट्रांसफर का कड़ा विरोध करते हुए बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने इसे भारत की न्यायपालिका के लिए सबसे काला दिन कहा और घोषणा की कि वे उनके शपथ ग्रहण समारोह का बहिष्कार करेंगे।

इलाहाबाद हाई कोर्ट के वकील मंगलवार से हड़ताल पर हैं। शुक्रवार को PTI से बात करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने कहा, ‘इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने उनके शपथ ग्रहण समारोह का बहिष्कार करने का फैसला किया है। हमारी हड़ताल का स्वरूप बदल सकता है, लेकिन लड़ाई जारी रहेगी।’ उन्होंने कहा कि हमने अपनी अगली कार्रवाई तय करने के लिए वरिष्ठ अधिवक्ताओं के साथ आज रात एक आपातकालीन बैठक बुलाई है।

तिवारी ने ट्रांसफर को गलत बताते हुए कहा कि हम आम लोगों के लिए लड़ रहे हैं, यह अन्याय है और इलाहाबाद हाई कोर्ट को कूड़ा घर में बदल दिया गया है।

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