अंशुमान शुक्ल

मुलायम सिंह यादव अपने पुत्र अखिलेश यादव की सरकार से बेहद नाराज हैं। उनकी नाराजगी इस कदर है कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने के तुरंत बाद विरोधियों पर हमलावर होने से पहले उन्होंने अखिलेश सरकार के मंत्रियों को मंच से फटकारना शुरू कर दिया। इसके पहले भी कई मर्तबा मुलायम सिंह यादव अखिलेश सरकार के काम करने के तरीके पर सवाल उठा चुके हैं। अधिवेशन में जनता दल (एकी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव की मौजूदगी ने इस बात के संकेत भी दिए हैं कि आने वाले समय में मुलायम सिंह यादव तीसरे मोर्चे की अपनी परिकल्पना को एक बार फिर साकार करने की दिशा में कदम बढ़ाएंगे।

जनेश्वर मिश्र पार्क में आयोजित समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में जनेश्वर मिश्र की विशालकाय मूर्ति के लोकार्पण के बाद मुलायम सिंह यादव को राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया। इसके बाद अपने अध्यक्षीय भाषण में मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश सरकार पर ही हमला बोल दिया। उहोंने कहा कि कुछ मंत्रियों के बारे में उनके पास पूरी सूचना है कि वे पार्टी और जनता से जुड़े काम नहीं कर रहे हैं। उनका पूरा ध्यान अपने निजी काम को अंजाम देने पर टिका है। सरकार में शामिल ये वे लोग हैं जिन्हें डाक्टर राम मनोहर लोहिया के बारे में कुछ भी नहीं पता है। न ही उन्होंने डाक्टर लोहिया के बारे में कभी पढ़ा है। सपा के राष्ट्रीय महासचिव प्रोफेसर राम गोपाल यादव की तरफ इशारा करते हुए मुलायम ने कहा कि ऐसे मंत्रियों की पूरी सूची इन्हें दे दी गई है। पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में नेताजी के बोल ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को अवाक कर दिया।

लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी से राजनीतिक जमीन छीन लेने के बाद भारतीय जनता पार्टी के मुकाबिल होने के लिए मुलायम सिंह यादव तीसरे मोर्चे की अपनी परिकल्पना को पुन: आकार देने की कोशिश में हैं। यही वजह है कि उन्होंने जद (एकी) के अध्यक्ष शरद यादव को बतौर विशिष्ट अतिथि पार्टी के कार्यक्रम में आमंत्रित किया। राजनीति के जानकारों का कहना है कि ममता बनर्जी, लालू प्रसाद यादव और एचडी देवगौड़ा से भी मुलायम सिंह यादव लगातार संपर्क में हैं। वे एक ऐसा मोर्चा तैयार करने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं जिसकी बदौलत भारतीय जनता पार्टी से मुकाबला किया जा सके। इस संभावना की पुष्टि खुद शरद यादव ने भी अपने बयान से की। उन्होंने कहा कि संघर्ष के समय देश के सारे समाजवादी एक हो जाते हैं। ऐसा समय फिर आ गया है।

दरअसल मुलायम सिंह यादव जनता के बीच यह संदेश देने की कोशिश में हैं कि लोकसभा के चुनाव में उनकी पार्टी को मिली करारी शिकस्त की वजह उनके मंत्री, विधायक और पदाधिकारियों के आचरण रहे हैं। उन्होंने कहा भी कि अगर समाजवादी पार्टी के प्रति जनता का गुस्सा होता तो परिवार के पांच सदस्यों को जीत कैसे मिलती? परिवार के लोगों के जीतने से साफ हो गया है कि जनता का भरोसा अब भी समाजवादियों में है। लेकिन पार्टी में शामिल ज्यादातर लोग जनता के भरोसे को तोड़ने की कोशिश में हैं। उसी का खमियाजा लोकसभा चुनाव में पार्टी को भुगतना पड़ा है।

उत्तर प्रदेश में ढाई साल बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं। इससे पहले समाजवादी पार्टी और सरकार ऐसे कंधे तलाश रही है जिनपर नाकामी का ठीकरा फोड़ कर जनता के समक्ष खुद को बेदाग साबित किया जा सके। पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में नेताजी ने जैसा आगाज किया है उससे संकेत साफ हैं। वे पिछले दो साल से अखिलेश यादव की सरकार के कामकाग से संतुष्ट नहीं हैं। ऐसे संकेत वे बार-बार अपने बयानों से देते आ रहे हैं। दु:खद यह है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की नाराजगी को दूर करने की कोशिशें मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के स्तर से नहीं हो रही हैं। अगर ऐसे प्रयास किए गए होते तो नेताजी के सुर व स्वर में बदलाव परिलक्षित होता। लेकिन इसी के न होने से अखिलेश यादव की सरकार के खिलाफ खुद उनके पिता खड़े हैं। देखना यह है कि दो साल से लगातार नेताजी के इस विरोध के राष्ट्रीय अधिवेशन में मुखर होने का कोई असर होता है? या इस बार भी यह नेताजी की विवशता ही बनकर रह जाता है।