जम्मू-कश्मीर में हिंदुओं की हत्या को लेकर अब विपक्ष मोदी सरकार पर जोरदार हमलावर रुख अपना चुका है। कांग्रेस, आप, शिवसेना, टीएमसी समेत लगभग सभी विपक्षी दलों ने सरकार की जमकर आलोचना की है। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा है कि कश्मीर को अब बिहारियों को सौंप देना चाहिए, वो वहां के हालात को सुधार देंगे। वहीं शिवसेना ने कहा है कि मौजूदा सरकार ने कश्मीर को 1990 के दशक के जैसा कर दिया है।
शिवसेना- शिवसेना सांसद संजय राउत ने कश्मीर में जारी टारगेट किलिंग को लेकर कहा- “आज कश्मीर में वही हालात पैदा हो गए हैं जो 1990 के दशक में थे। आपने (भाजपा) कश्मीरी पंडितों की घाटी में वापसी की बात की और हिंदुत्व के नाम पर वोट हासिल किए। जम्मू-कश्मीर में धारा 370 को निरस्त करने के बावजूद लोगों के जीवन में कोई सुधार नहीं हुआ है”।
आम आदमी पार्टी- दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी बीजेपी को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा- “कश्मीर में एक परिवार के आंसू सूखने से पहले एक और हमले की खबर आ जाती है। आतंकवादी खुलेआम लोगों का खून कर दहशत फैला रहे हैं पर BJP को कोई परवाह नहीं। BJP बता दे, उनको होश में आने के लिए और कितने मासूमों को अपने जान गंवानी पड़ेगी?”
कांग्रेस- कांग्रेस ने भी कश्मीरी पंडितों के पलायन का मुद्दा उठाते हुए कहा कि सरकार कश्मीर की हालात को सुधारने में विफल रही है। कांग्रेस ने कहा- “भाजपा ने फिर दिया पलायन का दर्द। आज कश्मीर में फिर 1990 वाली स्थिति है, जब भाजपा गठबंधन सरकार में कश्मीरी पंडितों का नरसंहार हुआ था। आज फिर कश्मीरी पंडित पलायन को मजबूर हैं”।
जीतन राम मांझी- जीतन राम मांझी ने एक बार फिर से कश्मीर को बिहारियों को सौंपने की मांग की है। साथ ही उन्होंने कश्मीर फाइल्स को लेकर भी हमला बोला है। उन्होंने कहा- “हमने पूर्व में कहा था कि द कश्मीर फाइल्स फिल्म आतंकी साजिश है, जिसको दिखाकर कश्मीर में खौफ एवं डर का माहौल बनाया जा रहा है। कश्मीर में घटित आतंकी वारदातों ने मेरी बातों को साबित कर दिया। मैं बस इतना ही कहूंगा कि अगर कश्मीर शांत करना है तो हम बिहारियों को सौंप दें, सब ठीक हो जाएगा”।
बता दें कि पिछले कुछ महीनों से घाटी में आंतकी टारगेट किलिंग करके कश्मीरी पंडितों और प्रवासी लोगों को निशाना बना रहे हैं। आतंकियों के हमलों में कई लोगों की मौत हो चुकी है। इसी खौफ के कारण कश्मीरी पंडित एक बार फिर से घाटी छोड़ने को मजबूर हो गए हैं।