ईशा फांडेशन के सद्गुरू जग्गी वासुदेव पूछा गया कि ईशा फाउंडेशन एक बड़ा समूह बन गया है, आपके पास यूएस, कोयंबटूर और बेंगलुरू में ऑफिस हैं आप कहां से इतना पैसा लाते हैं? इसके अलावा उनसे ये भी पूछा गया कि आप कैचअप और टूथपेस्ट भी लेकर आ रहे हैं ये कब तक मार्केट में आएगा? जग्गी वासुदेव ने इन सवालों के जवाब देते हुए ईशा फाउंडेशन के बारे में बताया कि ये क्या है और कैसे काम करता है इसके अलावा ईशा फाउंडेशन को इन वेलफेयर स्कीम के लिए फंडिंग कहां से होती है और कैसे ये स्वयंसेवी संस्थान देखते ही देखते 20 लाख लोगों की विशाल समूह बन गया। इसके अलावा देश में मौजूदा समय धार्मिक स्थलों पर हमलों को लेकर भी जग्गी वासुदेव ने बात की है।
जब जग्गी वासुदेव से ईशा फाउंडेशन के बारे में ये पूछा गया कि ईशा फाउंडेशन एक बड़ा समूह बन गया है जिसकी वजह से लोग इसकी हल्के शब्दों में आलोचना भी कर रहे हैं। अब आप इसे कार्पोरेट बनने से कैसे रोक सकते हैं? तो जग्गी वासुदेव ने इस सवाल का जवाब देते हुए कहा ऐसी कोई बात नहीं है और ना ही ऐसा कोई खतरा है, क्योंकि हमारा समूह चारो ओर से घिरा हुआ समूह है। जिसकी वजह से हम इसे बड़ा होने का मौका नहीं देते हैं। इस ग्रुप के लोग प्रेम और भक्ति के लिए बहुत ही उत्साहित हैं, लेकिन इस दौरान उन्हें भी ये नहीं पता होता है कि वो ज्यादातर समय में क्या करते हैं। मैं ऐसी भक्ति भावना को पसंद करता हूं क्योंकि भक्ति की भागीदारी में विशेषज्ञता की भावना नहीं होती यही जीवन को आसान बनाती है। न्यूज एजेंसी एएनआई पर जग्गी वासुदेवा का ये इंटरव्यू किया गया।
फाउंडेशन के लिए पैसे कहां से लाते हैं आप?
जब जग्गी वासुदेव से पूछा गया कि आप पैसे कहां से लाते हो? आप लगातार बड़े होते जा रहे हो आपके पास अमेरिका में ओपीनियन ऑफिस है, आपके पास कोयंबटूर में भी योग सेंटर है और अब तो बेंगलुरू में आप पहुंच गए हैं। आप इतने बड़े हो गए हो कि बाकि के गुरू खुद को नर्वस महसूस करने लगे हैं। इस सवाल जग्गी जी बहुत ही चतुराई के साथ टाल गए और इसके जवाब में जग्गी जी हंसते कहते हैं, पैसा… कहां है पैसा… कितना पैसा है। इसके बाद उन्होंने कहा, अगर ऐसा है तो सच में मैं क्षमा मांगता हूं कि मैं किसी को भी नर्वस नहीं करना चाहता हूं क्योंकि मैं किसी के साथ प्रतिसपर्धा नहीं कर रहा हूं।
कैचअप और पेस्ट पर भी काम शुरू करने वाले हैं आप?
जब उनसे पूछा गया आप कैचअप शुरू करने वाले हैं, टूथपेस्ट शुरू करने वाले हैं कब से शुरू होगा ये सब? इसके जवाब में उन्होंने कहा, मैं उस तरफ नहीं जाउंगा इसलिए नहीं कि मैं उसके खिलाफ हूं कैचअप और टूथपेस्ट बनाने में कुछ भी खराबी है क्योंकि ये सभी यूज करते हैं। ये मेरी प्राथमिकता में नहीं है और मैं नहीं चाहता हूं कि मेरा फाउंडेशन उस दिशा में जाए।
प्रोफेशनल लोग आपके यहां क्या करते हैं?
जब जग्गी वासुदेव से इस बात पर सवाल किया कि आपके पास तो स्पेशलिस्ट लोग भी जुड़े हैं तो अब क्या वो अपना करियर छोड़ देंगे? इस सवाल के जवाब में जग्गी वासुदेव ने हंसते हुए कहा, अगर मेरे पास कोई इंजीनियरिंग की डिग्री लेकर आया है तो हम उसे किचन के काम में लगा देते है और अगर कोई कुकिंग का का एक्सपर्ट आया है तो हम उसे इंजीनियरिंग के काम लगा देते हैं। हम उसे अपनी संरचना में ढाल देते हैं।
देश में पिछले एक दशक से नहीं हुई को बड़ी सांप्रदायिक हिंसा
ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने टीवी पर होने वाले शोरगुल डिबेट को लेकर कहा, टेलीविजन स्टूडियो में ‘बहुत गर्मी’ है,ये सिर्फ इसलिए कि देश में धार्मिक असहिष्णुता बढ़ रही है। जबकि देश में पिछले एक दशक से कोई बड़ी सांप्रदायिक हिंसा नहीं हुई है। आध्यात्मिक गुरू ने बताया कि उन्होंने अपने छात्र जीवन के दौरान देश में बहुत से दंगे देखे थे, जबकि पिछले एक दशक से देश में कोई बड़ा सांप्रदायिक दंगा नहीं हुआ। सद्गुरु की यह टिप्पणी दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में हुई हिंसक घटनाओं के बाद सामने आई है। हाल ही में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने दावा किया है कि भारत में पूजा स्थलों पर हमले बढ़ रहे हैं।
30 हजार किमी मोटर साइकिल चलाकर ‘मिट्टी बचाओ’ अभियान चलाया
ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु जग्गी वासुदेव हाल ही में अपने ‘मिट्टी बचाओ’ अभियान चलाया था। इस अभियान के तहत उन्होंने 27 देशों में 30,000 किलोमीटर अकेले ही मोटरसाइकिल यात्रा से जागरुकता अभियान चलाने के बाद भारत पहुंचे। जब सद्गुरु से देश में बढ़ती धार्मिक असहिष्णुता के दावों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का जोर दिया।
जानिए क्या है ईशा फाउंडेशन
ईशा फाउंडेशन तमिलनाडु का एक आध्यात्मिक संगठन है जिसके फाउंडर आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु जग्गी वासुदेव हैं। जग्गी वासुदेव ने साल 1992 में इस संगठन की नींव रखी थी। मौजूदा समय इस संगठन में लगभग 20 लाख स्वयंसेवक योग, पर्यावरण और सामाजिक कार्यक्षेत्रों में सक्रिय हैं। इनका मुख्य कार्यालय कोयंबटूर के पास ईशा योग सेंटर में और अमेरिका के ईशा इंस्टीट्यूट ऑफ इनर साइंसेज है। ईशा फाउंडेशन आर्थिक और संयुक्त राष्ट्र के सामाजिक परिषद में सलाहकार को पोजीशन पा चुकी है।
ईशा फाउंडेशन ने दिया योग को बढ़ावा
ईशा फाउंडेशन ईशा योग नाम से कई योग कार्यक्रमों का संचालन करता है। ईशा का अर्थ निराकार परमात्मा है। ईशा योग का प्रारंभिक कार्यक्रम है, इनर इंजिनियरिंग। इसमें मेडीटेशन और प्राणायाम जैसे कई तरह की योग विधाएं सिखाईं जाती हैं। ईशा फाउंडेशन ने साल 1998 से ये कार्यक्रम जेल में बंद कैदियों के लिए बी संचालित किया जाता है। ईशा फाउंडेशन ने भारतीय हॉकी टीम के लिए एक योग कोर्स भी 1996 में आयोजित किया था। 1997 में अमेरिका में भी ईशा फाउंडेश के योग कार्यक्रमों का आयोजन शुरू हो गए थे।