जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद पहली बार हुए जिला विकास परिषद (डीडीसी) के चुनाव में शनिवार को लगभग 52 फीसद मतदान हुआ। आठ चरणों वाले डीडीसी चुनाव के पहले चरण में शनिवार को शांतिपूर्वक मतदान हुआ, हालांकि कुलगाम में पत्थर फेंकने की एक मामूली घटना सामने आई।

राज्य निर्वाचन आयुक्त केके शर्मा ने संवाददाताओं से कहा कि 7,00,842 पंजीकृत मतदाताओं में से 51.76 फीसद मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। उन्होंने कहा कि मतदान सुबह सात बजे शुरू हुआ और अपराह्न दो बजे तक लोगों ने वोट डाला। जम्मू के रियासी में सर्वाधिक 74.62 फीसद लोगों ने मतदान किया। आतंकवाद से प्रभावित पुलवामा जिले में सबसे कम 6.7 फीसद लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।

शर्मा ने बताया कि दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले में पत्थर फेंकने की एक घटना को छोड़कर संघ शासित प्रदेश में मतदान की प्रकिया शांतिपूर्ण ढंग से निपट गई। डीडीसी चुनाव के पहले चरण में 43 चुनाव क्षेत्रों में मतदान हुआ जिनमें से 25 कश्मीर में हैं। अधिकारियों के अनुसार, इस चुनाव में 1,475 प्रत्याशी अपना भाग्य आजमा रहे हैं।

पिछले वर्ष जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश के तौर पर पुनर्गठित करने के बाद यह डीडीसी चुनाव, यहां पहला चुनाव है और इसके साथ ही पंचायत उपचुनाव भी हो रहे हैं। डीडीसी चुनावों को गुपकर घोषणापत्र गठबंधन (पीएजीडी), भाजपा और पूर्व वित्त मंत्री अलताफ बुखारी की अपनी पार्टी के बीच त्रिकोणीय मुकाबले के तौर पर देखा जा रहा है।

चुनाव संपन्न होने तक सर्वेक्षण पर रोक

जम्मू कश्मीर में प्रदेश चुनाव आयोग (एसईसी) ने आठ चरणों में हो रहे जिला विकास परिषद के चुनाव के संपन्न हो जाने तक मतदान बाद सर्वेक्षण (एग्जिट पोल) पर शनिवार को पाबंदी लगा दी।एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि प्रदेश चुनाव आयुक्त केके शर्मा ने इस आशय का आदेश जारी किया। शर्मा ने अपने आदेश में कहा, ‘जम्मू कश्मीर पंचायती राज अधिनियम, 1989 के तहत प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए चुनाव प्राधिकरण (प्रदेश चुनाव आयोग) वर्तमान डीडीसी चुनाव के 19 दिसंबर, को दो बजे आखिरी चरण के पूरा होने तक एग्जिट पोल करने या उनके परिणाम का प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा प्रसारण व प्रकाशन करने पर रोक लगाता है।’

स्थानीय मुद्दों पर डाले वोट

जम्मू-कश्मीर के गांदरबल जिले के कई मतदाताओं ने शनिवार को कहा कि जिला विकास परिषद (डीडीसी) के चुनाव स्थानीय मुद्दों को लेकर होते हैं। इसमें उन लोगों को चुना जाना चाहिए जो बुनियादी समस्याओं को हल कर सकें और विशेष दर्जे की बहाली जैसे बड़े मुद्दों को विधानसभा और संसदीय चुनावों के लिए छोड़ दिया जाना चाहिए।

आठ चरणों में हो रहे ये डीडीसी चुनाव पिछले साल जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश के रूप में पुनर्गठित किए जाने और इसके विशेष दर्जे को समाप्त किए जाने के बाद, पहले चुनाव हैं। डीडीसी चुनाव के साथ पंचायतों के उपचुनाव भी हो रहे हैं।

गांदरबल के थुने इलाके में एक मतदान केंद्र पर मतदान करने के बाद 67 वर्षीय शरीफ-उद-दीन ने जिले के कहा, ‘राजनीतिक मुद्दे विधानसभा या संसद जैसे बड़े मंच के लिए हैं। कानून बनाने के मामले में डीडीसी या पंचों और सरपंचों की क्या भूमिका है? यह चुनाव स्थानीय स्तर पर लोगों के विकासात्मक मुद्दों के समाधान के लिए होता है।’ हरिगनिवान के शासकीय उच्चतर माध्यमिक स्कूल में मतदान करने वाली जाहिदा बेगम ने कहा कि उन्होंने एक स्थानीय उम्मीदवार का समर्थन करने के लिए मतदान किया है, जो रोजमर्रा के मुद्दों का समाधान कर सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘हमारी कई समस्याएं हैं जिन पर ध्यान देने की जरूरत है।

मुझे अनुच्छेद 370 के बारे में कुछ भी नहीं पता है, लेकिन मैं चाहती हूं कि हमारे इलाके की समस्याओं को हल किया जाए।’ एक अन्य मतदाता जुमा कोसवाल ने कहा, ‘बड़े मुद्दों पर चर्चा बड़ी पार्टियां करती हैं।’ उन्होंने कहा, ‘हां, हमारी पहचान हमसे छीन ली गई है (विशेष दर्जा खत्म होने के बाद), लेकिन यह चुनाव उसके लिए नहीं है।’ उन्होंने कहा कि लोग ऐसे उम्मीदवारों को वोट दे रहे हैं जो स्थानीय मुद्दों और समस्याओं को हल कर सकते हैं। हालांकि, पहली बार मतदान कर रहे युवा समेत कुछ अन्य मतदाताओं ने कहा कि यह चुनाव पूर्ववर्ती राज्य के विशेष दर्जे की बहाली के लिए एक ‘छोटी लड़ाई’ है।

उन्हीं में से एक यासीन अहमद ने कहा, ‘यह चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हम इसके जरिए उन पार्टियों और लोगों को दूर रख सकते हैं जिन्होंने हमारे विशेष दर्जे को हमसे छीना है।’ उसने कहा कि हालांकि डीडीसी चुनावों का इस मुद्दे से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन यह एक संदेश भेजेगा कि पिछले साल के फैसले के बारे में लोग क्या सोच रहे हैं। आठ-चरणों वाले इस चुनाव को गुपकर घोषणापत्र गठबंधन (पीएजीडी), भाजपा और अपनी पार्टी के बीच एक त्रिकोणीय मुकाबले के रूप में देखा जा रहा है। अधिकारियों के अनुसार, डीडीसी की 280 सीटों के लिए 1,475 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें से 296 उम्मीदवार पहले चरण के मुकाबले में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।