नड्डा ने जिस तरह से अपने गृह राज्य में सक्रियता बढ़ाई है, उससे कांग्रेस से ज्यादा भाजपा में हलचल है। हिमाचल जैसे छोटे राज्य, जहां केवल चार लोकसभा सीटें हैं, बेशक नड्डा का यह गृह राज्य है, मगर तीन दिन लगातार हिमाचल में रहकर रैलियां, बैठकें व मुलाकातें करना अपने आप में कई संदेश दे रहा है।

नड्डा ने 12 जून को प्रदेश के सबसे बड़े जिले कांगड़ा के नूरपुर में रैली की। फिर उन्होंने हमीरपुर पहुंच कर पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल से मुलाकात की और फिर अपने गृह जिले बिलासपुर पहुंचे। 13 जून को उन्होंने बिलासपुर में कई मुलाकातें की व कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें कीं। 14 जून को कुल्लू में एक बड़ी रैली होगी।

यूं तो विधानसभा चुनावों में भी नड्डा कई दिन तक हिमाचल में रहे थे और उन्होंने बड़ी रैलियों के साथ साथ नुक्कड़ सभाएं तक की थीं, मगर इसके बावजूद प्रदेश में भाजपा सत्ता में नहीं आ पाई। शायद यह मलाल राष्ट्रीय अध्यक्ष के मन में जरूर है कि इतनी मेहनत के बावजूद भी वे प्रदेश में भाजपा की सरकार दुहरा नहीं पाए। उनके अध्यक्ष रहते कई राज्यों में भाजपा सरकारें दोबारा सत्ता में आईँ, मगर उनके ही गृह राज्य में ऐसा न होने का एक मलाल उन्हें जरूर रहा होगा।

यह जानते हुए भी कि पिछले दो लोकसभा चुनावों से हिमाचल के लोग पूरी तरह से नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट देते हुए चारों सीटों को अच्छे अंतर से भाजपा की झोली में डालते आ रहे हैं और 2024 में भी नरेंद्र मोदी के नाम पर ही भाजपा वोट मांगेगी, पर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है, ऐसे में नड्डा शायद कोई जोखिम नहीं लेना चाहते हैं और इस स्कोर को बरकरार रखना चाहते हैं।

नड्डा का यह चुनावी शंखनाद हो सकता है मगर खबरें यह भी आ रही हैं कि वे मंडी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। चूंकि कुल्लू से उनका गहरा संबंध है, उनकी बुआ वहीं रहती हैं और वे अक्सर यहां आते भी रहते हैं, ऐसे में कई बार उनके मंडी लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ने की खबरें आती रहती हैं।

चूंकि 2021 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस की प्रतिभा सिंह ने भाजपा के बिग्रेडियर खुशाल ठाकुर को कुछ हजार मतों से हरा दिया था, ऐसे में मंडी सीट को लेकर भाजपा में खूब मंथन चल रहा है। यहां से पूर्व मुख्यमंत्री व प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष जय राम ठाकुर का भी नाम लिया जा रहा है। हालांकि उनके नजदीकी सूत्रों के अनुसार वे हिमाचल की राजनीति से कतई बाहर नहीं जाना चाहते। मगर आलाकमान के आदेश को वे नजरअंदाज कर ही नहीं पाएंगे।

जो भी समीकरण हिमाचल प्रदेश में लोकसभा चुनावों को लेकर हैं, उसे देखते हुए नड्डा के दौरे को बड़ा अहम माना जा रहा है। हमीरपुर में पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल जिनके मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री रहते हुए ही नड्डा ने दिल्ली का रुख कर लिया था और मंत्री पद छोड़ कर दिल्ली जाकर संगठन के काम में लग गए थे, से मुलाकात को भी राजनीतिक लिहाज से किसी बड़े फेरबदल से जोड़ कर देखा जा रहा है।

धूमल के बेटे केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर का राजनीतिक कद भी दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। नरेंद्र मोदी सरकार में उनकी अच्छी पकड़ हो चुकी है। ऐसे में गाहे बगाहे उनके भी हिमाचल की राजनीति में लौटने की चर्चाएं चलती रहती हैं। अपने दौरे के बहाने नड्डा हिमाचल की वर्तमान की राजनीति की टोह लेने में लगे हैं। ऐसे में लगता है कि आने वाले दिनों प्रदेश की राजनीति में जहां तक भारतीय जनता पार्टी की बात है, कुछ नया देखने को मिलेगा।