बेल देने के मामले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का ट्रायल कोर्ट के जज से जवाब तलबी करना सुप्रीम कोर्ट को रास नहीं आया। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने हाईकोर्ट को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि जब जमानत नियमों के मुताबिक दी गई थी तो आपने जवाब कैसे मांग लिया। उनका कहना था कि बड़ी अदालतें इस तरह की हरकत करेंगी तो लोअर कोर्ट के जज डर जाएंगे। सीजेआई यहीं नहीं रुके। उन्होंने हाईकोर्ट के फैसले को रद कर दिया।

सीजेआई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला एक याचिका की सुनवाई कर रहे थे, जिसमें मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी।

बेंच ने पूरा मामला देखा तो सीजेआई का पारा चढ़ गया। उन्होंने हाईकोर्ट को झाड़ लगाते हुए कहा कि आप कैसे एडिशनल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज से जवाब मांग सकते हैं। अगर लोअर कोर्ट ने सही फैसला दिया है तो फिर उन्हें बेवजह धमकाया जाना गलत है। ऐसे तो वो डर डाएंगे।

हाईकोर्ट ने रिजेक्ट कर दी थी बेल, ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को छोड़ दिया

सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले शख्स पर आरोप था कि उसने मामले के शिकायतकर्ता पर हमला किया था। उसे पुलिस ने अरेस्ट किया। मामला कोर्ट पहुंचा तो याचिकाकर्ता ने जमानत के लिए अर्जी लगाई। लेकिन ट्रायल कोर्ट ने दरखास्त को खारिज कर दिया। आरोपी ने हाईकोर्ट में जमानत के लिए याचिका दी तो वहां से भी उसे मायूस होना पड़ा।

हालांकि हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि आरोपी तय समय के बाद बेल के लिए फिर से अर्जी दाखिल कर सकता है। आरोपी ने फिर से जमानत की अर्जी ट्रायल कोर्ट में दी। जज ने पाया कि पुलिस ने मामले में आरोप पत्र दाखिल कर दिया है और मामले के दूसरे आरोपी भी जमानत पर बाहर हैं। लिहाजा ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को जमानत पर रिहा कर दिया।

सिंगल बेंच ने बेल देने वाले जज को जारी करा दिया शोकॉज नोटिस

अलबत्ता हाईकोर्ट के सिंगल जज की बेंच को ट्रायल कोर्ट का फैसला सही नहीं लगा। उन्होंने जमानत को रद करते हुए कहा कि जब हम जमानत नहीं दे रहे तो आपने कैसे दे दी। केवल इस आधार पर कि मामले में आरोप पत्र दाखिल हो चुका है और दूसरे आरोपी जमानत पर हैं। उन्होंने रजिस्ट्रार जनरल को हिदायत जारी की कि हरदा के सेकेंड एडिशनल सेशन जज को शोकॉज नोटिस देकर पूछा जाए कि जमानत क्यों दी गई।