Jharkhand Election: झारखंड में राज्य सरकार के वरिष्ठ मंत्री ने अपने ही सीएम के खिलाफ बिगुल फूंक दिया है। खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने सीएम रघुबर दास के खिलाफ जमशेदपुर पूर्व से चुनाव लड़ने की घोषणा की है। पार्टी ने सरयू राय को इस बार टिकट नहीं दिया है। माना जा रहा है कि टिकट नहीं मिलने की वजह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की राय के प्रति नाराजगी है।

हालांकि, कुछ लोग टिकट नहीं मिलने के पीछे नीतीश से उनके गहरे रिश्ते को भी कारण बता रहे हैं। सरयू राय पहले भी कई बार सार्वजनिक मंचों से सीएम दास और अपनी ही सरकार के खिलाफ काफी मुखर रहे हैं। भाजपा सरकार के इस मंत्री ने जमशेदपुर पूर्व के साथ जमशेदपुर पश्चिम सीट से भी चुनाव लड़ने की घोषणा की है। राय ने सोमवार को मंत्री पद से इस्तीफा देने की घोषणा की है।

राय ने कहा है कि वह सोमवार को राज्यपाल को अपना इस्तीफा भेजने के बाद ही नामांकन करने जाएंगे। पार्टी की तरफ से टिकट नहीं मिलने के बाद सरयू राय ने निर्दलयी चुनाव लड़ने का फैसला किया है। सरयू राय 2014 में जमशेदपुर पश्चिम सीट से चुनाव जीते थे। इस फैसले के बाद से उन्हें विपक्षी दलों का भी समर्थन मिल रहा है।

झारखंड मुक्ति मोर्चा ने सरयू राय के भाजपा छोड़ने और मुख्यमंत्री के खिलाफ चुनाव लड़ने को न्याय की जीत बताया है। झामुमो के नेता हेमंत सोरेन ने विपक्षी दलों से अपील की है कि वे सरयू राय का चुनाव में समर्थन करें। इससे पहले सरयू राय ने शनिवार को राज्य के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन को राज्य का भविष्य बताया था।

मालूम हो कि सरयू राय ने चारा घोटाला मामले में सजा काट रहे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व राजद सुप्रीम लालू यादव को लेकर अपने ही मुख्यमंत्री को राजधर्म का पाठ पढ़ाया था। उन्होंने बीमार राजद अध्यक्ष को इलाज के लिए विमान की जगह ट्रेन से दिल्ली के एम्स भेजने के फैसले की निंदा की थी। उन्होंने सरकार के फैसले को अपरिपक्व बताया था।

सरयू राय को लालू यादव का धुर विरोधी माना जाता है। चारा घोटाले को उजागर करने में उनकी भी भूमिका रही थी। राय ने 1990 में आडवाणी के मामले लालू के राजनीतिक शिष्टाचार का भी हवाला दिया था। उन्होंने कहा था कि जब लालू यादव गिरफ्तारी के बाद आडवाणी को हेलीकॉप्टर से दुमका जेल भिजवाया था। इतना ही लालू ने आडवाणी से मिलने पहुंचे उनके परिजनों को भी सरकारी सुविधा का इंतजाम करवाया था।