पुलवामा आतंकी हमले के बाद सरकार ने कश्मीर में अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा की समीक्षा करने की बात ही थी। अब रविवार को जम्मू कश्मीर सरकार ने इस दिशा में फैसला लेते हुए 5 अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा हटाने का फैसला किया है। खबर के अनुसार, सरकार ने इन अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा के साथ ही उन्हें दी जा रहीं सरकारी सुविधाएं भी हटाने का फैसला किया है। आइए जानते हैं कि कौन हैं ये अलगाववादी नेता –

मीरवाइज उमर फारुखः मीरवाइज उमर फारुख ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन हैं और कश्मीर में काफी प्रभाव रखते हैं। मीरवाइज उमर फारुख के पिता मीरवाइज मोहम्मद फारुख भी एक नेता थे और कश्मीर में जनमत कराने के पक्ष में थे। मीरवाइज, कश्मीर के बड़े धार्मिक नेता भी हैं, इसके चलते राज्य के युवाओं पर इनका काफी प्रभाव है। इस साल की शुरुआत में पाकिस्तान सरकार के विदेश मंत्री ने मीरवाइज उमर फारुख से फोन पर बात की थी। जिस पर भारत सरकार ने अपना विरोध दर्ज कराया था।

अब्दुल गनी बट्टः अब्दुल गनी बट्ट जम्मू कश्मीर में पर्शिया भाषा के प्रोफेसर थे। बट्ट मुस्लिम कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता हैं, जो कि हुर्रियत का हिस्सा है। अब्दुल गनी बट्ट पर पिछले कई मौकों पर हुर्रियत के एजेंडे से अलग बात करने के आरोप लगे हैं। साल 2011 में मुस्लिम कॉन्फ्रेंस के नेता ने अब्दुल अहद वानी की याद में आयोजित किए गए एक कार्यक्रम में यह कहकर सभी को चौंका दिया था कि अब्दुल अहद वानी मौलवी फारुख और हुर्रियत नेता अब्दुल गनी लोन की हत्या सेना या पुलिस ने नहीं की थी, बल्कि उनके अपने लोगों ने की थी। इस बयान के बाद कई हुर्रियत नेताओं ने अब्दुल गनी बट्ट को भारतीय एजेंट तक बता दिया था। दिसंबर, 2017 में अलगाववादी नेता ने भारत सरकार के विशेष दूत दिनेश्वर शर्मा से भी मुलाकात की थी।

बिलाल लोनः बिलाल लोन एक वरिष्ठ अलगाववादी नेता हैं, जो कि पीपल्स इंडीपेंडेंट मूवमेंट का नेतृत्व करते हैं। बिलाल लोन पूर्व अलगाववादी नेता अब्दुल गनी लोन, जिनकी साल 2002 में हत्या कर दी गई थी, उनके बेटे हैं। बिलाल लोन घाटी में भाजपा समर्थक माने जाने वाले सज्जाद लोन के बड़े भाई हैं। पिता की मौत के बाद दोनों भाईयों ने रास्ते अलग-अलग हो गए थे। बिलाल लोन जहां हुर्रियत के साथ रहे, वहीं सज्जाद लोन ने मुख्यधारा की राजनीति में उतरने का फैसला किया था। हाल ही में बिलाल लोन ने अपनी राजनैतिक पार्टी का नाम पीपल्स कॉन्फ्रेंस से बदलकर पीपल्स इंडीपेंडेंट मूवमेंट कर दिया था, क्योंकि उनके भाई की पार्टी का नाम भी पीपल्स कॉन्फ्रेंस से मिलता-जुलता ही है।

हाशिम कुरैशीः हाशिम कुरैशी जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के संस्थापक सदस्यों में शामिल हैं। फिलहाल वह जम्मू कश्मीर डेमोक्रेटिक लिबरेशन पार्टी के चेयरमैन हैं। कुरैशी का नाम 1971 में हुई भारतीय एअरलाइंस के विमान गंगा की हाइजैकिंग में भी सामने आया था। कुरैशी पाकिस्तान की जेल में भी बंद रहे और 1980 में जेल से रिहा हुए। जेल से छूटने के 10 साल बाद हाशिम कुरैशी ने राजनैतिक पार्टी का गठन किया। कुरैशी साल 2000 में भारत वापस लौटे थे। कुरैशी को गांधी, मार्टिन लूथर किंग और मंडेला के समर्थक माने जाते हैं और कश्मीर की आजादी में अहिंसा को अहम मानते हैं।

शब्बीर शाहः शब्बीर शाह जम्मू कश्मीर डेमोक्रेटिक फ्रीडम पार्टी के मुखिया हैं। शाह ने अपने जीवन के 30 साल जेल में बिताए हैं। शाह को 1968 में पहली बार गिरफ्तार किया गया था। सितंबर, 2017 में भी आतंकी फंडिंग के आरोपों में शब्बीर शाह को गिरफ्तार किया गया था। ईडी ने शब्बीर शाह पर आरोप लगाया था कि वह पाकिस्तानी आतंकी हाफिज सईद के संपर्क में रहे हैं।