बिहार में बदलते राजनीतिक घटनाक्रम के बीच चारों तरफ से घिरे राज्य के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी आज कहा कि मांझी की नैय्या कभी नहीं डूबती। मांझी का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने का कार्यक्रम है।

कल पार्टी विधायकों की बैठक में जदयू विधायक दल के नेता पद से हटाए गए मांझी ने अपने भविष्य के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘‘मांझी की नाव कभी नहीं डूबती है।’’ उन्होंने आगे कुछ भी कहने से इंकार कर दिया।

बहरहाल, आज शाम पांच बजे मोदी और मांझी के बीच बैठक है जिसमें राज्य की वर्तमान राजनीतिक स्थिति पर चर्चा होने की उम्मीद है। बिहार में सत्तारूढ़ जदयू के विधायकों ने कल भारी बहुमत से नीतीश कुमार को पार्टी का नेता चुन लिया था।

जीतन राम मांझी ने कल इस्तीफा देने से इंकार कर दिया था और जदयू विधायक दल की बैठक को ‘असंवैधानिक’ करार दिया था। एक समय कुमार के अनुयायी माने जाने वाले मांझी ने उनके खिलाफ बगावत कर दी।

मांझी यहां नीति आयोग की बैठक में शामिल होने आए हैं जहां मोदी राज्यों के लिए बजटीय आवंटन और विभिन्न केंद्रीय परियोजनाओं के लिए मुख्यमंत्रियों का विचार जानेंगे।

इधर, जदयू ने इस कवायद में उनके (मांझी) के हिस्सा लेने की पहल को नामंजूर करते हुए कहा कि उनका मुख्यमंत्री के रूप में काम करना मुनासिब नहीं है।

बिहार में वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति में जदयू के संकट से घिरने के परिदृश्य में भाजपा अपनी स्थिति को मजबूत बनाने की कोशिश कर रही है। हालांकि वह मांझी को आगे बढ़ाने को लेकर दुविधा में है जिनके कार्यकाल में खराब प्रशासन की भाजपा की राज्य इकाई कड़ी आलोचना कर रही है।

अपनी पार्टी के अंदर समर्थन की कमी के कारण भी भाजपा इस महादलित नेता को आगे बढ़ाने को लेकर अपने कदम पीछे खींचने पर मजबूर हो रही है क्योंकि उसका मानना है कि बिहार विधानसभा में संख्याबल कुमार के पक्ष में है।

दूसरी ओर, मांझी राज्य में नये चुनाव की संभावना भी तलाश रहे हैं, जिसकी मांग भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी कर रहे है और ऐसा हो सकता है बशर्ते राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी विधानसभा भंग करने के कैबिनेट के प्रस्ताव से सहमत होते हैं।

कैबिनेट के केवल सात सदस्यों ने कल की बैठक में इस प्रस्ताव का समर्थन किया जबकि 21 सदस्यों ने इसका विरोध किया। बाद में कल जदयू के 111 विधायकों में से 97 विधायकों ने मांझी के स्थान पर नीतीश कुमार को अपना नेता चुन लिया।