न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित भारत के 49वें प्रधान न्यायाधीश हैं। न्यायमूर्ति ललित आजाद भारत के इतिहास में महज दूसरे प्रधान न्यायाधीश हैं, जो सीधे बार से सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंचे। उनसे पहले न्यायमूर्ति एसएम सीकरी जनवरी 1971 में जब देश के 13वें प्रधान न्यायाधीश बने थे तो वह वकालत से सीधे उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश नियुक्त होने वाले पहले न्यायाधीश थे।

गर्वनमेंट ला कालेज, मुंबई से कानून की पढ़ाई करने वाले न्यायमूर्ति यूयू ललित का परिवार पिछली एक सदी से कानून और न्यायपालिका से जुड़ा है। उनका जन्म महाराष्ट्र के शोलापुर में यूआर ललित के यहां नौ नवंबर 1957 को हुआ। उनके पिता बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ के अतिरिक्त न्यायाधीश रहे हैं और सर्वोच्च न्यायालय में वरिष्ठ वकील के तौर पर वकालत भी करते रहे हैं। उनके दादा रंगनाथ ललित भी वकालत के पेशे से जुड़े थे।

न्यायमूर्ति यूयू ललित के वकालत के शुरूआती दिनों की बात करें तो पढ़ाई पूरी करने के बाद जून 1983 में वह महाराष्ट्र और गोवा बार काउंसिल में पंजीकृत हुए और उन्होंने एडवोकेट एमए राणे के साथ वकालत शुरू की। वर्ष 1985 में वह दिल्ली चले आए और सीनियर एडेवोकेट प्रवीन के पारेख के साथ जुड़ गए। वर्ष 1986 से 1992 के बीच उन्होंने भारत के पूर्व अटार्नी जनरल सोली सोराबजी के साथ काम किया। तीन मई 1992 को उन्होंने उच्चतम न्यायालय के एडवोकेट-आन-रिकार्ड के रूप में पंजीकरण हासिल किया और 29 अप्रैल 2004 को उन्हें उच्चतम न्यायालय के सीनियर एडवोकेट का दर्जा दिया गया।

वर्ष 2011 में उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी और न्यायमूर्ति अशोक कुमार गांगुली की पीठ ने उन्हें 2जी स्पेक्ट्रम मामलों में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) का विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किया। उनकी नियुक्ति के समय कहा गया था कि उनकी पेशेवर समझ, कानूनी सवालों को धैर्य के साथ स्पष्ट करने का गुण और मामले को बड़े सरल अंदाज में, लेकिन पूरी दृढ़ता के साथ पेश करने का उनका हुनर उन्हें इस पद के लिए योग्य बनाता है।

जुलाई 2014 में उच्चतम न्यायालय के कोलेजियम ने न्यायमूर्ति यूयू ललित को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के तौर पर पदोन्नत करने की सिफारिश की और उन्हें 13 अगस्त 2013 को न्यायाधीश नियुक्त किया गया। वकालत से सीधे उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश के पद तक पहुंचने वाले वह मात्र छठे वकील हैं। न्यायाधीश के तौर पर उन्होंने ऐसे फैसले सुनाए जो उनकी कानूनी बारीकियों की समझ के साथ ही सामाजिक दायित्वों के निर्वाह की मिसाल बन गए।