सुप्रीम कोर्ट से जस्टिस यशवंत वर्मा को बड़ी राहत मिली है। याचिका जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ मुकदमा दायर करने की मांग से संबंधित थी। कोर्ट ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि अभी मामले की इन हाउस कमेटी द्वारा जांच की जा रही है और इसके बाद चीफ जस्टिस के पास कार्रवाई करने के सारे विकल्प हैं। ऐसे में इस याचिका पर विचार करना उचित नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने दायर याचिका को प्रीमैच्योर करार दिया।

कब FIR का दिया जाएगा निर्देश?

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एस ओका और जस्टिस उज्जवल भुइयां की पीठ ने इस याचिका पर विचार किया। पीठ ने कहा कि अगर रिपोर्ट में कुछ गलत पाया जाता है, तो FIR दर्ज करने का निर्देश दिया जा सकता है या फिर मामले को संसद को भेजा जा सकता है। लेकिन अभी इस पर विचार करने का समय नहीं है।

याचिका के समर्थन में वकील ने केरल का उदाहरण दिया। वकील ने कहा, “देखिए केरल में क्या हुआ है? POCSO के मामले में एक रिटायर्ड जज के खिलाफ आरोप लगाया गया था और पुलिस आरोपी का नाम तक नहीं लिख पाई। आरोप गंभीर थे। केवल पुलिस ही इसकी जांच कर सकती है। अदालत जांच नहीं कर सकती। इस पर पीठ ने कहा कि इन हाउस जांच प्रक्रिया निर्धारित करने वाले दोनों फैसले पढ़ें। प्रक्रिया के बाद सभी विकल्प खुले हैं।”

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याचिका के पक्ष में वकील ने कहा, “आम आदमी पूछता रहता है कि 14 मार्च को FIR क्यों नहीं दर्ज की गई? कोई गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई और कोई जब्ती क्यों नहीं हुई? आपराधिक कानून क्यों नहीं लागू किया गया? कॉलेजियम ने यह क्यों नहीं कहा कि उसके पास वीडियो है। घोटाले को जारी करने में एक हफ्ते का समय क्यों लगा?”

जांच पर उठ रहे सवाल

इंडियन एक्सप्रेस की ही एक रिपोर्ट के मुताबिक आग लगने के बाद अधिकारियों की टीम घटनास्थल पर काफी देर से पहुंची थी, ऐसे में कई पहलुओं पर जांच की जा रही है। उनके दिल्ली वाले आवास के उस इलाके को सील कर दिया गया है जहां पर अधजले नोट मिले थे। बुधवार को तीन सदस्य जांच टीम एक पुलिस अधिकारी के साथ जस्टिस यशवंत वर्मा के घर पहुंची थी। करीब दो घंटे तक जांच टीम वहां रुकी, उसके बाद उस एरिया को सील किया गया जहां आग लगी थी।