IUML leader statement: केरल में कांग्रेस की सहयोगी पार्टी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) के एक नेता के बयान ने विवाद खड़ा कर दिया है। IUML के केरल महासचिव पी.एम.ए. सलाम (P.M.A. Salam) ने कहा कि पुरुष और महिला बराबर नहीं हैं और उन्हें समान कहना वास्तविकता से मुंह मोड़ने जैसा होगा। इस बयान से कांग्रेस के सामने भी संकट पैदा हो सकता है।
ओलंपिक खेलों का दिया उदाहरण
सलाम ने मीडिया से बातचीत के दौरान अपनी बात को समझाने के लिए ओलंपिक खेलों का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा, “ओलंपिक में महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग श्रेणियां होती हैं। क्या यह इस वजह से नहीं है कि वे अलग-अलग हैं? क्या हम कह सकते हैं कि पुरुष और महिला हर मामले में समान हैं? क्या दुनिया ने इसे स्वीकार किया है?”
उन्होंने आगे कहा कि IUML लैंगिक समानता (gender equality) की बजाय लैंगिक न्याय (gender justice) का समर्थन करता है। उनका कहना था कि महिलाओं और पुरुषों के बीच प्राकृतिक और सामाजिक अंतर हैं, जिन्हें नकारना सही नहीं होगा।
यह भी पढ़ें… ‘केजरीवाल ने दिल्ली को सबसे बड़ा शराब घोटाला दिया’, राहुल गांधी बोले- मनीष सिसोदिया सीट छोड़कर भाग गए
सलाम का यह बयान ऐसे समय आया है जब कुछ दिनों पहले ही केरल के एक प्रमुख इस्लामी मौलवी ने महिलाओं के सार्वजनिक रूप से व्यायाम करने पर आपत्ति जताई थी। केरल जमीयत-उल-उलेमा के महासचिव एपी अबूबकर मुसलियार ने कहा था कि पुरुषों के साथ व्यायाम करने से महिलाओं के शील (modesty) पर असर पड़ सकता है। उन्होंने ‘मल्टी-एक्सरसाइज कॉम्बिनेशन 7’ (MEC-7) नाम की एक फिटनेस गतिविधि पर सवाल उठाए थे और इसे ‘इस्लामी मूल्यों के खिलाफ’ बताया था।
क्या है MEC-7 और क्यों है विवाद?
MEC-7 एक फिटनेस कार्यक्रम है, जिसमें पुरुष और महिलाएं एक साथ व्यायाम करते हैं। हाल ही में कुछ राजनीतिक दलों और संगठनों ने आरोप लगाया था कि इसका संबंध प्रतिबंधित इस्लामी संगठनों ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ (PFI) और जमात-ए-इस्लामी से हो सकता है। हालांकि, आयोजकों ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया।
IUML लंबे समय से केरल में कांग्रेस की सहयोगी रही है। सलाम के इस बयान को लेकर कांग्रेस पर भी सवाल उठ रहे हैं। विपक्षी दल, खासकर भाजपा और कम्युनिस्ट पार्टी, कांग्रेस पर कट्टरपंथी विचारधारा का समर्थन करने का आरोप लगा सकते हैं।
केरल में मुस्लिम लीग का अच्छा खासा प्रभाव है और कांग्रेस के साथ उसका गठबंधन दशकों पुराना है। लेकिन इस तरह के बयानों से महिला अधिकारों और समानता को लेकर कांग्रेस की स्थिति कमजोर हो सकती है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 के तहत लैंगिक समानता का प्रावधान है। महिलाओं और पुरुषों को समान अधिकार और अवसर दिए जाने चाहिए। हालांकि, कुछ सामाजिक और धार्मिक संगठन इस पर अलग राय रखते हैं और इसे ‘समानता बनाम न्याय’ के दृष्टिकोण से देखते हैं।
मुस्लिम लीग नेता का यह बयान एक वैचारिक बहस को जन्म दे सकता है। क्या लैंगिक समानता वास्तविकता में संभव है, या समाज को लैंगिक न्याय पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए? यह सवाल अब राजनीतिक और सामाजिक मंचों पर चर्चा का विषय बन सकता है।