जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है। जम्मू कश्मीर में सितंबर महीने में तीन चरणों में चुनाव होंगे तो वहीं 4 अक्टूबर को वोटों की गिनती होगी। जम्मू कश्मीर चुनाव में पहली बार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए विधानसभा सीट आरक्षित की गई है। जम्मू कश्मीर में कुल 90 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से 16 सीटें एससी और एसटी के लिए आरक्षित हैं। यह सभी 16 सीटें किंग मेकर की भूमिका निभाएंगी। माना जा रहा है कि जो भी पार्टी 16 सीटों पर बढ़त हासिल करेगी, वह निर्णायक स्थिति में होगी।
हाल ही में लोकसभा चुनाव संपन्न हुए हैं। अगर लोकसभा चुनाव के विधानसभा वार परिणाम को देखा जाए तो इन 16 सीटों में से 6 पर भाजपा को बढ़त मिली थी। जबकि नेशनल कांफ्रेंस को 7, कांग्रेस को 2 और अपनी पार्टी एक सीट पर आगे थी। 16 आरक्षित सीटों में 13 सीटें जम्मू संभाग में हैं जबकि तीन कश्मीर में है। एससी के लिए जम्मू में सबसे अधिक चार आरक्षित सीटें हैं जबकि तीन सीटें कश्मीर में है।
बीजेपी की बढ़ेगी टेंशन?
जम्मू संभाग में अनुसूचित जाति के लिए चार सीटें आरक्षित है। हैरानी की बात यह है जम्मू की सचेतगढ़ विधानसभा सीट पर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को भाजपा उम्मीदवार के खिलाफ बढ़त मिली थी। यह बीजेपी के लिए खतरे की घंटी भी है क्योंकि 2014 के विधानसभा चुनाव में यह सीट सामान्य थी और यहां पर भाजपा प्रत्याशी ने जीत हासिल की थी।
लोकसभा चुनाव में किस पार्टी को कितनी रिज़र्व विधानसभा सीटों पर बढ़त मिली
पार्टी | लोकसभा चुनाव में विधानसभा सीटों पर बढ़त |
बीजेपी | 6 |
नेशनल कांफ्रेंस | 7 |
कांग्रेस | 2 |
अपनी पार्टी | 1 |
गुज्जर और पहाड़ी मतदाता महत्वपूर्ण
जम्मू कश्मीर के राजौरी और पूंछ जिले में गुज्जर और पहाड़ी मतदाता सबसे अधिक हैं। यहां पर पांच सीटें एसटी समुदाय के लिए रिजर्व है। पहाड़ी और गुज्जर दोनों ही समुदाय एसटी से आते हैं। माना जाता है कि पहाड़ी और गुज्जर मतदाता एक दूसरे के खिलाफ वोट करते रहे हैं। पहाड़ियों को सरकार ने एसटी में शामिल किया है। ऐसे में इसका लाभ भाजपा को मिल सकता है। हालांकि इससे गुज्जर समुदाय नाराज माना जा रहा है।