कुछ महीने पहले जब जेडीयू आईएनडीआईए ब्लॉक का हिस्सा थी, तो पार्टी सुप्रीमो और बिहार के सीएम नीतीश कुमार का केंद्रीय मुद्दा उसी तरह राष्ट्रव्यापी जाति जनगणना कराए जाने का था, जैसा उनकी सरकार ने तब कराई थी, जब वे राष्ट्रीय जनता दल (RJD), कांग्रेस और वामपंथी दलों के साथ गठबंधन में थे। अक्टूबर 2023 में बिहार के जाति सर्वेक्षण डेटा जारी करने के बाद नीतीश कुमार ने इसे बार-बार अपनी सरकार की एक बड़ी उपलब्धि के रूप में पेश किया। लेकिन पिछले महीने बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए में शामिल होने के बाद से बिहार के सीएम ने अपनी जाति जनगणना की मांग उठाना बंद कर दिया है। राजनीतिक हलकों में इसका कारण यह बताया जा रहा है कि इस मांग पर बीजेपी की प्रतिक्रिया ठंडी रही है।
पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में होने वाली रैली भी रद कर दी थी
एनडीए में शामिल होने से पहले नीतीश ने कहा था कि वह राष्ट्रव्यापी जाति जनगणना पर जोर देने के लिए झारखंड, महाराष्ट्र, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे विभिन्न राज्यों में सार्वजनिक बैठकों को संबोधित करेंगे। नीतीश की ऐसी एक जन जागरूकता रैली 24 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकसभा क्षेत्र वाराणसी में भी निर्धारित थी, लेकिन जेडीयू ने तब यह आरोप लगाते हुए उस कार्यक्रम को स्थगित कर दिया था कि स्थानीय प्रशासन ने इसके लिए जगह नहीं दी।
जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने पहले पारित किया था प्रस्ताव
29 दिसंबर को जेडीयू की नई दिल्ली राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में जहां नीतीश ने लल्लन सिंह की जगह पार्टी अध्यक्ष का पद संभाले थे, पार्टी के शीर्ष निकाय ने एक प्रस्ताव पारित किया था जिसमें कहा गया था कि जेडीयू बिहार के बाहर जाति-आधारित जनगणना के लिए अभियान चलाएगा।
यह घोषणा की गई कि जनवरी से नीतीश जन जागरूकता बढ़ाने के लिए विभिन्न राज्यों का दौरा करेंगे, जिसकी शुरुआत झारखंड से होगी। वह विभिन्न राज्यों में अन्य क्षेत्रीय संगठनों द्वारा आयोजित इसी तरह के कार्यक्रमों में भी भाग लेंगे। जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने भी विपक्षी दलों को एक साथ लाने और जाति जनगणना की मांग को आगे बढ़ाने में नीतीश की भूमिका की सराहना की थी।
अब पार्टी के एक नेता ने कहा, “देशव्यापी जाति जनगणना की मांग पर कोई कार्यक्रम नहीं हो रहा है, क्योंकि एनडीए में हमारा प्रमुख भागीदार बीजेपी इसे आयोजित करने के लिए तैयार नहीं है।” उन्होंने यह भी कहा, “बीजेपी क्षेत्रीय सहयोगियों को उनके संबंधित राज्यों के बाहर की सीटों पर लड़ने देने को तैयार नहीं है, इसलिए हम इस बार बिहार के बाहर चुनाव लड़ने की उम्मीद नहीं कर रहे हैं।” उन्होंने कहा कि जेडीयू पहले भी यूपी समेत विभिन्न राज्यों में एनडीए का हिस्सा बनकर चुनाव लड़ चुका है।
