जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में पुलिस और जेएनयूएसयू (JNUSU) के छात्रों के बीच हिंसक झड़प हुई। इस घटना में कई छात्र घायल हुए हैं और पुलिस ने कुछ छात्रों को हिरासत में भी लिया है।

घटना की शुरुआत गुरुवार को हुई, जब जेएनयू की स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज़ की बैठक के दौरान लेफ्ट संगठनों से जुड़े छात्रों ने एक सर्कुलर जारी किया। इस सर्कुलर में सामाजिक न्याय के मुद्दे पर वसंत कुंज पुलिस स्टेशन तक मार्च निकालने की बात कही गई थी। छात्रों का आरोप था कि लेफ्ट से जुड़े छात्रों पर कथित हमले के बावजूद पुलिस ने एबीवीपी कार्यकर्ताओं के खिलाफ FIR दर्ज नहीं की, इसलिए वे प्रदर्शन करने जा रहे थे।

शनिवार को निकाले गए मार्च के दौरान स्थिति बिगड़ गई। पुलिस ने अपने बयान में कहा कि वे लगातार छात्र नेताओं के संपर्क में थे और कानूनी कार्रवाई का आश्वासन भी दिया गया था, लेकिन इसके बावजूद छात्र यूनियन ने मार्च जारी रखा।

पुलिस के अनुसार, शाम करीब 6 बजे 70–80 छात्र, जिनमें बड़ी संख्या में छात्राएं भी शामिल थीं, जेएनयू के पश्चिमी गेट पर इकट्ठा हुए। वहां पहले से ही पुलिस बैरिकेड लगे थे। आरोप है कि छात्रों ने अपील ठुकराते हुए जबरन बैरिकेड तोड़े, अधिकारियों के साथ धक्का-मुक्की की और अभद्र भाषा का प्रयोग किया। इस वजह से इलाके में कुछ समय के लिए ट्रैफिक भी बाधित हुआ।

पुलिस ने बताया कि किसी भी बड़ी अप्रिय घटना से बचने के लिए 28 छात्रों को हिरासत में लिया गया है। इनमें 19 पुरुष और 9 महिलाएं शामिल हैं। इसके साथ ही जेएनयूएसयू के अध्यक्ष नितीश कुमार, उपाध्यक्ष मनीषा और महासचिव मुनीता फ़ातिमा को भी डिटेन किया गया है।

वहीं, लेफ्ट संगठनों ने पलटवार करते हुए पुलिस पर एबीवीपी और आरएसएस के समर्थन में काम करने का आरोप लगाया है। यह पहली बार नहीं है जब जेएनयू में इस तरह का टकराव हुआ हो। इससे पहले भी CAA आंदोलन, कैंपस हिंसा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डॉक्यूमेंट्री जैसे मुद्दों पर कई बार छात्रों और पुलिस के बीच टकराव देखने को मिल चुका है। छोटे मुद्दों से शुरू हुआ विवाद अक्सर बड़े बवाल का रूप ले लेता है।