जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (दिल्ली) के पूर्व छात्र कन्हैया कुमार को संघ परिवार से जुड़े संगठनों की धमकी के चलते कर्नाटक में एक संस्थान में पहले से तय उनका कार्यक्रम रद्द कर दिया गया। संस्थान ने मौखिक रूप से इस बाबत पूर्व को छात्र जानकारी दी। एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक गुलबर्गा यूनिवर्सिटी में कन्हैया के कार्यक्रम को रद्द किए जाने पर लेखकों और विचारकों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। इन्होंने आरोप लगाया कि फासीवादी ताकतें लोगों को उनके मौलिक अधिकारों से वंचित कर रह रही है।
अंग्रेजी अखाबर द टेलीग्राफ में छपी एक खबर के मुताबिक कन्हैया को मंगलवार को ‘भारतीय संविधान बचाने में युवाओं की जिम्मेदारी’ पर एक छात्रों को संबोधित करना था। मगर यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर प्रमिला आंबेकर ने एकाएक सोमवार आधी रात को कार्यक्रम की अनुमति वापस ले ली। बताया जाता है कि दक्षिणपंथी हिंदू संगठनों द्वारा कार्यक्रम को बाधित करने की धमकी देने के बाद वाइस चांसलर को कार्यक्रम की अनुमति रद्द करनी पड़ी। आदेश के तुरंत बाद ही शहर की पुलिस ने यूनिवर्सिटी कैंपस के भीतर जाने पर रोक लगा दी।
उल्लेखनीय है कि वाइस चांसलर से अनुमति ना मिलने के बाद आयोजकों ने कार्यक्रम को दूसरे स्थान पर आयोजित करने का निर्णय लिया मगर पुलिस ने यह कहते हुए अनुमति देने से इनकार कर दिया कि इतने छोटे नोटिस पर उन्हें कार्यक्रम को सुरक्षा मुहैया कराना मुश्किल होगा। कार्यक्रम रद्द होने के बाद हालांकि कन्हैया वामपंथी और दलित लेखकों व विचारकों द्वारा आयोजित दूसरे कार्यक्रम में शामिल होने के लिए चले गए। यह कार्यक्रम बुधवार को यूनिवर्सिटी कैंपस से दूर बीआर आंबेडकर डिग्री कॉलेज में आयोजित किया गया।
इसी बीच कार्यक्रम की अनुमति ना दिए जाने पर छात्रों और प्रगतिशील संगठनों के निशाने पर यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर आंबेकर ने कहा कि उन्होंने कानून व्यवस्था की समीक्षा के बाद यह फैसला लिया था और डिपार्टमेंट (शिक्षा) को मौखिक रूप से कार्यक्रम रद्द करने के आदेश दिए गए। जब अखबार ने इस बाबत वाइस चांसलर से संपर्क करने की कोशिश की तो उनकी प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई। उनके ऑफिस से बताया गया कि आंबेकर तब प्रेस कॉन्फ्रेंस में व्यस्त थीं।
वहीं मंगलवार को एक भाजपा नेता ने कहा कि कन्हैया का आरोप है कि उनका कार्यक्रम बीजेपी की वजह से रद्द हुआ, लेकिन यह सच नहीं है। उन्होंने कहा, ‘क्या अन्य राजीतिक संगठनों और दूसरी विचारधाराओं के छात्र यूनिवर्सिटी में नहीं हैं?’ मामले में कर्नाटक के शिक्षा मंत्री ने कहा कि यूनिवर्सिटी सीखने की जगह है, ना की राजनीतिक चर्चा की।

