जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष कन्हैया कुमार पर लगे देशद्रोह के आरोप साबित करने के लिए दिल्ली पुलिस ने जिन 17 लोगों को गवाह बनाया है। उनमें से चार एबीवीपी के सदस्य हैं। इन गवाहों में शामिल JNU के सिक्योरिटी ऑफिसर का कहना है कि कन्हैया ने विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया था, जबकि 12 अन्य सुरक्षाकर्मियों का कहना है कि 15 से 20 छात्रों ने राष्ट्र विरोधी नारे लगाए थे और कन्हैया कुमार भी वहीं पर मौजूद था।
पुलिस के मुताबिक, चश्मदीदों ने कन्हैया को गैरकानूनी विरोध प्रदर्शन में शामिल होते देखा था, जिसमें देशविरोधी नारे लगाए गए थे। जी न्यूज पर दिखाए गए प्रदर्शन के 30 मिनट के वीडियो में कन्हैया 17:30 मिनट पर दिखाई देता है। कन्हैया के खिलाफ दर्ज रिपोर्ट में पांच छात्रों का स्टेटमेंट भी है, जिनमें एक बीजेपी के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्य हैं। उसने अपने बयान में कहा है, ’15 से 20 छात्र देशविरोधी नारे लगा रहे थे और कन्हैया भी उस वक्त वहां पर मौजूद था।
सोमवार को हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को यह कहते हुए कड़ी फटकार लगाई कि क्या उसे पता है कि देशद्रोह किसे कहते हैं। सुनवाई के दौरान पुलिस ने कोर्ट को बताया कि उसके पास ऐसा कोई वीडियो नहीं है, जिसमें कन्हैया को देश विरोधी नारे लगाते हुए देखा जा सके। मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली हाइकोर्ट ने पुलिस से पूछा कि क्या उसके पास ऐसा कोई वीडियो है, जिसमें कन्हैया देश विरोधी नारे लगा रहा हो। इस पर दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को बताया कि उसके पास ऐसा कोई वीडियो नहीं है, लेकिन उसके पास कुछ गवाह हैं, जो कह रहे हैं कि कन्हैया ने नारे लगाए थे।
दिल्ली हाईकोर्ट ने ये सवाल भी उठाया कि जब 9 फरवरी को ही नारेबाजी के वक्त सादे कपड़ों मे पुलिस मौजूद थी तो फिर उसने चैनल के वीडियो का इंतजार क्यों किया गया? कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की खिंचाई करते हुए पूछा कि आपको पता भी है कि देशद्रोह होता क्या है? कोर्ट ने पूछा कि पुलिस बताए कि मामला कितना गंभीर है? क्या यह उम्रकैद का मामला है या फिर सिर्फ जुर्माने का। इस पर पुलिस ने जवाब दिया कि मामला स्पेशल सेल के पास चला गया है और अब सारी जिम्मेदारी उसी की है। मामले में कन्हैया के वकील और वरिष्ठ कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि कन्हैया ने कोई नारेबाजी नहीं की और न ही वह इसमें शामिल था, इसलिए उसके खिलाफ देशद्रोह का केस नहीं बनता है। वहीं दिल्ली सरकार ने कन्हैया की जमानत याचिका का समर्थन किया। सरकार ने कहा कि उसके खिलाफ कोई सबूत नहीं है और किसी निर्दोष को जेल में नहीं रखा जाना चाहिए।