J&K को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले Article 370 के अधिकतर प्रावधानों को खत्म करने का ऐलान करने से पहले ही मोदी सरकार ने घाटी के कई प्रभावशाली लोगों को नजरबंद करने का फैसला किया था। नैशनल कॉन्फ्रेंस चेयरमैन फारूख अब्दुल्ला, उनके बेटे उमर अब्दुल्ला और पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती को अभी भी हिरासत में रखा गया है। हालांकि, घाटी में एक पखवाड़े से नजरबंद रखे जाने वालों में ये तीन पूर्व मुख्यमंत्री ही नहीं, बल्कि एक आईएएस टॉपर, एक पूर्व केंद्रीय मंत्री, सूबे के कई पूर्व मंत्री, श्रीनगर के मेयर और डिप्टी मेयर और कई पूर्व विधायक तक शामिल हैं।
सरकार इस बात पर विचार कर रही है कि कश्मीर में सुरक्षा पाबंदियों पर लगी बंदिशें धीमे-धीमे हटाई जाएं। हालांकि, आधिकारिक तौर पर इस बात की कोई घोषणा नहीं की गई है कि हिरासत में लिए गए इन नेताओं को कब रिहा किया जाएगा। जिन लोगों को हिरासत में रखा गया है, उनमें वकील, कारोबारी, प्रोफेसर, जम्मू-कश्मीर बार असोसिएशन के पूर्व सदस्य और सिविल सोसाइटी के सदस्य भी शामिल हैं।
इन लोगों को कब तक हिरासत में रखा जाएगा और इनका भविष्य क्या होगा, इस बारे में पूछे जाने पर मोदी सरकार में पीएमओ मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा, ‘हकीकत में मुझे उनका कोई भविष्य नहीं नजर आता। उन्हें भी इस बात का एहसास है कि उनकी राजनीतिक पारी अब खत्म हो चुकी है। यह सिर्फ मीडिया के एक धड़ा है जो उन्हें भविष्य में देखना चाहती है ताकि कहानी जारी रहे। कहानी खत्म हो चुकी है।’
हिरासत में रखे गए लोगों में कभी पीडीपी और भाजपा सरकार में बीजेपी के सीएम फेस समझे गए पीपुल्स कॉन्फ्रेंस नेता सज्जाद लोन भी शामिल हैं। लोन ने कभी पीएम नरेंद्र मोदी को अपना बड़ा भाई बताया था। इसके अलावा, इनमें श्रीनगर के मेयर जुनैद मट्टू भी शामिल हैं। मट्टू को गवर्नर सत्यपाल मलिक ने कश्मीरी राजनीति का नया चेहरा करार दिया था।
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हिरासत में रखे गए लोगों में आईएएस टॉपर और ब्यूरोक्रेट से राजनेता बने शाह फैजल, पीडीपी के यूथ प्रेसिडेंट वाहिद पर्रा, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर, प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सैफुद्दीन सोज, पीडीपी-बीजेपी सरकार में मंत्री रहे और महबूबा मुफ्ती के नजदीकी नईम अख्तर, नैशनल कॉन्फ्रेंस के जनरल सेक्रेटरी और पूर्व राज्य मंत्री अली मोहम्मद सागर, सूबे के पूर्व वित्त मंत्री अब्दुल रहीम राठेर, वरिष्ठ नैशनल कॉन्फ्रेंस नेता और पूर्व सांसद मोहम्मद शफी, पीडीपी नेता और पूर्व मंत्री गुलाम हसन मीर, जम्मू-कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट के प्रमुख हाकिम यासीन, सीपीएम के प्रदेश सचिव एमवाई तरिगामी भी शामिल हैं।
इसके अलावा, प्रभावशाली शिया नेता और पीडीपी-बीजेपी सरकार में मंत्री रहे इमरान अंसारी, नैशनल कॉन्फ्रेंस नेता और चार बार के विधायक मुबारक गुल, फारूख अब्दुल्ला की बहन और जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम गुलाम मोहम्मद शाह की पत्नी खालिदा शाह, उमर अब्दुला को 2014 आम चुनाव में हराने वाले मोहम्मद अशरफ मीर जैसे लोग भी फिलहाल नजरबंद हैं।