विश्व हिंदू परिषद की गुजरात इकाई ने राज्य में जगन्नाथ यात्रा न निकलने देने पर केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार को घेरा है। वीएचपी की तरफ से कहा गया है कि 143 साल में यह पहली बार हो रहा है कि भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा नहीं निकलने दी गई। इसके लिए हिंदू कभी भी मौजूदा भाजपा सरकार को माफ नहीं करेंगे। वीएचपी के गुजरात प्रभारी दिलीप त्रिवेदी ने रथयात्रा कराने पर कोई फैसला न कर पाने के लिए सरकार पर जमकर हमले किए।
सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस एमआर शाह मंगलवार को गुजरात के अहमदाबाद स्थित जमालपुर दरवाजा के पास जगन्नाथ मंदिर के दौरे पर पहुंचे। यहां उन्होंने कहा कि गुजरात हाईकोर्ट का कोरोना के मद्देनजर रथयात्रा को रोकने का फैसला जनहित में है। उन्होंने कहा कि जब भी बात धर्म और जनहित की आती है, तो जनहित ही ज्यादा अहम है। धर्म भी जरूरी है, लेकिन हमें जनता और जनहित की चिंता करनी होती है।
हालांकि, जब जस्टिस शाह से ओडिशा के पुरी में जगन्नाथ यात्रा की अनुमित के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि दोनों जगहों में फर्क है। एक जगह पर रथयात्रा के लिए काफी पहले याचिका दायर हुई थी, वहां तैयारियां भी पूरी कर ली गईं और कर्फ्यू लगा दिया गया। यहां रथयात्रा से ठीक पहले ही याचिका दायर की गई।
इससे पहले भगवान जगन्नाथ की यात्रा ओडिशा के पुरी में धूमधाम से निकाली गई। इस दौरान पुरी के राजा गजपति महाराज दिब्यासिंहा देब ने जगन्नाथ मंदिर की रथयात्रा में सोने की झाड़ू लगायी। इसे ‘छेरा पहानरा’ अनुष्ठान भी कहते हैं, जिसमें भगवान जगन्नाथ के रथ के रास्ते को सोने जड़ित झाड़ू से साफ करते हैं। बता दें कि इस अनुष्ठान को पुरी के राजसी परिवार के लोग ही करते हैं। वहीं, झारखंड की राजधानी रांची के धुर्वा स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर में रथयात्रा की 329 साल पुरानी परंपरा कोरोना वायरस महामारी के कारण इस वर्ष टूट गई। महामारी के कारण रथयात्रा नहीं निकाली जा सकी, सिर्फ मुख्य पुजारी और उनके तीन अन्य सहयोगियों ने सुबह भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा (तीनों भाई-बहन) की पूजा की।
पश्चिम बंगाल में हर साल भगवान जगन्नाथ के अवतार भगवान मदनमोहन की रथयात्रा निकलती है। हालांकि, राज्य के कूचबिहार में 130 साल में पहली बार भगवान की यात्रा रथ की जगह एक ट्रक में निकली। खास बात यह है कि इस ट्रक को ही रथ की तरह बना दिया गया। आयोजकों के मुताबिक, रथ खींचने के लिए कई लोगों की जरूरत पड़ती, जिससे भीड़ बढ़ने की आशंका थी। ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने के लिए ट्रक को ही रथ बना दिया गया, जो खुद ब खुद आगे बढ़ता है।
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पूजा ने रांची के धुर्वा में जगन्नाथ पहाड़ी पर स्थित पवित्र जगन्नाथ मंदिर पहुंचकर पूजा की। यहां उन्होंने इस साल रथयात्रा न करा पाने के लिए भगवान जगन्नाथ से माफी मांगी। 1692 में प्रारंभ हुई रथयात्रा का कम्र इस साल पहली बार भंग हुआ है। भगवान जगन्नाथ मंदिर के प्रबंधक मनोज तिवारी ने बताया कि मंदिर की स्थापना 1691 में ठाकुर एनीनाथ शाहदेव ने की थी और पहली बार मंदिर प्रांगण में रथयात्रा का आयोजन 1692 में हुआ था। 1692 से प्रारंभ हुई रथयात्रा की परंपरा आज 329 साल बाद कोरोना वायरस महामारी के कारण टूटी है, इसका हमें खेद है। उन्होंने कहा कि रांची में 1692 में प्रारंभ हुई परंपरा का निर्वाह करते हुए भगवान की रथयात्रा इस वर्ष मौसीबाड़ी नहीं ले जायी जा सकी। उन्होंने बताया कि इससे पहले रांची में कभी भी ऐसी स्थिति नहीं आयी थी, जबकि पुरी में मुगलों के चलते अनेक बार रथयात्रा में पहले भी व्यावधान आया है।
गौरतलब है कि इस साल कोरोना माहमारी के पुरी में भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा के आयोजन के लिए सुप्रीम कोर्ट में जो कई याचिकाएं दाखिल की गई थीं, उनमें से एक याचिका ओडिशा के 19 साल के मुस्लिम युवक आफताब की भी थी। जिसने खूब सुर्खियां बटोरी। आफताब ने अपनी याचिका में कहा था कि सदियों पुरानी यह व्यवस्था बंद नहीं होनी चाहिए।
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, आफताब अपनी मां रशीदा बेगम, पिता इमदाद हुसैन और छोटे भाई के साथ ईटामाटी नामक गांव में रहता है। आफताब के नाना मुलताब खान ने एक हिंदू मंदिर की प्रतिष्ठा भी करायी थी। रिपोर्ट के अनुसार, आफताब के घर में भी भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, देवी सुभद्रा की पूजा होती है। आफताब इकॉनोमिक्स में ग्रेजुएशन कर रहे हैं।
ओडिशा के पुलिस महानिदेशक अभय ने कहा कि समूचे जिले में बुधवार अपराह्न दो बजे तक 'कर्फ्यू जैसा' बंद लागू रहेगा। पुलिस महानिदेशक ने यह भी कहा कि नौ दिवसीय उत्सव में सुरक्षा के लिए पुलिस बल की 50 से अधिक प्लाटून तैनात की जा रही हैं। बल की एक प्लाटून में 30 कर्मी शामिल होते हैं।
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने मंगलवार को आयोजित भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा को यहां स्थित अपने कार्यालय लोकसेवा भवन में टेलीविजन पर देखा।
उच्चतम न्यायालय से सशर्त मंजूरी मिलने के बाद ऐतिहासिक रथयात्रा बिना श्रद्धालुओं के संपन्न हुई। उल्लेखनीय है कि मार्च में कोरोना वायरस महामारी शुरू होने के बाद से पटनायक अपने घर में ही रह रहे हैं, लेकिन रथयात्रा देखने के लिए वह पहली बार अपने कार्यालय गए। मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा जारी वीडियो में पटनायक भगवान जगन्नाथ के रथ ‘नंदिघोष’ की पुरी के बड़ा डांडा (ग्रैंड रोड) पर यात्रा शुरू होने पर ‘‘जय जगन्नाथ’’ कहते नजर आए।
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मंगलवार दोपहर जगन्नाथपुर स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर पहुंच कर राज्य की समृद्धि की कामना की। राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री ने यहां जगन्नाथपुर मन्दिर में आज दोपहर मत्था टेका और राज्य की जनता की समृद्धि की कामना की। सोरेन ने कहा, ‘‘राज्य और देश सहित पूरी दुनिया कोरोना संक्रमण से प्रभावित है। ऐसी स्थिति में भारी मन से सदियों से चली आ रही प्रभु जगन्नाथ के रथयात्रा कार्यक्रम को स्थगित करने का निर्णय लेना पड़ा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे तो पिछले कुछ महीनों में कई त्योहार आए और चले गए। सभी वर्ग के लोगों ने लॉकडाउन की इस घड़ी में त्योहारों के समय लिए गए निर्णय पर भावनात्मक सहयोग देते हुए समाज के साथ खड़ा रहने का काम कर दिखाया है।’’
ओडिशा के पुरी में सामान्य समय में वार्षिक रथयात्रा को देखने के लिये पुरी में देश विदेश से लाखों श्रद्धालु जुटते हैं लेकिन इस बार यहां की तस्वीर हर साल से अलग थी। रथयात्रा ‘‘शांतिपूर्ण तरीके से सुगमतापूर्वक’’ संपन्न हुई। इससे एक दिन पहले उच्चतम न्यायालय ने कुछ शर्तों के साथ इस रथयात्रा के आयोजन के लिये रास्ता साफ किया था।
सदियों में पहली बार भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहन के विशाल रथ कर्फ्यू के बीच शहर की वीरान सड़कों पर निकले। इस दौरान उनके दीदार के लिये सड़कों पर उमड़ने वाला जनसैलाब नजर नहीं आया। कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर इस तीर्थ नगरी में सोमवार सुबह से बुधवार दोपहर तक कर्फ्यू लगा हुआ है।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार, कड़ी शर्तों के साथ पुरी में जगन्नाथ यात्रा हुई। यात्रा में अधिकतम 500 लोगों को ही रथ खींचने की अनुमति दी गई। वहीं शहर में कर्फ्यू के हालात हैं और लोगों को घरों से बाहर नहीं निकलने दिया जा रहा है। लोग अपने घरों से ही टीवी पर रथयात्रा का सीधा प्रसारण देखा। बता दें कि 2500 साल से भी ज्यादा समय में ऐसा पहली बार होगा कि रथयात्रा में भक्त शामिल नहीं हुए और अपने घरों में कैद रहे।
भगवान जगन्नाथ मंदिर के प्रबंधक मनोज तिवारी ने बताया कि मंदिर की स्थापना 1691 में ठाकुर एनीनाथ शाहदेव ने की थी और पहली बार मंदिर प्रांगण में रथयात्रा का आयोजन 1692 में हुआ था। 1692 से प्रारंभ हुई रथयात्रा की परंपरा आज 329 साल बाद कोरोना वायरस महामारी के कारण टूटी है, इसका हमें खेद है। उन्होंने कहा कि रांची में 1692 में प्रारंभ हुई परंपरा का निर्वाह करते हुए भगवान की रथयात्रा इस वर्ष मौसीबाड़ी नहीं ले जायी जा सकी। उन्होंने बताया कि इससे पहले रांची में कभी भी ऐसी स्थिति नहीं आयी थी, जबकि पुरी में मुगलों के चलते अनेक बार रथयात्रा में पहले भी व्यावधान आया है। तिवारी ने बताया, ‘‘परंपरा के अनुरूप आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को भगवान जगन्नाथ के मुख्य मंदिर में पूजन का कार्य पंडित ब्रजभूषणनाथ मिश्र ने अपने तीन अन्य सहयोगियों के साथ संपन्न किया।’’ मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित ब्रजभूषणनाथ मिश्र ने पीटीआई-भाषा को बताया कि आज मंदिर परिसर में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र एवं देवी सुभद्रा का डोल मंडप :झूलेः में पूजन किया गया। इसी प्रकार नौ दिनों तक इनका पूजन डोल मंडप में ही किया जायेगा।
झारखंड की राजधानी रांची के धुर्वा स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर में रथयात्रा की 329 साल पुरानी परंपरा कोरोना वायरस महामारी के कारण इस वर्ष टूट गई। महामारी के कारण रथयात्रा नहीं निकाली जा सकी, सिर्फ मुख्य पुजारी और उनके तीन अन्य सहयोगियों ने सुबह भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा (तीनों भाई-बहन) की पूजा की। निमंत्रण के बावजूद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पूजा में नहीं पहुंच सके। रांची के धुर्वा में जगन्नाथ पहाड़ी पर स्थित पवित्र जगन्नाथ मंदिर में 1692 में प्रारंभ हुई रथयात्रा का कम्र इस साल पहली बार भंग हुआ है। भगवान जगन्नाथ मंदिर के प्रबंधक मनोज तिवारी ने बताया कि मंदिर की स्थापना 1691 में ठाकुर एनीनाथ शाहदेव ने की थी और पहली बार मंदिर प्रांगण में रथयात्रा का आयोजन 1692 में हुआ था। 1692 से प्रारंभ हुई रथयात्रा की परंपरा आज 329 साल बाद कोरोना वायरस महामारी के कारण टूटी है, इसका हमें खेद है। उन्होंने कहा कि रांची में 1692 में प्रारंभ हुई परंपरा का निर्वाह करते हुए भगवान की रथयात्रा इस वर्ष मौसीबाड़ी नहीं ले जायी जा सकी।
दिलचस्प बात यह है कि भारत में किसी मंदिर का ध्वज हर दिन नहीं बदला जाता है। जगन्नाथ जी का मंदिर ही एकमात्र ऐसा मंदिर है जिसका ध्वज हर रोज बदला जाता है। हर दिन एक पुजारी को ऊंचे गुंबद पर चढ़कर ध्वज बदलना होता है। जगन्नाथ मंदिर की ऐसी मान्यता है कि अगर एक दिन भी ध्वज नहीं बदला गया तो मंदिर 18 वर्षों के लिए बंद हो जाएगा।
जगन्नाथ यात्रा को लेकर पीएम मोदी ने सुबह ट्वीट कर शुभकामनाएं दी। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के पावन-पुनीत अवसर पर आप सभी को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं। मेरी कामना है कि श्रद्धा और भक्ति से भरी यह यात्रा देशवासियों के जीवन में सुख, समृद्धि, सौभाग्य और आरोग्य लेकर आए। जय जगन्नाथ!
झारखंड: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के मौके पर रांची में जगन्नाथ मंदिर में दर्शन किए।
ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक ने टीवी पर जगन्नाथ रथ यात्रा का सीधा प्रसारण देखा। इस दौरान उन्होंने भगवान जगन्नाथ को खड़े होकर प्रणाम भी किया। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार, रथयात्रा में 500 से ज्यादा लोगों के शामिल होने पर रोक थी। यही वजह है कि अधिकतर लोगों ने रथ यात्रा को टीवी पर देखा।
केन्द्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज दिल्ली के हौज खास स्थित मंदिर में भगवान जगन्नाथ के दर्शन किए। इस दौरान उनका पूरा परिवार साथ था।
जगन्नाथ मंदिर में करीब 25000 श्रद्धालुओं के लिए हर दिन प्रसाद बनाया जाता है। गौरतलब है कि यहां ना भक्तों के लिए प्रसाद ज्यादा बनता है और ना ही कभी कम पड़ता है।
भगवान जगन्नाथ के मंदिर की रसोई में प्रसाद मिट्टी के बर्तन में ही पकाया जाता है। इसके लिए 7 बर्तन एक दूसरे के ऊपर रखे जाते हैं। आश्चर्य की बात ये है कि सबसे ऊपर वाले बर्तन का प्रसाद सबसे पहले पकता है और उसके बाद नीचे वाले बर्तनों का प्रसाद पकता है।
पुरी के जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर स्थित ध्वज हमेशा हवा की विपरीत दिशा में लहराता है। ऐसा क्यों होता है , यह अभी तक रहस्य है। इस ध्वज को हर रोज बदला जाता है।
पुरी में जगन्नाथ मंदिर की रथयात्रा के लिए नए रथों का निर्माण अक्षय तृतीया से आरंभ हो जाता है। यात्रा के लिए हर साल नए रथ का निर्माण किया जाता है। गौरतलब है कि इन रथों को बनाने में किसी भी तरह की धातु का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।
ओडिशा के कानून मंत्री प्रताप जेना ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार, पुरी जगन्नाथ मंदिर के सभी पुजारियों और सेवकों का कोरोना टेस्ट किया गया। एक सेवक कोरोना पॉजिटिव पाया गया है, जिसके बाद उसे रथयात्रा में शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई है।
कोरोना संक्रमण के चलते कोलकाता के इस्कॉन मंदिर में परिसर में ही भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली गई। बता दें कि कोरोना के चलते देशभर में धार्मिक आयोजनों पर रोक है।
कोरोना संक्रमण के चलते कोलकाता के इस्कॉन मंदिर में परिसर में ही भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली गई। बता दें कि कोरोना के चलते देशभर में धार्मिक आयोजनों पर रोक है।
मुंबई में लालबाग के मुंबईचा राजा मंडल समिति के सचिव स्वपनिल परब ने बताया कि हमने फैसला किया है इस साल कोरोना के चलते गणोत्सव सादगीपूर्ण तरीके से मनाया जाएगा। इस साल भगवान गणेश की प्रतिमा की अधिकतम ऊंचाई 4 फीट ही रखी जाएगी और उन्हें एक कृत्रिम तालाब में विसर्जित किया जाएगा।
गुजरात हाईकोर्ट ने अहमदाबाद में जगन्नाथ रथयात्रा निकालने की अनुमति नहीं दी है। कोर्ट ने कहा है कि रथयात्रा नहीं निकलने से विश्वास खत्म नहीं हो जाएगा। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस जेबी परदीवाला की बेंच ने कहा, 'यदि रथयात्रा नहीं होती है तो विश्वास खत्म नहीं हो जाएगा। आस्था इतनी कमजोर नहीं हो सकती। श्रद्धालुओं की मौजूदगी के बिना यात्रा का कोई अर्थ नहीं है। इसकी अनुमति नहीं दी जाती।' बेंच ने कहा कि रथ यात्रा सिर्फ जगन्नाथ मंदिर परिसर तक ही सीमित रहेगी। मंदिर परिसर में एक वक्त में सिर्फ 10 श्रद्धालुओं को ही जाने की अनुमति होगी। यही नहीं थर्मल स्क्रीनिंग के बाद ही श्रद्धालुओं को अंदर जाने की अनुमति होगी।
जगन्नाथ रथयात्रा के अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देशवासियों को शुभकामनाएं दी। राष्ट्रपति ने ट्वीट कर लिखा कि "मैं कामना करता हूं कि प्रभु जगन्नाथ की कृपा, कोविड 19 का सामना करने के लिए हमें साहस व संकल्प शक्ति प्रदान करे और हमारे जीवन में स्वास्थ्य और आनंद का संचार करे।"
पीएम मोदी ने आज ट्वीट कर भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा की शुभकामनाएं दी। पीएम ने कहा कि यह आयोजन देशवासियों के जीवन में खुशी, समृद्धि और सौभाग्य लेकर आए।
अहमदाबाद में मंदिर परिसर में ही निकाली जा रही जगन्नाथ यात्रा में सीएम विजय रुपाणी भी शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर रथयात्रा निकालने की अनुमति मांगी गई थी लेकिन कोर्ट से इंकार के बाद इसे मंदिर परिसर में ही आयोजित करने का फैसला लिया गया है। इस दौरान लोगों की ज्यादा भीड़ जुटने नहीं दी जाएगी और थर्मल स्क्रीनिंग के बाद ही मंदिर में प्रवेश मिलेगा।
पुरी में जगन्नाथ मंदिर में रथयात्रा शुरू करने से पहले सैनेटाइजेशन का काम किया गया। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट से मंजूरी मिलने के बाद आज भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जाएगी। कोर्ट के आदेशानुसार इसमें 500 से ज्यादा लोग शामिल नहीं होंगे।
रथयात्रा के लिए भगवान बालभद्र की मूर्ति को रथ पर रखा जा चुका है। मूर्ति को मंदिर के पुजारियों और सेवकों के द्वारा रथ पर लाया गया।
पुरी के जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ के लिए 752 चूल्हों पर खाना बनता है। इसे दुनिया की सबसे बड़ी रसोई का दर्जा हासिल है। रथयात्रा के नौ दिन यहां के चूल्हे ठंडे हो जाते हैं। इस दौरान गुंडिचा मंदिर की रसोई में भगवान जगन्नाथ के लिए खाना बनता है। बता दें कि वहां भी 752 चूल्हें हैं और गुंडिचा मंदिर की रसोई जगन्नाथ मंदिर की ही तरह बनी हुई है।
मंगलवार को रथयात्रा पूरी कर भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ अपनी मौसी के घर मुख्य मंदिर से ढाई किमी दूर गुंडिचा मंदिर जाएंगे। यहां सात दिन रुकने के बाद आठवें दिन फिर मुख्य मंदिर पहुंचेंगे। कुल नौ दिन का उत्सव पुरी शहर में होता है। मंदिर समिति पहले ही तय कर चुकी थी कि पूरे उत्सव के दौरान आम लोगों को इन दोनों ही मंदिरों से दूर रखा जाएगा।
भक्तों के रथयात्रा में शामिल होने पर लगी रोक के बाद अब मंदिर के 1172 सेवक ही गुंडिचा मंदिर तक ले जाएंगे। बता दें कि कोरोना के चलते इस साल रथयात्रा पर रोक लगा दी गई थी। जिसके बाद कई संस्थाओं ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। जहां से रथयात्रा निकालने की मंजूरी मिल गई। हालांकि रथयात्रा में लोगों के शामिल होने पर रोक है और रथयात्रा के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन करने के निर्देश हैं।
विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा निकालने की अनुमति की खबर जैसे ही आयी, ''जय जगन्नाथ'' के उद्घोष की गूंज पूरे प्रदेश में फैल गयी । सभी वर्गों के लोगों ने जात पात और धर्म से ऊपर उठ कर प्रसन्नता जाहिर की। गजपति महाराज दिव्य सिंह देब ने केंद्र और राज्य सरकार का उनके समर्थन के लिये धन्यवाद दिया, जिनकी वजह से रथयात्रा संभव हो सकी है। शीर्ष अदालत ने जिस पर पहले रोक लगा दी थी। पुरी के नाममात्र के इस राजा ने कहा, ''भाबाग्रही महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अनगिनत श्रद्धालुओं की प्रार्थना सुन ली है। देब श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंधन समिति के अध्यक्ष हैं ।
500 से अधिक लोगों को एक रथ खींचने की अनुमति नहीं है, जिनमें सेवक और सुरक्षाकर्मी शामिल हैंऔर इसलिए, प्रशासन को तीन रथों को खींचने के लिए 1,500 लोगों की आवश्यकता है। स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘हमें कम से कम 1,500 लोगों से नमूने एकत्र करने होंगे और मंगलवार सुबह 11 बजे तक जांच करानी होगी क्योंकि रथ खींचने का काम दोपहर 12 बजे से शुरू होगा।’’
ओडिशा सरकार ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय के निर्देश के बाद पुरी में बड़े पैमाने पर कोरोना वायरस जांच अभियान शुरू किया है, जिसमें भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के दौरान रथ खींचने वाले लोगों को अनिवार्य रूप से कोविड-19 की जांच करानी होगी और रिपोर्ट निगेटिव होगी, तभी वह यात्रा में भाग ले पाएंगे। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
रथ यात्रा में तीन रथ शामिल हैं- भगवान जगन्नाथ की नंदीघोष, भगवान बलभद्र की तालध्वज और देवी सुभद्रा की दर्पदलन।
उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने पुरी की विश्वप्रसिद्ध जगन्नाथ रथ यात्रा के अवसर पर देशवासियों को बधाई दी और कहा कि कोविड-19 की वजह से इस वर्ष श्रद्धालुओं को संयमित रूप से यह त्योहार मनाकर संतोष करना होगा। अपने संदेश में उपराष्ट्रपति ने कहा कि रथ यात्रा बेहद पवित्र अवसर होता है, जिसका कि ओडिशा के लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं। रथ यात्रा की महत्ता और उसकी भव्यता बेमिसाल है। ओडिशा के तटीय शहर पुरी में मंगलवार को यह रथ यात्रा आरंभ होगी।
पुरी में ऐतिहासिक भगवान जगन्नाथ रथयात्रा को उच्चतम न्यायालय की मंजूरी के संकेत मिलने के साथ ही ओडिशा सरकार ने सोमवार को प्रशासनिक अमले को 23 जून को निर्धारित यात्रा के लिये युद्ध स्तर पर तैयारियां पूरी करने का निर्देश दिया है। राज्य के मुख्य सचिव ए के त्रिपाठी और पुलिस महानिदेशक अभय जरूरी इंतजामों के लिये पुरी पहुंचे। त्रिपाठी ने कहा, ''डीजीपी और मैं मुख्यमंत्री के निर्देश पर तैयारियों का जायजा लेने के लिये पुरी पहुंचे हैं। हम यहीं पर रुकेंगे। मुझे भरोसा है कि कल श्रद्धालुओं के बिना ही सुगमता के साथ रथयात्रा निकाली जाएगी। इस दौरान कोविड-19 दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन किया जाएगा।'' पुरी जिला प्रशासन ने इस ऐतिहासिक कार्यक्रम की तैयारियों को लेकर एक बैठक की है। विभिन्न विभागों को यात्रा के लिये अपना तंत्र तैयार रखने को कहा गया है।
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने सोमवार को कहा कि कोविड-19 की चुनौती के बीच पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा का आयोजन एक बड़ी चुनौती है और लोग सदियों पुरानी परंपराओं तथा जन स्वास्थ्य के बीच संतुलन बनाए रखें। पटनायक ने विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा आयोजित करने की अनुमति देने के लिये उच्चतम न्यायालय को धन्यवाद दिया। साथ ही उन्होंने जरूरी सहयोग के लिये केन्द्र सरकार का भी शुक्रिया अदा किया। न्यायालय ने कुछ शर्तों के साथ पुरी में भगवान जगन्नाथ की ऐतिहासिक रथ यात्रा के आयोजन की अनुमति दे दी है। न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड आदेश के अनुसार पुरी में रथ यात्रा के दौरान जनता उपस्थित नहीं रहेगी। न्यायालय ने अपने 18 जून के आदेश में सुधार करते हुए यह अनुमति दी है, जिसमें रथयात्रा पर रोक लगाने के लिये कहा गया था।
भाजपा ने भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के लिए स्वीकृति का संकेत देने संबंधी उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए सोमवार को कहा कि यह यात्रा लोगों की आस्था का प्रतीक है। पार्टी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने ट्वीट किया, ‘‘ सदियों से चल रही महाप्रभु जगन्नाथ जी की पावन रथयात्रा को उसी भक्ति भाव से संचालित करने के उच्चतम न्यायालय के निर्णय का हार्दिक स्वागत करता हूं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह हमारी आस्था का प्रतीक है। सभी श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं। सभी से अनुरोध है, इस समय स्वास्थ्य नियमों का पूरा ध्यान रखें। जय जगन्नाथ!’’ भाजपा अध्यक्ष ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का हृदय से आभार जिन्होंने श्रद्धालुओं की भावना का सम्मान करते हुए तुरंत सभी पक्षों के साथ चर्चा शुरू करवाई। मैं गृह मंत्री अमित शाह जी को धन्यवाद देता हूं जिनके सार्थक प्रयासों से पावन रथयात्रा को पुनः शुरू करने का मार्ग प्रशस्त हुआ।’’