दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से भारी मात्रा में कैश बरामद होने पर उठे विवाद के बीच अदालत ने सोमवार को जस्टिस वर्मा से न्यायिक कार्य तत्काल प्रभाव से वापस ले लिया गया है। इस बीच जांच में मदद के लिए घटनास्थल पर पहुंचे 5 पुलिसकर्मियों ने मुख्यालय को अपने फोन सौंप दिए हैं।

इंडियन एक्सप्रेस को मिली जानकारी के अनुसार, 14 मार्च की रात दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के घर पर आग लगने की घटना के दौरान सबसे पहले प्रतिक्रिया देने वालों में शामिल पांच पुलिसकर्मियों ने अपने फोन दिल्ली पुलिस मुख्यालय को सौंप दिए हैं। सूत्रों ने बताया कि इन फोन का इस्तेमाल सीजेआई संजीव खन्ना द्वारा गठित न्यायाधीशों की तीन सदस्यीय समिति द्वारा की जा रही जांच में किया जाएगा। समिति का गठन आग लगने के दौरान कथित तौर पर नकदी मिलने के मद्देनजर किया गया है।

Justice Varma Cash Row: 5 पुलिसकर्मियों के फोन की होगी जांच

सोमवार की सुबह तुगलक रोड थाने के स्टेशन हाउस ऑफिसर समेत पांच पुलिसकर्मियों को दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा ने अपने दफ़्तर में बुलाया। पता चला है कि अरोड़ा ने उनसे पूछताछ में सहयोग करने और कोई भी जानकारी देने में संकोच न करने को कहा। पांच पुलिसकर्मियों में एसएचओ, एक सब-इंस्पेक्टर, दो हेड कांस्टेबल और एक कांस्टेबल शामिल हैं। हेड कांस्टेबल में से एक जांच अधिकारी (आईओ) भी है।

वहीं, दिल्ली पुलिस ने सोमवार को दिल्ली फायर ब्रिगेड सर्विस को पत्र लिखकर आग लगने के कारणों के बारे में जानकारी मांगी है। यह आग जस्टिस के आवास से लगे स्टोर रूम में लगी थी।

 जस्टिस वर्मा के घर जांच के लिए पहुंची कमेटी

जस्टिस वर्मा के घर आग बुझाने में लगे थे 20 मिनट

बताया जा रहा है कि नई दिल्ली जिला पुलिस ने घटना पर दो रिपोर्ट तैयार की हैं और उन्हें पुलिस प्रमुख के कार्यालय में जमा कर दिया है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि आग लगने की रात को जज के निजी सहायक ने फोन किया और पुलिस के पहुंचने से पहले दो दमकल गाड़ियां मौके पर पहुंच गईं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि एनडीएमसी और सीपीडब्ल्यूडी के अधिकारी जज के आवास पर पहुंचे और आग बुझाने में करीब 20 मिनट लग गए।

दिल्ली पुलिस ने दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय के कार्यालय को पिछले 6 महीनों में जस्टिस वर्मा के आवास पर तैनात सुरक्षाकर्मियों का विवरण और उसी अवधि के उनके कॉल डिटेल रिकॉर्ड भी सौंपे हैं। मुख्य न्यायाधीश के कार्यालय ने सीजेआई के निर्देशों के बाद पुलिस प्रमुख को पत्र लिखकर ये विवरण मांगे थे।