स्वतंत्रता दिवस से पहले श्रीनगर का लाल चौक तिरंगे के रंग में नहाया नज़र आ रहा है। यह नजारा खास इसलिए है क्योंकि इस जगह पर तिरंगा फहराना बड़ी चुनौती माना जाता था। यहां तिरंगा फहराने को लेकर कई बार विवाद हो रहा है। हालांकि 29 साल के बाद एक बार फिर इतिहास रचने की तैयारी हो रही है। सोशल मीडिया पर लाल चौक की तस्वीरें वायरल हो रही हैं। यह दृश्य देखकर लोग 29 साल पहले की उस घटना को भी याद कर रहे हैं जब भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी और नरेंद्र मोदी ने लाल चौक पर तिरंगा फहराया था।
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद कई तरह के परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं। इनमें से ही एक है लाल चौक पर धूमधाम से तिरंगा फहराया जाना। यहां तैयारियों जारों पर हैं। दरअसल लाल चौक पर एक घंटाघर है। यहां बड़ी सी घड़ी लगी हुई है। बताया जा रहा है कि इस घड़ी को भी बदल दिया गया है।
सोशल मीडिया पर लोग 1992 में नरेंद्र मोदी के संयोजन में हुई एकता यात्रा को भी याद कर रहे हैं। उस वक्त लाल चौक पर तिरंगा फहराना आसान काम नहीं था। बावजूद इसके मुरली मनोहर जोशी और नरेंद्र मोदी ने यह योजना बनाई। जोशी उस वक्त पार्टी के महासचिव थे। जोशी ने खुद एक इंटरव्यू में बताया था कि, जम्मू-कश्मीर में तिरंगे का अपमान ज्यादा हो रहा था इसलिए वहां झंडा फहराना जरूरी हो गया था।
इसके बाद एकता यात्रा की भूमिका तय की गई। उद्देश्य था कि यह यात्रा लगभग सभी राज्यों से होकर गुजरे और तिरंगे को सम्मान दिया जाए। जब यात्रा का ऐलान किया गया तो जम्मू-कश्मीर में स्थिति तनावपूर्ण हो गई। भाजपा के नेताओं को धमकियां मिलने लगीं। यात्रा की बागडोर नरेंद्र मोदी के हाथ में थी। यात्रा तो सही सलामत चलनी रही लेकिन लाल चौक पर पहुंचना आसान काम नहीं था।
जम्मू-कश्मीर के लाल चौक पर स्वतंत्रता दिवस पर झंडा फहराते मुरलीमनोहर जोशी और नरेंद्र मोदी. एक्सप्रेस फोटो By प्रवीण जैन
जोशी के मुताबिक, राज्यपाल के परामर्श पर वह और नरेंद्र मोदी व कुछ अन्य लोग कार्गो जहाज से वहां पहुंचे। जब वे झंडा फहरा रहे थे तब आसपास गोलियां चल रही थीं। रॉकेट दागे जा रहे थे। पास में ही एक बम धमाका भी हुआ। लेकिन वे लोग 15 मिनट वहां रुके। उन्होंने झंडा फहराया और सुरक्षित दिल्ली लौट आए।
शेख अब्दुल्ला के साथ पं. जवाहरलाल नेहरू, लाल चौक पर
1948 में पं. जवाहरलाल नेहरू ने भी फहराया था तिरंगा
पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने भी लाल चौक पर तिरंगा फहराया था। उस वक्त उनके साथ जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख अब्दुल्ला भी मौजूद थे।

