जनता दल यूनाइटेड के महासचिव पवन वर्मा ने अपने एक बयान में अयोध्या में राम मंदिर बनाने की वकालत की है। पवन वर्मा ने अपने एक बयान में कहा है कि “भगवान राम दुनिया के सबसे पुराने धर्मों में से एक धर्म के सबसे सम्मानित देवता हैं। फिर उनका मंदिर क्यों नहीं बनना चाहिए? यह मंदिर देश को एक बार फिर से उच्च व्यवहार और शिष्टाचार की याद दिलाएगा, जो भगवान राम के साथ जुड़े हैं।” अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बनाने का समर्थन करते हुए पवन वर्मा ने कहा कि “जो लोग मंदिर का विरोध कर रहे हैं, मैं उनसे अपील करता हूं कि वह मान जाएं। यह उनके साथ-साथ देश के हित में भी है। यह मामला अब सुलझना चाहिए और ऐसे तरह के विवाद आगे ना हों, उसके लिए भी कदम उठाए जाने चाहिए।”

जदयू महासचिव के इस बयान के राजनैतिक हलकों में कई मायने निकाले जा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि पवन वर्मा का यह बयान ऐसे वक्त आया है, जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखिया मोहन भागवत ने भी गुरुवार को अपने एक बयान में कहा कि अयोध्या में राम मंदिर बनना चाहिए। मोहन भागवत ने कहा कि यह एक तथ्य है कि राम मंदिर को गिराया गया…..हर किसी को इस सच्चाई को स्वीकार कर लेना चाहिए। भगवान राम हमारी आस्था के प्रतीक हैं। देश की जनता चाहती है कि अयोध्या में जल्द से जल्द राम मंदिर का निर्माण हो। एक बार अयोध्या में मंदिर का निर्माण हो जाएगा तो हिंदू और मुस्लिमों के बीच विवाद का एक बड़ा मुद्दा सुलझ जाएगा। मोहन भागवत ने ये बातें ‘अयोध्या का चश्मदीद’ और ‘युद्ध में अयोध्या’ नामक किताबों की लॉन्चिंग के मौके पर कही। इन किताबों के लेखक पत्रकार हेमंत शर्मा है, जिन्होंने इन किताबों में रामजन्मभूमि आंदोलन के मुख्य इवेंट का विवरण इन किताबों में किया है।

वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती ने मोहन भागवत के इस बयान पर भाजपा को निशाने पर लेने का प्रयास किया है। बसपा सुप्रीमो ने एक बयान जारी कर कहा कि केन्द्र सरकार की विफलताओं पर जनता के गुस्से से आरएसएस भी चिंतित है। मायावती ने कहा कि आरएसएस ने भाजपा की जीत के लिए सब कुछ दांव पर लगा दिया था। अब इन विफलताओँ से ध्यान बांटने का इस तरह का प्रयास सफल होने वाला नहीं है। बसपा सुप्रीमो ने कहा कि एक नहीं बल्कि अनेक मंदिर बन जांए तब भी संकीर्ण संघी हिंदू व मुसलमानों के बीच रिश्ते सुधरने वाले नहीं हैं।