जम्मू और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला (National Conference नेता) और महबूबा मुफ्ती (Peoples Democratic Party अध्यक्ष) पर Public Safety Act (PSA) लग गया है। गुरुवार को इस ऐक्शन के बाद इन दोनों नेताओं को बगैर ट्रायल करीब तीन महीने तक जेल में रखा जा सकता है।
इसी बीच, इन दोनों के अलावा J&K के तीन और नेताओं के खिलाफ भी कड़े पीएसए के तहत मामला दर्ज किया गया है। समाचार एजेंसी ‘PTI’ की रिपोर्ट में अधिकारियों के हवाले से कहा गया कि तीन नेताओं में NC नेता और पूर्व मंत्री अली मोहम्मद सागर, पूर्व विधायक बशीर अहमद वीरी और पूर्व मुख्यमंत्री और PDP प्रमुख महबूबा मुफ्ती के मामा सरताज मदनी हैं।
सूत्रों के हवाले से कुछ टीवी रिपोर्ट्स में बताया गया कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली NDA सरकार के आदेश पर जिन अलगाववादी नेताओं को 5 अगस्त, 2019 को या उसके आसपास हिरासत में लिया गया था, उन सभी की छह महीने की मियाद गुरुवार को पूरी हुई। और, आगे केंद्र के पास इनकी हिरासत बढ़ाने पर कम ही विकल्प थे। संभव है कि इसी वजह से इन पर पीएसए लगाया गया हो।
बताया जा रहा है कि सरकार पूर्व आईएएस अधिकारी व नेता शाह फैसल की नजरबंदी बढ़ाएगी। उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और शाह फैसल को (सीआरपीसी) की धारा 107 के तहत हिरासत में लिया गया है।
सूत्रों ने आगे यह भी बताया कि हिरासत में लिए गए कुछ और नेताओं को राजनीतिक गतिविधि में शामिल न होने से जुड़े बॉन्ड पर दस्तखत के बाद रिहा कर दिया गया था, जबकि कम से कम 10 नेता फिलहाल हिरासत में या नजरबंद कर के रखे गए हैं। इनमें उमर के पिता और पूर्व मुख्यमंत्री फारूख अब्दुल्ला भी हैं।
क्या है पीएसए: जम्मू और कश्मीर में यह कानून साल 1978 में बना था। इसके तहत किसी को भी दो साल तक बिना मुकदमा चलाए हिरासत में लिया जा सकता है। इस प्रावधान का इस्तेमाल करते हुए फारूक अब्दुल्ला को हिरासत में लिया गया था।