दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ ने श्रीनगर से जैश-ए-मोहम्मद के कथित आतंकवादी को गिरफ्तार किया है जिसके सिर पर दो लाख रुपये का इनाम था। अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि कुपवाड़ा निवासी फैयाज अहमद लोन 2015 से गिरफ्तारी से बच रहा था और उसके सिर पर दो लाख रुपये का इनाम था। दिल्ली पुलिस ने इससे पहले चार फरवरी, 2007 को दिल्ली के दीन दयाल उपाध्याय मार्ग पर संक्षिप्त मुठभेड़ के बाद जैश के चार कथित आतंकवादियों को गिरफ्तार किया था।

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उनकी पहचान पाकिस्तान निवासी शाहिद गफूर, जम्मू कश्मीर के निवासी बशीर अहमद पोन्नु, फैयाज अहमद लोन और अब्दुल मजीद बाबा के तौर पर हुई थी। पुलिस ने बताया कि पूछताछ के दौरान यह खुलासा हुआ कि वे जैश के सक्रिय सदस्य थे और पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं के निर्देश पर दिल्ली में बड़े हमले की साजिश रच रहे थे। मुकदमे के दौरान सात अगस्त 2013 को गफूर को दोषी ठहराया गया जबकि पोन्नु, लोन और बाबा को बरी कर दिया गया था। हालांकि बाद में दिल्ली उच्च न्यायालय ने उन्हें दोषी ठहराया था लेकिन वे अदालत के सामने पेश नहीं हुए और तब से गिरफ्तारी से बच रहे थे।

उन्होंने बताया कि उसके बाद 2014 के बाद से उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट कई बार जारी किए गए। साथ ही उन्होंने बताया कि इन सभी को राष्ट्र विरोधी और आतकंवादी गतिविधियों में संलिप्तता के लिए दोषी ठहराया गया था। पुलिस उपायुक्त (विशेष प्रकोष्ठ) संजीव कुमार यादव के मुताबिक दिल्ली पुलिस की एक टीम को पोन्नू, लोन और बाबा को पकड़ने के लिए जम्मू कश्मीर भेजा गया था। उन्होंने 25 मार्च को श्रीनगर के कोठी बाग इलाके से लोन को गिरफ्तार किया था और उसे दिल्ली लेकर आए।

जांच में सामने आया कि लोन ने 2000 में कुपवाड़ा में इलेक्ट्रॉनिक सामानों की दुकान शुरू की थी। बाद में 2004 में उसने उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में शॉल का कारोबार शुरू किया। वह 2005 में सोपोर निवासी अल्ताफ अहमद किरमानी के संपर्क में आया जो जैश का सदस्य था। डीसीपी ने बताया कि उसने लोन को आसानी से पैसा कमाने के लिए जैश का सदस्य बनने का लालच दिया। लोन ने संगठन के लिए काम करना शुरू कर दिया और वह जैश का सक्रिय सदस्य बन गया।