दिल्ली में विधानसभा चुनावों के बाद ही जम्मू कश्मीर में सरकार गठन पर बात आगे बढ़ेगी। तब तक लगता है कि दोनों दलों के बीच पर्दे के पीछे बातचीत और कड़ी सौदेबाजी का सिलसिला जारी रहेगा। जहां एक ओर केंद्र की भाजपा सरकार ने वहां माकूल माहौल बनाने के लिए राज्यपाल से राहत पैकेज देने के लिए प्रस्ताव मांगा है वहीं राज्य के सबसे बड़े दल पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के संरक्षक व पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने अपने रुख से पीछे नहीं हटने का संकेत देते हुए कहा कि सरकार गठन के बारे में भाजपा के साथ ‘ट्रैक टू’ वार्ता जारी है पर हम अपने मुख्य मुद्दों पर अड़े रहेंगे।

ऐसा लगता है कि दिल्ली के चुनाव नतीजों को लेकर भाजपा व पीडीपी दोनों ही आश्वस्त नहीं हैं। राज्य में किन शर्तों पर सरकार बनाई जाए, यह दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे तय करेंगे। भाजपा सूत्रों के मुताबिक अगर दिल्ली में पार्टी अपने बलबूते पर सम्मानजनक बहुमत जुटा लेती है तो फिर भाजपा सख्त मोलभाव करेगी। अगर ऐसा नहीं हो पाता है तो पार्टी अपनी लाज बचाने व एक और राज्य में सत्ता में आने के लिए मजबूरी में पीडीपी की कुछ शर्तें माननी पड़ सकती हैं। इसलिए दोनों ही हालत में भाजपा का पीडीपी के साथ सरकार बनाना तय है। इसकी पुष्टि पीडीपी के नेशनल काफ्रेंस से बिना शर्त समर्थन का प्रस्ताव ठुकरा दिए जाने से हो जाती है। केंद्र की भाजपा सरकार जम्मू कश्मीर को लोगों को मोहने की कोशिश कर रही है जबकि घाटी के मुसलिमों में अपनी साख खोने के डर से पीडीपी अपनी शर्तों से समझौते को तैयार नहीं है और भाजपा पर इन्हीं शर्तों के साथ समझौते का दबाव बना रही है।

इससे पहले पार्टी ने सर्वसम्मति ने सांसद महबूबा मुफ्ती को तीन वर्ष के लिए फिर से पार्टी का अध्यक्ष चुना। उधर, पीडीपी के वरिष्ठ नेता और राजपुरा से विधायक हसीब द्राबू ने शुक्रवार शाम वोहरा से मुलाकात की और उन्हें पीडीपी और भाजपा के बीच जारी बातचीत की स्थिति के बारे में जानकारी दी। राजभवन के प्रवक्ता ने कहा कि राज्यपाल के साथ 45 मिनट की बातचीत के दौरान द्राबू ने पीडीपी-भाजपा के बीच बातचीत के बारे में बताया। पीडीपी नेता ने दोनों दलों के बीच राज्यसभा चुनाव में बनी सहमति के बारे में भी बताया।

कश्मीर घाटी में अपना खाता तक खोल पाने में नाकाम रही भाजपा सरकार ने जम्मू कश्मीर के राज्यपाल एनएन वोहरा से कहा है कि राज्य सरकार को क्षेत्रवार विस्तृत प्रस्ताव तैयार करना चाहिए और उसे केंद्र को सौंपना चाहिए ताकि 44,000 करोड़ रुपए का बाढ़ राहत व पुनर्वास पैकेज जारी किया जा सके। केंद्रीय गृह सचिव ने राज्यपाल को सूचित किया है कि राज्य सरकार को हर क्षेत्र के लिए विस्तृत प्रस्ताव तैयार करने और उसे भारत सरकार के संबंधित मंत्रालयों को भेजने की जरूरत है।

राजभवन के प्रवक्ता के मुताबिक गृह सचिव ने यह भी सूचना दी है कि हर प्रस्ताव की एक प्रति केंद्रीय गृह मंत्रालय को भी भेजी जाए ताकि वह उस पर आगे की कार्रवाई कर सके। राज्यपाल शासन लागू होने के तुरंत बाद वोहरा ने राजस्व सचिव से 43,959.56 करोड़ रुपए के पैकेज के बारे में जल्द फैसले के लिए केंद्र के साथ इस पर संपर्क करने को कहा था। इस पैकेज की मांग 11 अक्तूबर को राज्य सरकार ने केंद्र को भेजी थी। इस बीच, राज्यपाल ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि वे तत्काल संबंधित सचिवों की एक बैठक बुलाकर प्रस्ताव तैयार करने के लिए एक समय सीमा तय करें और ये प्रस्ताव सीधे केंद्र के संबंधित मंत्रालयों को भेजे जाएं।

पीडीपी के संरक्षक मुफ्ती मोहम्मद सईद ने श्रीनगर में पार्टी नेताओं को संबोधित करते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर में भाजपा के साथ सरकार गठन के बारे में ट्रैक टू वार्ता जारी है। एक बार वार्ता की दिशा तय हो जाने के बाद भाजपा के साथ व्यवस्थित बातचीत शुरू की जाएगी। ट्रैक टू वार्ता के स्वरूप लेने के बाद न्यूनतम साझा कार्यक्रम (सीएमपी) तैयार करने के संबंध में पार्टी नेताओं से सीधे बातचीत शुरू होगी। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी सत्ता की भूखी नहीं है और विचारधारा से जुड़े मुद्दों पर नहीं झुका जाएगा। पीडीपी की अपनी शर्तें हैं और समयबद्ध रूप से अफस्पा को हटाने और पाकिस्तान के साथ वार्ता शुरू करने जैसे मुद्दों पर समझौता नहीं होगा। सईद ने कहा कि पार्टी जम्मू कश्मीर के लोगों विशेष तौर पर युवाओं के लिए विशेष पैकेज चाहेगी जो बेरोजगारी का सामना कर रहे हैं।