पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार ने कड़ा एक्शन लेते हुए सभी पाकिस्तानियों के वीजा रद्द कर दिए थे और उन्हें 27 अप्रैल तक भारत छोड़ने का आदेश दिया था। जम्मू कश्मीर में अधिकारियों ने मंगलवार को 60 पाकिस्तानियों को वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिनमें से एक आतंकी हमले में मारे गए पुलिसकर्मी की मां भी हैं। अधिकारियों ने बताया कि इन सभी को विभिन्न जिलों से इकट्ठा करके बसों में पंजाब ले जाया गया, जहां उन्हें वाघा सीमा पर पाकिस्तानी अधिकारियों को सौंप दिया जाएगा।

डीपोर्ट किए जा रहे लोगों में अधिकतर पूर्व आतंकवादियों की पत्नियां और बच्चे हैं, जो पूर्व आतंकवादियों के लिए 2010 की डीपोर्टेशन नीति के तहत घाटी में लौटे थे। अधिकारियों ने बताया कि इनमें से 36 पाकिस्तानी श्रीनगर में, नौ-नौ बारामूला और कुपवाड़ा में, चार बडगाम में और दो शोपियां जिले में रह रहे थे। मंगलवार सुबह मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, आतंकवादियों से लड़ते हुए मई 2022 में मारे गए विशेष पुलिस अधिकारी मुदसिर अहमद शेख की मां शमीमा अख्तर भी वापस भेजे जा रहे लोगों में शामिल हैं। हालांकि, पुलिस ने इस खबरों का खंडन किया।

पुलिस ने किया खंडन

जिला पुलिस मुख्यालय बारामूला ने कहा, “शहीद कांस्टेबल मुदासिर अहमद उर्फ ​​बिंदास की मां की कथित वापसी के बारे में सोशल मीडिया पर प्रसारित रिपोर्टें झूठी, निराधार हैं और उनका स्पष्ट रूप से खंडन किया जाता है।” मुदसिर जम्मू कश्मीर पुलिस की एक टीम का हिस्सा थे, जिसने विदेशी आतंकवादियों के एक समूह को रोका था।

वापस भेजे जा रहे लोगों में अधिकतर पूर्व आतंकवादियों की पत्नियां और बच्चे हैं

वहीं, मंगलवार सुबाह मुदसिर के चाचा मोहम्मद यूनुस ने संवाददाताओं से कहा था, ‘‘मेरी भाभी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से हैं जो हमारा क्षेत्र है। केवल पाकिस्तानियों को ही वापस भेजा जाना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि मुदसिर की मौत के बाद, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने परिवार से मुलाकात की थी और उपराज्यपाल भी दो बार परिवार से मिलने आए थे। यूनुस ने कहा, ‘‘मेरी भाभी जब यहां आई थीं, तब उनकी उम्र 20 साल थी और वह 45 साल से यहां रह रही हैं। (प्रधानमंत्री नरेन्द्र) मोदी और अमित शाह से मेरी अपील है कि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए।”

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महबूबा मुफ्ती बोलीं- इनमें से कई लोग अपने आपको हिंदुस्तानी समझते हैं

वहीं, दूसरी ओर पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा, “ध्यान रखा जाए कि आम लोगों के घर न गिराए जाए और कुछ लोग यहां जो पाकिस्तान से आए हुए हैं उसमें से कुछ लोग ऐसे हैं ऐसी महिलाएं जिनकी शादी 30-40 साल पहले हुई हैं या जिनके पोता-पोती हैं उनका घर तो हिंदुस्तान है वो अपने आपको हिंदुस्तानी समझते हैं वे इस उम्र में कहां जाएंगे। मैं उम्मीद करती हूं कि गृह मंत्री इस पर सहानुभूति निर्णय लेंगे। वे सभी अपने आपको हिंदुस्तानी मानते हैं पाकिस्तानी नहीं मानते।”

महबूबा मुफ्ती ने एक्स पर भी लिखा, “हाल ही में भारत से सभी पाकिस्तानी नागरिकों को निकाले जाने के सरकारी निर्देश ने गंभीर मानवीय चिंताओं को जन्म दिया है, खासकर जम्मू और कश्मीर में। प्रभावित होने वालों में कई महिलाएं हैं जो 30-40 साल पहले भारत आई थीं, भारतीय नागरिकों से शादी की, परिवार बनाए और लंबे समय से हमारे समाज का हिस्सा रही हैं।”

उन्होंने आगे लिखा, “हम सरकार से इस फैसले पर पुनर्विचार करने और महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के प्रति दयालु दृष्टिकोण अपनाने का आग्रह करते हैं। दशकों से भारत में शांतिपूर्वक रह रहे व्यक्तियों को निकालना न केवल अमानवीय होगा बल्कि उन परिवारों पर गहरा भावनात्मक और शारीरिक संकट भी डालेगा जो अब कोई दूसरा घर नहीं जानते।” पढ़ें- पहलगाम हमले पर जनसत्ता की विशेष कवरेज