देश के एक सौ सोलह जिलों के दो सौ उनसठ टीका केंद्रों पर शनिवार को इसका पूर्वाभ्यास भी किया गया। कैसे और कहां-कहां टीकाकरण पहले किया जाएगा, इसकी रूपरेखा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने तैयार कर ली है।
इसमें एक और राहत की बात यह है कि प्रथामिक चरण में स्वास्थ्य कर्मियों और अगली धार पर काम करने वाले तीन करोड़ कर्मियों को मुफ्त टीका लगाया जाएगा। प्राथमिकता सूची में बचे सत्ताईस करोड़ लोगों को भी जुलाई तक मुफ्त टीका लगा दिया जाएगा।
इससे उत्साहित दिल्ली सरकार ने भी घोषणा कर दी है कि दिल्ली के सभी नागरिकों को मुफ्त टीका लगाया जाएगा। हालांकि दूसरे देशों की तुलना में भारत में कोरोना से मरने वालों की संख्या काफी कम दर्ज हुई है, पर इस विषाणु का प्रकोप पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। अब भी रोज करीब बीस हजार लोग संक्रमित पाए जाते हैं। ऐसे में टीकाकरण शुरू होने से बहुत जल्दी इसके चक्र को तोड़ने में मदद मिलेगी।
बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान जब प्रधानमंत्री ने घोषणा की थी कि बिहार के सभी लोगों को मुफ्त कोरोना के टीके लगाए जाएंगे, तब उनकी यह कह कर आलोचना की गई थी कि देश के बाकी लोगों को इसका लाभ क्यों नहीं मिलना चाहिए।
तब उस बयान को राजनीतिक और चुनावी कह दिया गया था। फिर स्वास्थ्य मंत्री ने कहा था कि पूरे देश को मुफ्त टीका उपलब्ध कराया जाएगा। सरकार ने अपने उस वादे को निभाया है। कोरोना का टीका तैयार करने में काफी लागत आई है, इसलिए इसकी कीमत भी खासी होगी। जिन देशों में कोरोना के टीके तैयार किए गए हैं, वहां उन्हें लगवाना खासा खर्चीला काम माना जा रहा है।
इसलिए भारत में भी आशंका जताई जा रही थी कि टीका उपलब्ध होने के बाद भी उसकी पहुंच शायद गरीब लोगों तक आसानी से न हो सके। जब तक इसका टीका सभी तक उपलब्ध न हो जाए, तब तक कोरोना संक्रमण रोकने को लेकर निश्चिंत नहीं हुआ जा सकता। अब वह चिंता दूर हो गई है। इतनी विशाल आबादी वाले देश में सभी नागरिकों का टीकाकरण सरकार का अब तक का शायद सबसे बड़ा अभियान होगा।
भारत में तैयार टीके की खासियत यह है कि उसे ब्रिटेन आदि देशों में तैयार टीकों की तरह बहुत कम तापमान में सुरक्षित रखने की जरूरत नहीं है। उसे घर के सामान्य रेफ्रिजरेटर में रखा जा सकता है। इसलिए जो सबसे बड़ी चुनौती मानी जा रही थी कि तापमान नियंत्रित करने के लिए संसाधन जुटाना आसान नहीं होगा, वह भी अब कोई मुश्किल काम नहीं रह गया है।
दूर-दराज के गांवों, पहाड़ी क्षेत्रों, अपेक्षाकृत गरम इलाकों तक भी इसे आसानी से पहुंचाया जा सकता है। फिर मुफ्त उपलब्ध होने से लोग इसे लगवाने के लिए भी स्वत: आगे आएंगे। विशाल आबादी में सभी तक पहुंच सुनिश्चित कराना एक चुनौतीपूर्ण काम जरूर है, मगर सरकार ने इसकी बहुत व्यावहारिक रूपरेखा तैयार कर ली है, सो इसे कठिन नहीं माना जा सकता।
हर बच्चे तक पूरे देश में एक साथ पोलियो की खुराक पहुंचाने का अभियान सरकार कई साल तक चला चुकी है, उसके अनुभव निस्संदेह इसमें काम आएंगे।