Jagjit Singh Dallewal Hunger Strike: पंजाब में एक बार फिर किसान सड़कों पर हैं। अपनी मांगों को लेकर किसानों ने पंजाब बंद भी किया है और पिछले 11 महीनों से वे हरियाणा और पंजाब के खनौरी बॉर्डर पर धरने पर बैठे हुए हैं। किसानों के इस आंदोलन की सबसे बड़ी आवाज बने हैं किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल। डल्लेवाल 26 नवंबर से खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन पर बैठे हुए हैं।

पिछले कुछ दिनों में जब डल्लेवाल का स्वास्थ्य बहुत ज्यादा गिरा है तो सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे लेकर चिंता जताई है और उनके स्वास्थ्य की देखभाल करने का निर्देश पंजाब की भगवंत मान सरकार को दिया है।

साल 2020 में जब मोदी सरकार के द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली, हरियाणा और पंजाब में बड़ा आंदोलन हुआ था तो उस वक्त भी जगजीत सिंह डल्लेवाल आंदोलन में बहुत सक्रिय रहे थे हालांकि तब उनका नाम इतने बड़े पैमाने पर सामने नहीं आया था। लेकिन इस बार डल्लेवाल किसान आंदोलन की आवाज बनकर उभरे हैं।

भारत और किसानों के लिए MSP की गारंटी क्यों जरूरी है?

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किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल। (Source-Screenshot via PTI video)

किसान आंदोलन से जुड़ी खबरें पढ़ने वालों के मन में यह सवाल जरूर होगा कि आखिर जगजीत सिंह डल्लेवाल कौन हैं जिन्होंने किसान आंदोलन को फिर से जिंदा कर दिया है। डल्लेवाल ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि वह मांग पूरी हुए बिना आमरण अनशन खत्म नहीं करेंगे।

क्या है किसानों की मांग?

डल्लेवाल और तमाम किसान संगठनों की मांग है कि फसलों के लिए एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य का गारंटी कानून बनाया जाए। आपको जानकर हैरानी होगी कि जगजीत सिंह डल्लेवाल प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित हैं लेकिन बावजूद इसके उन्होंने किसानों की मांगों के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी है।

2020 में दिल्ली के बॉर्डर्स पर चले किसान आंदोलन के बाद मोदी सरकार को बैकफुट पर आते हुए कृषि कानूनों को वापस लेना पड़ा था। उसके बाद किसान आंदोलन की आवाज धीमी पड़ गई थी लेकिन फरवरी, 2024 में संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले पंजाब के किसानों ने एमएसपी की मांग को लेकर दिल्ली मार्च शुरू किया। हजारों किसान हरियाणा और पंजाब के बॉर्डर पर पड़ने वाले शंभू और खनौरी बॉर्डर पर इकट्ठा हुए और उन्होंने दिल्ली की और कूच किया लेकिन हरियाणा की बीजेपी सरकार ने किसानों को रोक दिया और आगे नहीं बढ़ने दिया।

कुछ दिन पहले भी किसानों ने आगे बढ़ने की कोशिश की लेकिन उन्हें रोकने के लिए भारी बैरिकेड्स, आंसू गैस, पानी की बौछारें छोड़ी गई लेकिन किसान लगातार शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डटे हुए हैं।

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निकाय चुनाव में किया बीजेपी ने बेहतर प्रदर्शन। (Source-PTI)

कौन हैं जगजीत सिंह डल्लेवाल?

जगजीत सिंह डल्लेवाल पंजाब के फरीदकोट जिले के डल्लेवाल गांव के रहने वाले हैं। उनके पास खेती-किसानी से जुड़े मुद्दों और समस्याओं की समझ है। उन्होंने खेती-किसानी से जुड़े मुद्दों को लेकर लंबा संघर्ष भी किया है। डल्लेवाल के पास 17 एकड़ कृषि जमीन है और वह भारतीय किसान यूनियन (एकता सिद्धपुर) के प्रमुख हैं। पंजाब के मालवा इलाके में, जहां किसान काफी समृद्ध और मजबूत हैं, यहां के किसान नेताओं में जगजीत सिंह डल्लेवाल का नाम प्रमुख है।

जगजीत सिंह डल्लेवाल सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे से काफी प्रभावित हैं। इससे पहले वह साल 2018 में भी किसानों की मांगों को लेकर 11 दिन का अनशन कर चुके हैं। मोदी सरकार ने जब किसानों के आंदोलन के बाद तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया था तब भी किसानों की एक बड़ी मांग यही थी कि केंद्र सरकार एमएसपी के लिए गारंटी का कानून बनाए लेकिन इस मामले में किसानों की ओर से सरकार पर आरोप लगाया गया कि वह इस मुद्दे पर आगे नहीं बढ़ रही है। ऐसे में जगजीत सिंह डल्लेवाल के नेतृत्व में किसान फिर से एकजुट हुए हैं और उनके अनशन की वजह से किसानों के आंदोलन को नई पहचान मिली है और मीडिया और सोशल मीडिया में आंदोलन फिर से सुर्खियों में आ गया है।

संसद में उठा डल्लेवाल की सेहत का मुद्दा

पंजाब सरकार और तमाम किसान संगठनों के अनुरोध के बाद भी डल्लेवाल ने अपना अनशन खत्म नहीं किया है। इससे पता चलता है कि वह वह कितने दृढ़ संकल्प वाले शख्स हैं। उनके आमरण अनशन को विपक्षी दलों ने संसद में भी उठाया है। सेहत के लगातार बिगड़ने के बावजूद डल्लेवाल ने अपना अनशन जारी रखा है। पिछले कुछ महीनों में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी के साथ ही कई सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों के नेता उनसे मुलाकात कर चुके हैं। हरियाणा और पंजाब की कई खाप पंचायतों के अलावा बड़े किसान नेताओं ने भी जगजीत सिंह डल्लेवाल के स्वास्थ्य को लेकर चिंता जताई है।

किसानों की आत्महत्या का सवाल

डल्लेवाल ने हाल ही में लिखे एक लेख में बताया था कि सुप्रीम कोर्ट की एक कमेटी के मुताबिक पिछले तीन दशकों में चार लाख किसानों ने आत्महत्या की है। लेकिन डल्लेवाल का कहना है कि यह आंकड़ा 7 लाख के आसपास है। डल्लेवाल ने पंजाब में लगातार खत्म हो रहे ग्राउंडवाटर के मुद्दे को भी उठाया है। उनका कहना है कि अगर 23 फसलों के लिए MSP की गारंटी वाला कानून बन जाता है तो पंजाब और हरियाणा के किसान गेहूं और धान से ज्यादा मुनाफा देने वाली फसलें उगाने के लिए आगे आएंगे और इससे ग्राउंडवाटर यानी भूजल के पानी का मुद्दा भी हल हो जाएगा।

डल्लेवाल का कहना है कि MSP की कानूनी गारंटी देने से न केवल किसानों की जिंदगी की हिफाजत होगी बल्कि स्वास्थ्य और देश की संपत्ति की भी रक्षा होगी। बुजुर्ग किसान नेता डल्लेवाल का कहना है कि अर्थशास्त्रियों के मुताबिक फसलों के लिए MSP के गारंटी कानून में जितना पैसा खर्च होगा, वह भारत के द्वारा तेल और दालों के आयात पर खर्च किए जाने वाले पैसे से बहुत कम होगा।

भारत तेल और दाल के आयात पर लगभग 2 लाख करोड़ रुपए हर साल खर्च करता है जबकि विशेषज्ञों के मुताबिक MSP की गारंटी देने पर सिर्फ 20 से 50 हजार करोड़ तक का खर्च आएगा।

डल्लेवाल के बिगड़ते स्वास्थ्य पर निश्चित रूप से सुप्रीम कोर्ट, पंजाब सरकार के साथ ही केंद्र सरकार की भी नजर है। डल्लेवाल ने आमरण अनशन कर मोदी सरकार पर इस बात के लिए दबाव बढ़ा दिया है कि वह 23 फसलों को एमएसपी की कानूनी गारंटी की दिशा के संबंध में कोई ठोस फैसला ले। देखना होगा कि मोदी सरकार इस बेहद जटिल मुद्दे से कैसे निपटती है क्योंकि डल्लेवाल एमएसपी की कानूनी गारंटी से कम पर कुछ भी मानने को तैयार नहीं हैं।

डल्लेवाल की सेहत के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा, क्लिक कर पढ़िए खबर।