जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय ने नौ फरवरी को कैंपस में हुए विवादास्पद कार्यक्रम की तीन प्रोफेसरों द्वारा की गयी शुरूआती जांच की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया है। इस कार्यक्रम के मामले में जेएनयूएसयू अध्यक्ष कन्हैया कुमार और दो अन्य छात्रों को गिरफ्तार किया गया था। विश्वविद्यालय ने आरटीआई कानून की धारा आठ (1)(G) और 8(1)(h) के प्रावधानों के तहत छूट का हवाला देते हुए कहा है कि नौ फरवरी 2016 को हुई घटनाएं और बाद के घटनाक्रम को लेकर विश्वविद्यालय स्तर पर जांच चल रही है।

धारा 8(1)(h) चल रही जांच के बारे में ऐसी सूचनाओं के खुलासे से छूट प्रदान करता है जिसके तहत किसी व्यक्ति की जान को खतरा हो सकता है या सूचनाओं के स्रोत की पहचान हो सकती है।

विश्वविद्यालय ने एक्टिविस्ट पारसनाथ सिंह को सूचना देने से मना करते हुए कारण नहीं बताया कि किस तरह खुलासे से जांच में बाधा आएगी जो कि न्यायमूर्ति रविंद्र भट द्वारा दिल्ली उच्च न्यायालय के ऐतिहासिक आदेश के बाद जरूरी है। भट ने आदेश में कहा था कि यह स्पष्ट है कि सूचना देने से इंकार के लिए जांच प्रक्रिया चलने को आधार नहीं बनाया जा सकता, सूचना देने वाले प्राधिकार को जरूर संतोषजनक कारण बताना होगा कि क्यों ऐसी सूचना के जारी करने से जांच प्रक्रिया बाधित होगी।