पाकिस्तान की तरफ से भारत के खिलाफ साजिश रचने के अलग-अलग हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। सिर्फ आतंकवाद के सहारे कश्मीर घाटी में अशांति फैलाने की कोशिश नहीं है, बल्कि ड्रग्स के सहारे से वहां के युवाओं को गुमराह करने की भी पूरी तैयारी कर ली गई है। जिस स्तर पर जम्मू-कश्मीर में ड्रग्स की समस्या पहुंच चुकी है, ये कहना गलत नहीं होगा कि पाकिस्तान की एक नापाक साजिश जमीन पर अपना पूरा असर दिखा रही है।
कश्मीर के साथ पंजाब के खिलाफ साजिश
इंडियन एक्सप्रेस की जांच में ये साफ पता चला है कि पाकिस्तान की तरफ से ड्रग्स की खेपे जम्मू-कश्मीर में भेजी जा रही हैं। कश्मीर के साथ पंजाब में भी उसकी सप्लाई जारी है। चिंता की बात ये है कि उस ड्रग्स के बेच जो पैसा हाथ में आ रहा है, उससे आतंकवाद को फंडिंग दी जा रही है। यानी कि पाकिस्तान एक तीर से दो निशाने लगाने की कोशिश कर रहा है। उसे ड्रग्स से युवाओं के भविष्य को बर्बाद करना है और इसके साथ-साथ आतंकवाद से वहां पर अस्थिरता भी पैदा करनी है।
इस समय कश्मीर और पंजाब में नॉर्को टेरर का जो मॉड्यूल सक्रिय चल रहा है, उसके तार पाकिस्तान के साथ-साथ दुबई से भी जुड़ रहे हैं। बताया जा रहा है कि ड्रोन के जरिए ड्रगस को जम्मू-कश्मीर के सांबा जिले में फेका जाता है। एक आंकड़ा बताता है कि अंतरराष्ट्रीय मार्केट से अब तक 700 किलो के करीब हेरोइन जब्त किया जा चुका है, इसका रेट 1400 करोड़ से भी ज्यादा माना जा रहा है।
ड्रग्स और हथियारों का कनेक्शन
इस समय पुलिस और सेना दोनों के लिए ड्रग्स और आतंकवाद की जोड़ी बड़ी चिंता का विषय बनी हुई है। सेना ने तो यहां तक कहा है कि हथियार, ड्रग्स और दूसरे तमाम संसाधन पड़ोसी मुल्क से कश्मीर आ रहे हैं। ऐसे में जो भी ऑपरेशन किया जा रहा है, इस बात का खास ध्यान रखा जा रहा है कि स्थानीय लोगों को किसी भी तरह की समस्या का सामना ना करना पड़े। इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए जम्मू-कश्मीर के डीजी दिलबाग सिंह ने कहा है कि पाकिस्तान जो पहले सिर्फ आतंकवाद के व्यापार में खुद को व्यस्त रखा हुआ था, उसने अब ड्रग्स के सहारे भी आतंकवाद ही फंडिंग करना शुरू कर दिया है।
उनकी तरफ से जोर देकर कहा गया है कि कश्मीर के लोगों ने क्योंकि आतंकवाद की जगह शांति को चुना, ऐसे में पाकिस्तान अब उन्हें सजा देने का काम कर रहा है। उनके मुताबिक पंजाब में मिलिटेंसी तो काफी पहले खत्म कर दी गई, लेकिन इस ड्रग्स नेटवर्क ने वहां पर अपनी जड़ें मजबूत करने का काम किया। अब इस ड्रग नेटवर्क का एक पहलू ये भी है कि कई कंपनियों की ठीक तरह से चेकिंग नहीं हो पाती है। किसके पास वैध लाइसेंस है और किसके पास नहीं, इसकी जांच करना मुश्किल रहता है।