भारत में कोरोनावायरस महामारी का असर अब तेजी से फैलने लगा है। महाराष्ट्र-दिल्ली समेत ज्यादातर राज्यों में अस्पतालों में बेड्स तेजी से घिर रहे हैं। इसके साथ ही गंभीर मरीजों की तादाद भी बढ़ी है। कई राज्यों ने केंद्र सरकार से जल्द से जल्द वेंटिलेटर मुहैया कराने की मांग की है। हालांकि, केंद्र सरकार भी अब इसमें बेबस नजर आ रही है। पीएम-केयर्स फंड के तहत जिन 50 हजार मेड इन इंडिया वेंटिलेटर्स का लक्ष्य रखा गया है, उनमें से अभी सिर्फ 6 फीसदी वेंटिलेटर्स ही मैन्युफैक्चर हो पाए हैं।
वेंटिलेटर्स की मैन्युफैक्चरिंग की यह स्थिति देश में मेडिकल इक्विपमेंट से जुड़े कंपोनेंट्स के उत्पादन की खराब हालत को दर्शाती है। सूत्रों के मुताबिक, नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत, डीपीआईआईटी सचिव गुरप्रसाद मोहपात्रा और डीआरडीओ के चेयरमैन सतीश रेड्डी ने कंपोनेंट्स के उत्पादन में इस कमी को 11 जून की सरकार और उद्योगों के बीच हुई बातचीत में भी उठाया था। इसमें प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर डी विजयराघवन भी मौजूद थे।
इंडियन एक्सप्रेस को मिली इस ई-कॉन्फ्रेंस की जानकारी के मुताबिक, बातचीत में वेंटिलेटर्स के देरी से बनने के मुद्दे को उठाया गया था। एक अधिकारी ने कहा था कि इसकी बड़ी वजह यह है कि देश में वेंटिलेटर बनाने के लिए कुछ अहम कलपुर्जों की कमी है।
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इस बीच प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से मंगलवार को जारी हुए बयान में कहा गया कि पीएम केयर्स फंड के तहत बनने वाले कुल 50 हजार वेंटिलेटर्स में से अब तक 2923 का उत्पादन हुआ है। इनमें से 1340 वेंटिलेटर पहले ही राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भेजे जा चुके हैं। सबसे ज्यादा 275 वेंटिलेटर महाराष्ट्र को, 275 दिल्ली को, 175 गुजरात को, 100 बिहार को, 90 कर्नाटक को और 75 राजस्थान को दिए गए हैं। जून 2020 के अंत तक 14 हजार और वेंटिलेटर्स राज्यों को भेजे जाएंगे।
11 जून को हुई ई-कॉन्फ्रेंस में मोहपात्रा ने बताया था कि सरकार ने चार भारतीय वेंटिलेटर उत्पादकों को 60 हजार वेंटिलेटर्स का ऑर्डर दिया है। लेकिन कुछ अहम कंपोनेंट्स की कमी से उनके बनने में देरी हो रही है, क्योंकि भारत इनके लिए आयात पर निर्भर है। वहीं, नीति आयोग के सीईओ ने कहा था कि वेटिलेटर के पार्ट्स भारत में मैन्युफैक्चर नहीं होते, जिससे वेंटिलेटर्स बनने में काफी देरी आ रही है। डीआरडीओ चेयरमैन ने भी भारत की आयात पर निर्भरता का मुद्दा उठाते हुए कहा था कि हमें देश में कंपोनेंट के उत्पादन का माहौल जल्द खड़ा करना होगा।