Jammu kashmir Pulwama Attack: जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर हुए हमले के दौरान शहीद जवान की बेटी अपूर्वा ने कहा कि जवानों को राजनीति में घसीटना उनका अपमान है। अपूर्वा ने कहा, “मेरे पिता मोदी या राहुल के लिए शहीद नहीं हुए। वे भारत के लिए शहीद हुए। क्या आप सैनिकों को घसीटे बिना चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। एक बार चुनाव हो जाने पर आप हमें भूल जाएंगे। यह बात हमें अच्छी तरह से मालूम है।” अपूर्वा का यह वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। बता दें कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक सभा में भारतीय सेना को ‘मोदी की सेना’ बताया था, जिसके बाद विपक्षी पार्टियों ने भाजपा को निशाने पर ले लिया था। इस बयान की कड़ी आलोचना की थी। कांग्रेस प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने योगी आदित्यनाथ से माफी मांगने तक की बात कही थी।

एक कार्यक्रम के दौरान पुलवामा हमले के दौरान शहीद हुए सीआरपीएफ जवान कौशल कुमार रावत की पत्नी ममता रावत ने कहा, “सेना को राजनीति में नहीं लाना चाहिए। हम नहीं चाहते कि नेता हमारे घर आएं।” वहीं, उनकी बेटी अपूर्वा ने कहा, “मैं सभी पार्टियों से यह कहना चाहूंगी की वे मिलिट्री को राजनीति में न घसीटें। आप उन लोगों पर ध्यान केंद्रित क्यों नहीं करते हैं जिनकी वजह से हमारे जवान शहीद हो रहे हैं। आज भाजपा की सरकार है तो ‘मोदी की सेना’। यदि कल को कांग्रेस की सरकार बनती है तो यह ‘राहुल की सेना’ हो जाएगी! भारत की सेना भारत के लोगों के लिए काम कर रही है।”

अपूर्वा ने आगे कहा, “मोदी जी भी भारतीय हैं और योगी जी भी। हमें राजनीति को लेकर अपनी सेना की आलोचना नहीं करनी चाहिए। यदि शहीद जवान जैसे उनके पिता या मेजर विभूति इस चीज को देख रहे होंते तो वे यह कहते कि मैंने अपनी शहादत इन लोगों के लिए नहीं दी। यदि ऐसा रहता, तो वे कभी अपनी जिंदगी कुर्बान नहीं करते। वे अपनी नौकरी से इस्तीफा दे देते और वापस घर लौट आते। परिवार के साथ रहते और इन चीजों को देखते। यदि आप सेना को राजनीति में घसीटते हैं तो पूरी तरह से उनका अपमान कर रहे हैं।”

अपूर्वा ने कहा, “सेना किसी खास पार्टी या खास व्यक्ति के लिए नहीं है। यदि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं तो इसका मतलब ये नहीं कि भारतीय सेना उनकी है। यदि राहुल गांधी प्रधानमंत्री बनते हैँ तो ये नहीं कि भारतीय सेना उनकी है। भारतीय सेना ‘भारतीय सेना’ है। घटना के 13 दिनों तक सभी पार्टी के नेता हमारे घर आते रहे। सभी ने सहानुभूति जताई। सभी ने मदद करने का भरोसा दिया, लेकिन इसके बाद मेरा फोन तक नहीं उठाने लगे।”